Tuesday, February 02, 2021

भारत के नीतिगत बदलाव का ऐतिहासिक बजट Historic Budget 2021



हर्ष वर्धन त्रिपाठी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों के साथ बजट भाषण की शुरुआत करते हुए भारत की ऑस्ट्रेलिया पर चमत्कारिक जीत का उल्लेख किया। और, चाइनीज वायरस से उबरकर दुनिया के लिए उम्मीद करी किरण दिखाने वाले भारत का ऐसा ऐतिहासिक बजट पेश किया है जो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कही गई बात को नीतिगत तौर पर स्थापित करता है। २१वीं शताब्दी में भारत विश्व की अग्रिम पंक्ति के देशों में शामिल होगा, लेकिन यह सब कैसे हो पाएगा, इसे स्पष्ट तौर पर बताने वाली नीति समझना मुश्किल था। उसकी वजह यही होती थी कि एक तरफ़ नरेंद्र मोदी सरकार पर पूँजीवादी व्यवस्था बढ़ाने का आरोप लगता और दूसरी तरफ़ समाजवादी नीतियों के तहत चलने वाली योजनाएँ सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा गप कर जा रहीं थीं और इसीलिए भारत की आर्थिक नीति को लेकर बार-बार यह प्रश्न खड़ा हो रहा था कि आख़िर सरकार किस दिशा में जाना चाह रही है और अगर विपरीत दिशा में मुँह करके खड़े पूंजीवाद-समाजवाद के दोनों घड़े इसी तरह अपनी दिशा में जाते रहे तो आर्थिक रथ तो किसी दिशा में निर्णायक बढ़त ले ही नहीं पाएगा। चाइनीज़ वायरस से जीत के बाद के इस बजट से यह स्पष्ट हुआ कि नरेंद्र मोदी की सरकार तो पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही है और ही चुनाव जीतने के लिए समाजवादी लोक लुभावन नीतियों पर आश्रित है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का आर्थिक दृष्टिकोण स्पष्ट है। प्रधानमंत्री बनने से पहले और उसके बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बात स्पष्ट तौर पर कहते रहे कि सरकार का काम कारोबार करना नहीं है और मोदी सरकार के पहले पाँच वर्ष रहे हों या फिर दूसरे कार्यकाल की शुरुआत, यह स्पष्ट तौर पर दिखा, इसी को नरेंद्र मोदी की सरकार में अंग्रेज़ी में मिनिमिम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस कहा जाता रहा। हिंदी में इसे सुशासन कह सकते हैं, लेकिन सुशासन का मतलब क्या। इसे नरेंद्र मोदी समझाते हुए कहते थे कि सरकार का काम उद्योग और समाज के हर क्षेत्र की बेहतरी के लिए नीतियाँ बनाना है और उन नीतियों को सही से क्रियान्वित किया जा सके, इसे पुख़्ता करना है। इसके लिए ज़रूरी है कि सरकार की कारोबार में कम से कम दख़लंदाज़ी हो। क्योंकि, नीतियाँ बनाने वाला ही नीति को तोड़मरोड़ कर अपने पक्ष में लागू करने की स्थिति में होगा तो उससे बड़ा नुक़सान हो सकता है। देश में सरकारी कंपनियों को कम से कम करना, इसी व्यवस्था का सबसे ज़रूरी हिस्सा है। 


