हर्ष वर्धन त्रिपाठी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क़रीब 21 लाख करो़ड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज का एलान कर चुके हैं। चाइनीज़ वायरस से लगभग ठप हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे कम में चलाया भी नहीं जा सकता था। आत्मनिर्भर भारत पैकेज में सबसे कमजोर वर्ग को राशन उपलब्ध कराने, लोगों के हाथ में कुछ रक़म देने और किसानों के हाथ में साल का 6000 रुपये देने से लेकर छोटे-मंझोले उद्योगों को आसानी से क़र्ज़ मिलने की व्यवस्था की गई। साथ ही क़र्ज़ लेने वालों को ईएमआई आगे बढ़ाने का विकल्प भी दे दिया गया। कुल मिलाकर चाइनीज़ वायरस से प्रभावित भारत में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के ज़रिये किए गए एलानों को अगर देखें तो लगभग बजट जैसा ही प्रस्तुत किया जा चुका है। फिर 1 फ़रवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से क्या नया पेश करने की उम्मीद की जा सकती है। इसे समझने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ही ध्यान से सुनना ज़रूरी है। बजट कैसा होगा, इसे समझाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि, इस बार का बजट इस तरह से बनाया जा रहा है, जैसा पिछले 100 वर्षों में नहीं बना होगा। यह बात उन्होंने उद्योग संगठन सीआईआई के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कही थी। वित्त मंत्री ने आगे कहाकि इस तरह की महामारी के बाद भारत एक ऐसा बजट पेश करेगा जो पिछले 100 वर्षों में नहीं पेश किया गया होगा। हमारा आकार, हमारी जनसंख्या और हमारी क्षमता के लिहाज़ से हम कुछ दूसरे देशों के साथ विश्व की आर्थिक तरक़्क़ी के अगुआ देश बनेंगे।
वित्त मंत्री के इस बयान से संकेत समझने की कोशिश करें तो भारत, बदली अंतरराष्ट्रीय स्थितियों के लिहाज़ से ख़ुद को चीन का विकल्प पेश करने के लिहाज़ से यह बजट तैयार कर रहा है, लेकिन इसमें क्या हो सकता है और कैसे हो सकता है, यह बड़ा प्रश्न है क्योंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही क़रीब 21 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत का पैकेज दे चुके हैं और इसकी नियमित समीक्षा करते वित्त मंत्रालय ने इस योजना की ताज़ा स्थिति लगातार बताकर लोगों में भरोसा पैदा करने की कोशिश की है। भारत का 2020-21 का कुल बजट 30,42,230 करोड़ रुपये का था, इसमें से 22,45,893 करोड़ रुपये की कमाई का अनुमान सरकार ने लगाया था। सरकार का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत था और सरकार बेहतर वित्तीय अनुशासन के साथ इस लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ़ बढ़ भी रही थी, लेकिन चाइनीज़ वायरस से अर्थव्यवस्था ठप होने से इस लक्ष्य पर अब चर्चा करना भी ठीक नहीं है। ज़्यादातर अर्थशास्त्री राजकोषीय घाटा 7-7.5 प्रतिशत तक जाने का अनुमान लगा रहे हैं। और, इस समय सरकार को घाटे की चिंता छोड़कर हर हाल में माँग और आपूर्ति के चक्र को पटरी पर लाने के लिए जमकर खर्च करने और लोगों के हाथ में नक़दी देने का सुझाव दे रहे हैं। साथ ही इस बजट में एक और एलान डूबते क़र्ज़ों को एक साथ मिलाकर बैंड लोन बैंक में डालने और बैंकों को नक़दी उपलब्ध कराने का भी हो सकता है।
ज़ाहिर है, अभी की स्थितियों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण का सबसे बड़ा हिस्सा देश पर आई इस सबसे बड़ी विपदा की चुनौतियों और उससे निपटने में सरकार की कोशिशों के बारे में बताने में ही जाने वाला है। अच्छी बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब एक फ़रवरी को बजट भाषण पढ़ रही होंगी, तब तक चाइनीज़ वायरस के लिहाज़ से संवेदनशील बड़े वर्ग को टीका लग चुका होगा। सिर्फ़ मोदी सरकार ही नहीं, बल्कि अब तक के सभी बजट से ज़्यादा स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर इस बार के बजट में बात और एलान होना वाला है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी से अर्थव्यवस्था की कितना सीधा संबंध है, इस महामारी ने अच्छे से समझा दिया है। इसके बाद संचार पर पर सरकार का विशेष ध्यान रहेगा। वैसे पिछले बजट में भी सरकार ने जिन 13 मंत्रालयों का बजट सबसे ज़्यादा बढ़ाया था, उसमें पहले स्थान पर संचार ही था। संचार मंत्रालय का बजट 129%, दूसरे स्थान पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का बजट 30% और गृह मंत्रालय का बजट 20% बढ़ाया गया था। चाइनीज़ वायरस ने घर से कार्य करने की संस्कृति पर ज़ोर दिया है और इसके लिए संचार सुविधा का बेहतर होना अतिआवश्यक है। भारत 5जी तकनीक की तरफ़ कैसे आगे बढ़ रहा है, इस पर इस बजट में ज़्यादा स्पष्टता दिख सकती है।
कृषि क़ानूनों को फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया है, लेकिन जिस तरह से दिल्ली को बंधक बनाकर रखा गया और अराजकता के सामने सरकार आत्मसमर्पण की मुद्रा में दिखी, उससे सरकार पर कृषि क्षेत्र में ज़्यादा बजट आवंटन के लिए पहले से ज़्यादा दबाव बना हुआ है। हालाँकि, नरेंद्र मोदी सरकार का पिछला और लगभग सभी बजट गाँव और किसान को ध्यान में रखकर ही बनाए गए दिखते हैं। सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा इंफ्रास्ट्रक्टर पाइपलाइन का एलान पहले ही कर रखा है। 2025 तक देश में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में जिस बड़े पैमाने पर सुधार की ज़रूरत होगी, उसकी पक्की बुनियाद भी इस बजट में पड़ती हुई अवश्य दिखेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग संगठन सीआईआई के कार्यक्रम में विश्व की आर्थिक तरक़्क़ी के अगुआ देश के तौर पर भारत की पहचान मज़बूत करने की बात इस बजट में की थी और चीन से निकलकर आने वाली कंपनियों को भारत लाने को ध्यान में रखकर विदेशी निवेश पर कुछ बड़े एलान हो सकते हैं। नये विदेशी निवेश और उसके आधार पर पैदा हो रहे रोज़गार के अवसरों के के आधार पर राज्यों के लिए प्रोत्साहन योजना का भी एलान हो सकता है।
अच्छी बात है कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी मानक अब बेहतर राह पर जाते दिख रहे हैं, लेकिन आत्मनिर्भर भारत पैकेज में छूटा भारत का मध्यवर्ग और भूमिहीन खेतिहर मज़दूर अभी भी बेहतरी के रास्ते तक पहुँच नहीं पा रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि इन दोनों वर्गों के लिए 100 वर्षों में एक बार बनने वाले इस बजट में कुछ विशेष होगा।
(यह लेख Money 9 में छपा है)
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2021) को "कंकड़ देते कष्ट" (चर्चा अंक- 3963) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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