खून खौल रहा है। इच्छा ये कि क्यों नहीं मैं भी किसी फोर्स में हुआ। और, क्यों नहीं ऐसा मौका मुझे भी मिला कि दो-चार आतंवादियों को मार गिराता। साथ में कुछ नपुंसक नेताओं को भी। हम टीवी वाले भले ही देश को न्यूज दिखाने के चक्कर में हर खबर को नाटकीय अंदाज में पेश करने वाले बन गए हैं। लेकिन, सच्चाई यही है कि कलेजा हमारा भी कांपता है। औऱ, खून हमारा भी खौलता है।
लगातार आतंकवादी चुनौती दे रहे हैं और जब आतंकवादी ऐसा धमाका करते हैं, सरेआम हिंदुस्तानियों की लाशें गिराते हैं, तब भले ही हम मीडिया वाले झकझोर कर देश को जगाने की कोशिश करते हों लेकिन, ये रात का धमाका सुबह की रोशनी के साथ डर भी खत्म कर देता है। और, आतंकवादियों के लिए सुबह फिर से नई तैयारी का रास्ता बना देती है। क्योंकि, हम नपुंसक नेता और उनके इशारे पर एक ही धमाके के लिए अलग-अलग मास्टरमाइंड पकड़ने वाली एटीएस और पुलिस के बताए भर से ही संतोष कर सकते हैं।
देश का आम आदमी मर रहा है। अब मैं ये सोच रहा हूं कि क्या कोई आम आदमी जागेगा नहीं। देश में घुन की तरह आतंकवादियों के हिमायती ऐसे भर गए हैं कि जाने कितने बुधवार की जरूरत है। मुझे नहीं समझ में आता कि जेल में बंद आतंकवादियों को किसके लिए बचाकर रखा हुआ है। क्या फिर किसी खूंखार आतंकवादी के लिए देश के कुछ लोगों को बंधक बनाया जाएगा तब। अब अगर मुंबई के ताज होटल, ओबरॉय होटल को कुछ घंटों के लिए ही सही बंधक बना सकते हैं। तो, साफ है कि देश बंधक है। औऱ, हमारे कमीने नेताओं को सिर्फ अपने वोटबैंक की चिंता सता रही है। उसको भड़का दूसरा इसका वोट ले लेता है। ये इसको भड़काकर उसका वोट ले लेता है।
संसद पर हमले के अलावा अब तक आतंकवादी चोरी-छिपे बम रखकर निर्दोष हिंदुस्तानियों की जान लेते थे। अब नपुंसक सरकार के राज में इनका साहस ऐसा बढ़ गया है कि ये दौड़ा-दौड़ाकर हमारी जान ले रहे हैं। इधर,हमारा नपुंसक गृहराज्य मंत्री शकील अहमद जानकारी देने के बजाए टेलीविजन चैनल पर एंकर से झगड़े कर रहा था। उधर, मुंबई में एंबुलेंस में हमारी लाशें लदकर हॉस्पिटल पहुंच रही थीं।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी 9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
क्या हो रहा है, हम कहाँ जा रहे हैं कुछ समझ में नहीं आता । हम केवल टी वी पर आँखें व कान लगाए केवल यह देखते रहते हैं कि हमारे परिवार के लोग, हमारे मित्र सम्बन्धी सुरक्षित हैं और खैर मनाते हैं कि जो मरे या घायल हुए वे हमारे परिवार के नहीं हैं । जिस होटल में मेरा अपना है, वहाँ की कोई खबर नहीं आ रही और यही अच्छा है । परन्तु जो खून बह रहा है वह हमारे भारतीयों का ही है । वे भी किसी के अपने हैं । कोई परिवार बर्बाद हो गया केवल इसलिए कि उनका अभागा सम्बन्धी गलत समय पर गलत जगह पर था ।
ReplyDeleteआइए अब हम झगड़ें कि ये किसके आतंकवादी हैं, इस धर्म के या उस धर्म के ? क्या मरने वाले को इससे कोई अन्तर पड़ेगा ? कोई लोगों से पूछे कि वे किस ब्रांड के आतंकवादी के हाथ मरना पसंद करेंगे ?
घुघूती बासूती
khun khaul kar rah jaa raha hai. yee napunshak neta mumbai me sadhu santo aur Bihar/UP waali ki rajniti karne me busy the. Eetna bada haadsa aur ATS busy thi Sadhu santo ke peechhe.