2021 का बजट देश की स्वतंत्रता के बाद पहला ऐसा बजट होगा, जिसमें सरकार के कारोबार से दूर हटने की नीति को एकदम स्पष्ट तौर पर बताया गया है। 2 सरकारी बैंकों को निजी हाथों में सौंपकर रक़म जुटाने, सरकारी कंपनियां की ज़मीन को बेचकर धन जुटाने और एलआईसी की आईपीओ लाकर रक़म जुटाने का बजट में एलान उसी दिशा में मज़बूती से और बिना किसी अपराध बोध के बढ़ाया गया कदम है। उस समय जब देश की राजधानी दिल्ली में कृषि क़ानूनों के विरोध में पंजाब के कुछ बड़े किसान और देश की कुछ किसान यूनियनें सरकार पर सब कुछ निजी हाथों में बेच देने का आरोप लगा रही हैं, ऐसे समय में बजट में स्पष्ट तौर पर सरकार की नीति के बारे में कहना मामूली साहस नहीं है। बीपीसीएल, आईडीबीआई, एयर इंडिया, शिपिंग कॉर्पोरेशन, भारत अर्थमूवर को अगले वित्तीय वर्ष में सरकार बेचकर रक़म जुटा लेगी। पौने दो लाख करोड़ विनिवेश के ज़रिये जुटाए जाएँगे, लेकिन यहाँ यह महत्वपूर्ण है कि सरकार इस जुटाई गई रक़म का क्या करेगी। 

अब इसे समझने के लिए पहले बजट का आकार समझना ज़रूरी है। भारत सरकार ने पिछली बार के 30 लाख 20 हज़ार करोड़ रुपये से बढ़ाकर इस बार क़रीब 35 लाख करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव पेश किया है। बजट प्रस्ताव में इस बार रिकॉर्ड बढ़ोतरी की गई है। सरकार को पिछले बजट प्रस्तावों को पूरी करने के लिए अगले दो महीने में अभी 80 हज़ार करोड़ रुपये और चाहिए। बाज़ार से सरकार ने 12 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़ उठाया है। इन सब वजहों से इस वित्तीय वर्ष में सरकार का वित्तीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहने वाला है, इसे अगले वित्तीय वर्ष 2022 में 6.8 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है और सबकुछ तय योजना के मुताबिक़ चला तो 2025-26 तक वित्तीय घाटा 4.5 प्रतिशत तक लाया जा सकेगा। और, पहले से ही इतने कठिन लक्ष्यों के बावजूद सरकार ने बजट प्रस्ताव बढ़ाए और उसमें भी देश की आधारभूत संरचना को बेहतर करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर क़रीब 35 प्रतिशत बढ़ाकर 5 लाख 54 हज़ार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ने का सीधा सा मतलब ऐसे समझिए कि सरकारी बजट से रेलवे, अस्पताल, विद्यालय, विश्वविद्यालय, पुल, हवाई अड्डे, बंदरगाह और ऐसे सभी बुनियादी ढाँचे को तेज़ी से बनाया जाएगा। लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनेगा और 100 नये सैनिक स्कूल बनेंगे। यही मोदी सरकार की आर्थिक नीति को स्पष्ट कर देता है। 


इस समय देश को सबसे ज़्यादा इसी बात की ज़रूरत थी कि बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करके सरकार देश में उद्योगों के लिए बेहतर माहौल तैयार करे। उद्योग का मतलब सिर्फ़ कार, मोटरसाइकिल, एसी या इस तरह के उपभोग के सामान तैयार करना भर नहीं है। इसमें कृषि उद्योग, सेवा उद्योग को भी शामिल करके देखने की ज़रूरत है। इसीलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि मई में 5 मिनी बजट के ज़रिये 27 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का आर्थिक पैकेज देने के बाद भी सरकार ने बुनियादी ढाँचे को ज़्यादा बेहतर करके कारोबार की गति तेज़ करने की नीति पर अमल किया है। इसमें सिर्फ़ इतना भर नहीं है कि घरेलू उद्योग बेहतर करें और देश में आर्थिक तरक़्क़ी का चक्का तेज़ी से घूमे। दरअसल, इसी में यह भी छिपा है कि 21वीं शताब्दी में चीन से भारत की तरफ़ आशा की उम्मीद में देख रही दुनिया को निराश होना पड़े। वायरस काल ने सबक़ दिया है कि बीमा के दायरे में हर भारतीय का आना आवश्यक है, इसके लिए बीमा क्षेत्र में बड़ा सुधार किया गया है। इंश्योरेंस एक्ट 1938 में बदलाव करके बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी गई है। बजट में वित्त मंत्री ने कहाकि राज्यों को भी विनिवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगे। 7 बड़े बंदरगाह निजी हाथों में सौंप दिए जाएँगे। अगले वर्ष नई गैस ट्रांसपोर्ट संस्था काम करने लगेगा। सिक्योरिटा मार्केट कोड शुरू होगा। गिफ़्ट सिटी को फाइनेंशिल हब बनाने की कोशिश होगी। सिटी गैस 100 नये ज़िलों में पहुँच जाएगी। सार्वजनिक बसों के लिए 18000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उज्ज्वला योजना के तहत एक करोड़ नये परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन दिया जाएगा। दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात है तो बैंकों को नक़दी की कमी हो, इसके लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 20 हज़ार करोड़ रुपये डेवलमेंट फ़ाइनेंशियल इंस्टिट्यूट शुरू किया जा रहा है, जिसका पोर्टफ़ोलियो अगले तीन वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपये तक करने का है। नेशनल इंफ़्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में कुछ 7400 परियोजनाएँ पूरी की जानी हैं। रेल बजट प्रस्ताव एक लाख दस हज़ार करोड़ रुपये का है। देश के पूर्ण विद्युतीकरण का कार्य 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 


