समाजवादी पार्टी और उसकी उत्तर प्रदेश सरकार कुछ इस तरह से खुद
को पेश कर रही है जैसे हिन्दी वाले छात्रों के लिए वो बड़ी चिंतित है। मुख्यमंत्री
ने प्रधानमंत्री को यूपीएससी के सीसैट पर चिट्ठी लिखी। उधर, बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यूपीपीसीएस के पैटर्न पर चिट्ठी लिखकर यूपीपीसीएस की
परीक्षा रोकने को कहा है। यूपीएससी ने 2010 में
आईएएस के लिए सीसैट लागू किया। वही पैटर्न उत्तर प्रदेश ने पीसीएस के लिए लागू कर
दिया। छात्रों को ये भी समझना होगा कि कौन कहां राजनीतिक रोटी सेंक रहा है। दिल्ली
में उत्तर प्रदेश-बिहार का हर पार्टी का सांसद हिन्दी के पक्ष में बात कर रहा है।
राजनीतिक भविष्य के लिहाज से भी और सचमुच भी दुखी है छात्रों के उत्पीड़न से फिर
भी कौन लोग हैं जो इतने ताकतवर है जो 120 सांसदों
की इच्छा के ऊपर हावी हो जा रहे हैं।
और सिर्फ यूपी-बिहार ही क्यों? दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र
के भी सांसद क्या हिन्दी या भारतीय भाषाओं के विरोधी हो सकते हैं। जवाब कड़ाई से
नहीं में है। फिर @narendramodi को ये
फैसला लेने में किसी समिति की रिपोर्ट का इतने लंबे समय से इंतजार क्यों है। बीजेपी
के एक सांसद ने कल मुझसे फिर कहाकि सीसैट पर अगले एक दो दिन में सुखद फैसला आ
जाएगा। इससे पहले भी कुछेक सांसद मुझे ये भरोसा पंद्रह दिन पहले ही दे रहे थे।
सवाल ये है कि जब सबकुछ इतना साफ है और हिन्दी या दूसरी भारतीय भाषाओं के छात्रों
के साथ अन्याय हो रहा है ये सब जानते हैं तो, उसे
सुधारने में इतना समय क्यों लग रहा है। हिन्दी में दुनिया को समझाने वाले @narendramodi अपने अधिकारियों की अंग्रेजी पर
प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ये बता चुके हैं कि रिपोर्ट भी आ चुकी है। हम जल्द ही इस पर फैसला लेंगे। सचमुच हिन्दी के लिए हिंदुस्तान में फैसला लेना बड़ा कठिन है। #UPSC #CSAT
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