ReplyDeleteI don't know where is the hero of Mumbai who was suppose to give "Goli kaa jawab Goli se".
कौन हैं ये लोग?
ReplyDeleteसरकार सेना और संतो को आतंकवादी सिद्ध करने जैसे निहायत जरूरी काम मे अपनी सारी एजेंसियो के साथ सारी ताकत से जुटी थी ऐसे मे इस इस प्रकार के छोटे मोटे हादसे तो हो ही जाते है . बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये , सरकार को सबसे बडा धक्का तो यही है कि अब उनकी जगह कौन लेगा बाकी पकडे गये लोगो के जूस और खाने के प्रबंध को देखने सच्चर साहेब और बहुत सारे एन जी ओ पहुच जायेगी , उनको अदालती लडाई के लिये अर्जुन सिंह सहायता कर देगे लालू जी रामविलास जी अगर कोई मर गया ( आतंकवादी) तो सीबीआई जांच करालेगे पर जो निर्दोष नागरिक अपने परिवार को मझधार मे छोड कर विदा हो गया उसके लिये कौन खडा होगा ?
ReplyDeleteजब तक नपुंसक जनता एकजुट होकर उन्हें राजनीति से नहीं निकाल देती। अब तो उन में इतना अहम आ गया है कि उत्तर देने की बजाय फोन पटक देते हैं!!!!!!!!!!
ReplyDeleteशोक में डूबा है मन, क्या टिप्पणी दूँ, मन नहीं कर रहा कुछ भी लिखने को.
ReplyDeleteकांग्रेस को सबक सिखाओ- देश बचाओ।
ReplyDeleteApka gussa bilkul sahi hai. lekin sach yah hai ki a country inhabited by eunuchs deserves only eunuchs as its rulers and so we have.
ReplyDeleteगेटवे ऑफ़ इंडिया के बाहर मोमबत्ती और फ़ूलों की दुकान लगाओ यारों… बस इससे ज्यादा और कुछ नहीं होने जा रहा… परसों या ज्यादा से ज्यादा नरसों तक सब भूल जाने वाले हैं…
ReplyDeleteआईये हम सब मिलकर विलाप करें
ReplyDeleteशर्म भी तो नही आती कमीनो को.
ReplyDeleteउन्होंने जंग में भारत को हरा दिया है.
ReplyDeleteअपने ड्राइंग रूम में बैठ कर भले ही कुछ लोग इस बात पर मुझसे इत्तेफाक न रखे मुझसे बहस भी करें लेकिन ये सच है उन्होंने हमें हरा दिया, ले लिया बदला अपनी....
अब तो हद ही हो गयी। कुछ क्रान्तिकारी कदम उठाना चाहिए। कुछ भी...।
ReplyDeleteअब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।
इनपर रासुका भी लगा दे तो कम ही है।
bhai in sab ke pichhe hamari kamjori hai..do din baad khabren hoone lagegi ki mumbai ki zindgi lauti....kya ho sakta hai....
ReplyDeleteइसलिए हमारी पक्षधरता उन्शाक्तियों के प्रति गंभीर होना चाहिए जो रौशनी मैं ही नही ,अन्धकार मैं भी सही तस्वीर पेश कर सके.
ReplyDeleteI guess admirers of BJP forget they are no better than congress as they gave Kandahar, Parliament attack to us.
ReplyDeleteBoth Congress/BJP have broken us, used us and just milked in name of religion/caste everytime/everywhere.
हर्ष वर्धन आप बिलकुल सही कर रहे हैं, टी वी पर देखते हुए जब हमारा दिल रो रहा था, तो मीडिया वाले क्या इन्सान नही हैं?
ReplyDeleteडॉक्टर जमील अहसन का शेर है न..
बड़ी आसानी से मशहूर किया है खुद को,
हमने अपने से बड़े लोगो को गाली दी है...
हो सके तो एक बार इसे जरूर पढ़ना..
ReplyDeletehttp://mereerachana.blogspot.com/
वह तो हारे जाँ-बाजों की बदौलत हम बच गये वरना ये आतंकी तो और कितनों को छुडवा कर ले जाते । एक पकड् गया तुकाराम ओंबाले की दिलेरी के बदौलत लेकिन उन्हें उतना कवरेज भी नही मिल रहा, बडे आदमी जो नही थे । उनसे ये सीख तो ली जा सकती है कि शस्त्र से भी ज्यादी दिलेरी और सूझ बूझ काम आती है ।
ReplyDelete