दरअसल, पूरा बजट 6 बिंदुओं पर टिका हुआ है। स्वास्थ्य और सुरक्षा,  फ़िज़िकल, फ़ाइनेंशियल, कैपिटल एंड इंफ़्रास्ट्रक्चर, आशावान भारत के लिए समग्र विकास, मानव संसाधन को नये सिरे से ऊर्जावान बनाना, शोध, विकास में नवाचार और सुशासन। यही 6 बिंदु हैं जो सुशासन या अंग्रेज़ी में बार-बार कहे जाने वाले मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस की तरफ़ ले जाते हैं। सभी को शिक्षा देना सरकार की प्राथमिकता में है। विदेशी निवेश को ध्यान में रखते हुए 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क शुरू किए जाएँगे। 13 क्षेत्रों के लिए जल्द ही PLI योजना लाई आएगी। वित्त मंत्री ने कहाकि अर्बन जलजीवन मिशन पर अगले 5 वर्ष में 2.87 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। 64180 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान से आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना अगले 6 वर्षों तक चलेगी। 17 हज़ार ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र, 17 नये आपातकालीन स्वास्थ्य केंद्र इसी योजना का हिस्सा हैं। वायरोलॉजी के 5 नये क्षेत्रीय संस्थान बनाए जाएँगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि वायरस के क़हर से भारत अपने को बचाने में काफ़ी हद तक सफल रहा है और भारत सबसे कम मृत्यु दर रही है। सरकार लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए मिशन पोषण 2.0 शुरू कर रही है, सभी राज्यों का हेल्थ डाटा बेस तैयार किया जाएगा।


कृषि क़ानूनों को लें अराजकता की हद तक गये यूनियन के नेताओं को भी बजट में आईना दिखाया गया है और सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि किसानों की बेहतरी के रास्ते से पीछे नहीं हट सकते। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार ने  उपज की सरकारी ख़रीद लगातार बढ़ाई और लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बताया कि 2013-14 मनमोहन सरकार के आख़िर में गेहूं की सरकारी ख़रीद 33,874 करोड़ रुपये की हुई थी और मोदी सरकार में 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपय की गेहूं की सरकारी ख़रीद हुई और 2020-21में 75,000 करोड़ रुपये की सरकारी ख़रीद हुई। मोदी सरकार में ही 2019-20 में 35.57 लाख किसानों को सरकारी ख़रीद का लाभ मिला और मोदी सरकार में 2020-21 में 43.36 लाख किसानों को सरकारी ख़रीद का लाभ मिला। 2013-14 में धान की सरकारी ख़रीद 63,928 करोड़ रुपये की हुई थी और 2019-20 में 1,41,930 करोड़ रुपये और 2020-21 में 1,72,752 करोड़ रुपये की सरकारी ख़रीद मोदी सरकार ने की थी। अराजक किसानों नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे दूसरे भ्रम का भी जवाब बजट में वित्त मंत्री ने दिया है। एपीएमसी मंडियों में बुनियादी सुविधाएँ बेहतर करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्टचर फंड का उपयोग किया जा सकता है। 1,000 नई मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक मंडी सिस्टम से जोड़ा जाएगा। ग्रामीण बुनियादी क्षेत्र के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है जो पिछले साल से 10,000 करोड़ रुपये ज़्यादा है। कृषि क़र्ज़ 16.5 लाख करोड़ देने का लक्ष्य रखा गया है। 

