Tuesday, August 06, 2024

अयोध्या से अखिलेश यादव की हवा बनी, अब वहीं से बिगड़ रही है

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी



भव्य राम मंदिर का निर्माण कराकर भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद थी कि, उत्तर प्रदेश सहित पूरा देश शानदार तरीके से जीत लेगी, लेकिन फैजाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी लल्लू सिंह ने भाजपा को लल्लू बना दिया। भव्य राम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा ने कराया, लेकिन फैजाबाद लोकसभा से सांसद बन गए अवधेश प्रसाद। अवधेश प्रसाद फैजाबाद लोकसभा सीट की पाँच सीटों में से एक मिल्कीपुर सुरक्षित से समाजवादी पार्टी विधायक थे। पाँच विधानसभा में यही एक विधानसभा थी, जहां 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी जीती थी। अब अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद क्या हुए, अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। खूब जमकर प्रचार प्रसार हुआ। लोकसभा में, मुंबई में कहीं भी जाते थे तो अखिलेश यादव हमेशा अवधेश प्रसाद का हाथ पकड़ कर साथ ले जाते थे। पहली बार के सांसद हैं उनको फिर भी पहली सीट दे दी। भारतीय जनता पार्टी के फैजाबाद सीट हार जाने और उत्तर प्रदेश में 33 सीटों पर रह जाने को लेकर जाने कितने मीन बने, जाने कितना हास्य हुआ। कुछ कॉमेडियन रात को सोते से उठने पर भारतीय जनता पार्टी के फैजाबाद हार जाने को याद करके हंसते हंसते गिर पड़ रहे थे। यह भी महज संयोग नहीं था कि, ऐसे सारे लोग राम मंदिर बनने के विरोधी थे। राम मंदिर का निमंत्रण मिलने के बाद भी राजनेताओं का बड़ा वर्ग सिर्फ इसलिए अयोध्या नहीं गया कि, राम मंदिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी की वजह से बना है। अयोध्या का कायाकल्प हो गया था। फिर भी भाजपा अयोध्या वाली फैजाबाद सीट हार गई तो अखिलेश यादव और पूरा विपक्षी खेमा उसे ओलंपिक में मिले गोल्ड मेडल की तरह क्यों इस्तेमाल करता। भले ओलंपिक में गोल्ड मेडल की सूची में भाजपा उनसे बहुत ऊपर थी। अयोध्या से अखिलेश यादव का माहौल गजब बन गया था। ऐसा माहौल कि, सामान्य सीट पर अवधेश प्रसाद पासी को लड़ाकर जिता दिया। देश भर में अखिलेश यादव का गजब माहौल बना हुआ था। बहुत हद तक स्वाभाविक माहौल था और उत्तर प्रदेश में मिली अप्रत्याशित जीत के वातावरण को चढ़ाए रखने का अवसर भी अखिलेश यादव को मिल गया था, लेकिन कहा जाता है कि, अकसर ऐसा होता है कि, जिस बात से शक्ति मिलती है, वही कई बार कमजोरी की वजह बन जाती है। 

अयोध्या में एक बेटी के साथ हुए दुष्कर्म ने अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद की बनी बनाई हवा फुस्स कर दी। फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के साथ दुष्कर्म के आरोपी मोइद खान की तस्वीरें दिखीं और पत्रकारों ने अवधेश प्रसाद से पूछा तो अंग्रेजी बोलकर उसे टाल गए। इतना ही नहीं पत्रकारों को भी धमकाने की कोशिश की। मोइद खान के साथ सिर्फ अवधेश प्रसाद की तस्वीरें ही नहीं थी। मोइद खान समाजवादी पार्टी का पदाधिकारी था। इस सबके बावजूद अखिलेश यादव के मुँह से एक बोल नहीं फूटा। अखिलेश यादव उस दुष्कर्म के आरोपी का बचाव करते रहे और अखिलेश यादव जब बोले भी तो दुष्कर्म के आरोपी मोइद खान को बचाते दिखे कि, डीएनए टेस्ट कराकर इंसाफ का रास्ता निकाला जाए कि केवल आरोप लगाकर सियासत की जाए। जो भी दोषी हो उसे कानून के हिसाब से पूरी सजा दी जाए, लेकिन अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित हो तो सरकार के संलिप्त अधिकारियों को भी बख्शा जाएगा। उस बेटी के साथ दुष्कर्म ने सबके आंसू निकाल दिए थे, लेकिन अखिलेश यादव उस व्यक्ति को पार्टी से निकाल तक नहीं पाए। अयोध्या ने बड़ी हवा बनाई, अखिलेश की 37 की विजय अगर 36 सीट रही होती, समाजवादी पार्टी अयोध्या अगर जीत पाई होती तो यकीन मानिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी के साथ पूरा विपक्ष जो कह रहा था कि, राम के हर स्थान पर हार गए, वो सब नैरेटिव ध्वस्त हो जाता, लेकिन पता नहीं प्रभु श्री राम ने शायद प्रायश्चित का अवसर दिया था। जो लोग राम मंदिर का विरोध भी करते थे, जो लोग देखने भी नहीं गए, लोग दर्शन करने नहीं गए। फैजाबाद लोकसभा सीट जीत गए, लेकिन अब देखिए क्या कर रहे हैं और अब यूं लग रहा है कि जिस अयोध्या ने अखिलेश यादव की हवा खूब जम कर बना दी। अब उसी अयोध्या से अखिलेश यादव की हवा पूरी तरह से बिगड़ती दिख रही है, एकदम से ध्वस्त होती दिख रही है।

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