हर्ष वर्धन त्रिपाठी
किसान आंदोलन को सोशल मीडिया पर भरपूर समर्थन शुरू से ही मिल रहा है और इसे भारत में जीवंत लोकतंत्र के प्रमाण के तौर पर देखा जा सकता है। किसान को अन्नदाता के तौर पर देश में मिलने वाला सम्मान ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया पर समर्थन के तौर पर स्पष्ट दिख रहा है। हर क्षेत्र के लोग बिना इस बात को समझे कि किसान आंदोलन के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उसमें बुनियादी तौर पर कितनी मज़बूती है, सिर्फ़ इसलिए समर्थन में खड़े हो गए कि इससे देश के किसानों के अधिकारों में जरा सा भी कमी न आ जाए। दिल्ली की सीमाओं पर क़रीब ढाई महीने से ज़्यादा इस आंदोलन के बीत जाने, 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर उत्पात और लाल क़िले पर शर्मसार करने वाली हरकतों के बाद भी लोगों को लग रहा है कि सबसे अच्छी बात यही है कि किसानों के साथ किसी तरह का कोई अत्याचार नहीं हुआ। केंद्र की सरकार और दिल्ली पुलिस ने ख़ुद को लगभग अपमानित स्थिति में रखकर भी किसानों पर लाठी-गोली चलाने का असंवेदनशील कार्य नहीं किया। यही भारतीय लोकतंत्र की ताक़त है, लेकिन दुर्भाग्य से भारतीय लोकतंत्र की इस मूलभूत ताक़त का दुरुपयोग अब सोशल मीडिया के ज़रिये हो रहा है और अमेरिका में अलोकतांत्रिक, एक पक्षीय भूमिका निभाने के बाद भारत में भी सोशल मीडिया भारतीय संविधान से इतर अपना क़ानून चलाने की कोशिश कर रहा है।
26 जनवरी को लाल क़िले और दिल्ली की सड़कों पर हुए शर्मनाक कृत्य के दौरान, उसके पहले और बाद कई ट्विटर खातों से लगातार भड़काऊ ट्वीट किए जा रहे थे, वीडियो साझा किए जा रहे थे। दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट तौर पर बताया कि ढेरों ट्विटर खाते पाकिस्तान और कनाडा से चलाए जा रहे हैं और उनसे भारत विरोधी गतिविधियाँ चलाई जा रही है। इसके अलावा भारत में ढेरों ऐसे ट्विटर खाते चल रहे हैं जो भारत की एकता और अखंडता के लिए ख़तरनाक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों का नरसंहार करने की योजना बना रहे हैं, इस मक़सद का आधारहीन, झूठा, वैमनस्य और हिंसा फैलाने वाला ट्रेंड ट्विटर पर चला और सरकार की चेतावनी के बावजूद ट्विटर ने इसे 24 घंटे बाद फिर से चला दिया। सरकार ने पहले 257 ट्विटर खातों को निलंबित करने को कहा, जिनसे भारत विरोधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ आधारहीन अभियान चलाया जा रहा है। ट्विटर ने सिर्फ़ 126 खातों को ही निलंबित किया। इसके बाद ज़हरीले अभियान चलाने वाले 1178 खातों की सूची आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को सौंपी, लेकिन ट्विटर ने सिर्फ़ 583 खातों को ही निलंबित किए। कमाल की बात यह भी रही कि भारत में निलंबित खाते भी भारत से बाहर मज़े से चलते रहे।
सरकार की तरफ़ से ट्विटर को कड़ी चेतावनी को नोटिस दिया गया और नोटिस जिस इंफ़ॉरमेशन एक्ट के 69ए के तहत दिया गया, उसमें ट्विटर के अधिकारियों को सात वर्ष तक की सज़ा भी हो सकती है, लेकिन इस सबके बावजूद ट्विटर ने भारत सरकार के सूचना तकनीक मंत्रालय के सचिव अजय साहनी के बीच होने वाली बैठक से पहले ट्विटर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए नेताओं, पत्रकारों और ऐसे दूसरे लोगों के खाते निलंबित करने से साफ़ इनकार कर दिया। कमाल की बात है कि कैपिटल हिल, अमेरिका में हुई हिंसा के दौरान ट्विटर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक का ट्विटर खाता निलंबित कर दिया था और उनके समर्थकों के भी खाते रद्द कर दिए गए थे। सवाल यह है कि क्या ट्विटर भारत में अपनी मनमर्ज़ी के क़ानून बनाएगा और चलाएगा। क्या संविधान के दायरे से बाहर जाकर ट्विटर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों का मज़ाक़ बनाएगा। इस सबके ट्विटर की तरफ़ से जिस तरह का सार्वजनिक बयान आया है, वह पूरी तरह से भारत के संवैधानिक दायरे को तोड़ता दिखता है। भारत के चुने हुए प्रधानमंत्री पर आधारहीन, झूठा आरोप लगाने वाला हैशटैग चलवाना, ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी का किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सेलेब्रिटीज़ का ट्वीट लाइव करना और इससे पहले भी अपारदर्शी नीतियों के जरिये लोगों के ट्विटर खाते को बढ़ाना या बर्खास्त कर देना दिखाता है कि ट्विटर को संविधान के आधार पर तय भारत सरकार के क़ानूनों की जरा सा भी परवाह नहीं है।
अब भारत सरकार के इलेट्रॉनिक और सूचना तकनीक मंत्रालय ने ट्विटर के ब्लॉग की जवाब भारतीय सोशल मैसेजिंग एप कू पर दिया, इलेक्ट्रॉनिक, सूचना तकनीक मंत्रालय सहित कई मंत्रालय कू एप पर खाता बना चुके हैं और सरकार की तरफ़ से यह संदेश दिया गया कि बैठक से पहले इस तरह का सार्वजनिक बयान ठीक नहीं है, लेकिन इसके बाद सचिव के साथ ट्विटर के अधिकारियों की बैठक बुधवार शाम हुई है। माना जा रहा है कि सचिव के साथ ट्विटर के अधिकारियों की बैठक में सरकार की तरफ़ से कड़ा रुख़ अपनाया गया है, लेकिन असली सवाल वही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का खाता रद्द कर उसे हिंसा फैलाने से रोकने की कोशिश और भारत में हिंसा फैलाने वाले आधारहीन, झूठ ट्विटर ट्रेंड को बढ़ाने वाले खातों पर कोई कार्रवाई न करके ट्विटर ने भारतीय संविधान, लोकतंत्र, भारत सरकार की प्रतिष्ठा को कमतर करने की जो कोशिश की है, उसकी भरपाई के लिए क्या भारत सरकार कड़े कदम उठाएगी और दुनिया की कंपनियों को स्पष्ट संदेश देगी कि भारत में भारत के ही नियम क़ानूनों के लिहाज़ से चलना होगा और भारतीय लोकतंत्र में अराजकता फैलाने की इजाज़त किसी को नहीं है। मोदी सरकार की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर नज़र रखने वालों की नज़र इस फ़ैसले पर विशेष तौर पर लगी हुई है।
(यह लेख https://hindi.moneycontrol.com/news/country/omparing-capitol-riot-and-r-day-violence-narendra-modi-gov-is-warning-to-twitter-on-blocking-accounts-farmer-protest_255299.html पर छपा है।
Sir aap अपने ब्लॉग को थोड़ा अच्छा डिजाइन करो।
ReplyDeleteDesi social media ka upyog karna hoga
ReplyDeleteहा चाचा आप koo पर गु गोबर फैलवो वहा ही आप ठीक राहोगे. ट्विटर पर आप लोग बोहोत गंदगी करते हो 🤣
Deleteसोशल मीडीया पर आन्दोलन को समर्थन नही हे
ReplyDeleteपर सही बोलने वालो को ब्लाक कीया जारहा है
हमेशा की तरह सटीक जानकारी, अभिवादन।
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteशानदार आलेख
ReplyDeleteJai hind sir.
ReplyDeleteदेश विरोधी सोसल मीडिया के खिलाफ मुहिम चलाइये हम आपके साथ है।
Ban Twitter
ReplyDeleteगोबर भक्तो आप देसी Koo पर अपना गोबर फैलावो तुम्हारे मोरवाले चाचा मे हिम्मत होगी तो ट्विटर बंद कर के दिखाये, तुम गोबरभक्तो अपने चाचा से पूछो वो ट्विटर कब बॅन कर रहे है 🤣
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