चुनावी राज्यों के लिए वित्त मंत्री ने खजाना खोला है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम को मिले 2.27 लाख करोड़ रुपये बजट में मिले हैं। पश्चिम बंगाल में कोलकाता-सिलीगुड़ी के लिए नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट होगा. बंगाल में राजमार्ग पर 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. बंगाल में 675 किमी राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा। वित्त मंत्री ने 3500 किमी नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट के तहत तमिलनाडु में 1.03 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का भी एलान किया। इसका कंस्ट्रक्शन अगले वर्ष शुरू होगा। 1100 किमी नेशनल हाईवे केरल में बनेगा। इसके तहत मुंबई-कन्याकुमारी कॉरिडोर भी बनेगा। केरल में इस पर 65 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। 34 हजार करोड़ रुपए असम में नेशनल हाईवेज पर खर्च होंगे, लेकिन एक सवाल चुभ रहा है कि करदाताओं को क्या मिला। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ के मौक़े पर 75 वर्ष से ऊपर के लोगों की पेंशन और ब्याज पाने वालों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की ज़रूरत नहीं और टैक्स असेसमेंट दोबारा खोलने की समय सीमा अब घटा दी गई है। अब 3 वर्ष तक ही टैक्स असेसमेंट के मामले दोबारा खोले जा सकेंगे और बेहद गंभीर मामलों में 50 लाख से ज़्यादा आय की हेराफेरी का प्रमाण मिलने पर ही 10 वर्ष तक ऐसे मामले खुल सकेंगे, हालाँकि इसके लिए भी प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर से स्वीकृति लेनी पड़ेगी। सामान्य करदाताओं को किसी भी तरह की छूट भले नहीं मिली है, लेकिन देश की आर्थिक नीतियों में आई स्पष्टता देश के मध्यवर्ग को बड़ी सहूलियतें देने की पक्की ज़मीन तैयार करती दिख रही है। अभूतपूर्व स्थितियों में यह बजट अभूतपूर्व बनाया गया है। 

(यह लेख दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में छपा है)

17 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत ढंग से अपने देश को बजट को समझाया है हम लोग 20 को समझ सकते हैं कि सरकार कितनी बढ़िया से हमारे देश को आगे बढ़ाना चाह रही है जय हो मोदी सरकार की हम खुश हैं

    ReplyDelete
  2. तर्क व सारगर्भित टीका.

    ReplyDelete
  3. हर्ष जी नमस्ते, आपको सुनकर औऱ पढ़ कर और कुछ सुनने या पढ़ने की आवश्यकता ही नही पड़ती सुंदर और तार्किक बजट विवेचना।सादर अभिवादन।

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. इस सटीक विश्लेषण को हम सब तक पहुंचाने के लिये आभार

    ReplyDelete
  6. ऐतिहसिक बजट का अदभुत विश्लेषण।
    अभिनंदन और आभार।

    ReplyDelete
  7. આપણે સરળ ભાષામાં વીષલેશન કરકે સટીક જાણેકારી આપી

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. लाजवाब हर्ष ji , शानदार बजट है । में हमेशा आपके video देखता हूं जिसमें मुझे सच्चाई नज़र आती है ।

    ReplyDelete

हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi अभी सकट चौथ बीता। आस्थावान हिन्दू स्त्रियाँ अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखत...