Press Club of India
and Media Studies Group की
वैकल्पिक राजनीति के भविष्य पर चिंता करने जुटे विद्वानों का मुंह सूख गया जब, एक
नौजवान ने इनसे पूछ लिया कि जब आपको वंदेमातरम् और भारत माता की जय की वजह से देश
की एकता को खतरा दिखता है तो आप कौन सी वैकल्पिक राजनीति की चर्चा करने यहां आए
हैं। दरअसल कहने को तो ये वैकल्पिक राजनीति के भविष्य की चर्चा करने जुटे थे।
लेकिन, पूरी चर्चा दरअसल आम आदमी पार्टी की टूटन या कह लें कि इनके पैमाने
पर आम आदमी पार्टी का खरा न उतर पाना और नरेंद्र मोदी के अगले पाँच साल तक
प्रधानमंत्री पद से हटाने का कोई जुगाड़ न मिल पाने का रुदन ही थी। ऐसे में नौजवान
का सवाल सबके लिए संकट बन गया। ये अभी भी बेवकूफी कर रहे हैं। इनकी नजर में
क्रांति का रास्ता बस इनका ही है। और वैकल्पिक राजनीति का रास्ता भी। इनको समझना
चाहिए कि नौजवान अब इनकी भावनात्मक क्रांति का बस्ता ढोने तैयार नहीं है। ये
नौजवान अब आपके कुतर्क में साथ नहीं देगा साथी। लाल सलाम को अब ये मजाक में ही
बोलता है। गंभीरली नहीं लेता। आप गंभीर होइए। झुट्ठो गंभीर होने से अब बात
बिगड़ेगी ही। सचमुच कुछ वैकल्पिक राजनीति करना चाहते हैं तो विकल्प बेहतर दीजिए।
उसी सड़े गड़े, खारिज किए जा चुके विकल्प को विकल्प बताकर बेचिएगा तो, कैसे
बात बनेगी। ये कुछ वैसा ही हुआ जैसे अमेरिका में खराब कर्ज को बार-बार रीपैकेज
करके फिर से बेच दिया जाता था। और वो कर्ज दुनिया की मुसीबत बन गया। वैसे ही भारत
का वामपंथ भी हो गया है। जो बार-बार उसी खारिज विचार को बेचने की कोशिश में लगा
है। नाना प्रकार की पैकेजिंग में बांधने पर भी वो नहीं बिका। और ये वैकल्पिक
राजनीति के भविष्य का रास्ता बता रहे हैं।
17 मार्च को
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुई इस चर्चा के वक्ताओं को नाम ये रहे। इसमें Prof Arun Kumar (JNU) देर से पहुंचे थे। Nandita
Narayan (President, DUTA), N.D. Pancholi (Advocate, Supreme court), Dr.
Phoolchand Singh (Social scientist & Media trainer), Prof Rizwan Kaisar
(Jamia Milia Islamia), Prof. Manindra Thakur ( JNU), Dr. Pradeep Kant Chaudhari
(India for Democracy), Preside: Nadeem Kazmi, S.G (PCI), Coordination: Anil
Chamadia (MSG)
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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