हिन्दुस्तान में हर आदमी एक बात पक्के तौर पर जानता
है। वो बात ये है कि अडानी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। इसी आधार पर
वो हिन्दुस्तान का हर आदमी ये भी जानता है कि देश के प्रधानमंत्री से दोस्ती का
फायदा अडानी की कम्पनियों को जमकर मिलता रहता है। कई लोग तो चौक-चौराहे पर खड़े
ऐसे बात करते हैं, जैसे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अडानी की
कम्पनियों के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से अडानी
को फायदा मिलने की ये जो धारणा देश के लोगों में बनी है, उसके पीछे बहुत मजबूत
आधार हैं। नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते अडानी समूह ने गुजरात में
कई बड़ी परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया। और जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री
बने की यात्रा शुरू कर रहे थे, तो शेयर बाजार में गौतम अडानी के अडानी समूह को तो
जैसे पंख लग गए थे। नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का असर था कि 13
सितम्बर 2013 को जिस अडानी एंटरप्राइजेज का बाजार भाव 141 रुपये था, वही अडानी
एंटरप्राइजेज 2014 में लोकसभा चुनाव होने के ठीक पहले के महीने यानी अप्रैल 2014
में 471 रुपये पर बिक रहा था। अडानी समूह की मुख्य कम्पनी अडानी एंटरप्राइजेज के साथ
अडानी समूह की दूसरी कम्पनियों को भी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री की कुर्सी की
तरफ बढ़ने का जबरदस्त फायदा मिला था। मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मदवारी के दिन
यानी 13 सितम्बर 2013 को अडानी पावर की भाव 36 रुपये था और नरेंद्र मोदी के
प्रधानमंत्री की कुर्सी के नजदीक पहुंचते तक अडानी पावर 53 रुपये से ज्यादा का हो
गया। अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पावर की ही तरह अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड को भी इसका
अच्छा खासा फायदा मिला था। 13 सितम्बर को 136 रुपये वाला अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड
अप्रैल 2014 में ही 196 रुपये का बिकने लगा था।
अब इस मजबूत आधार पर कोई भी अपनी कल्पना के
घोड़े दौड़ाकर बता सकता है कि इस समय अडानी की कम्पनियों का भाव आसमान पर होना
चाहिए। लेकिन, जरा अपनी कल्पना के घोड़े को लगाम लगाइए। दरअसल, बाजार सब धीरे-धीरे
बराबर कर देता है। ऐसा ही कुछ अडानी समूह की कम्पनियों के साथ भी हुआ। गौतम अडानी
के दोस्त नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे, तो अडानी को फायदा होगा। इस भावना को
बाजार ने हाथोंहाथ लिया। लेकिन, एक बार जब मई 2014 को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
बन गए, तो बाजार ने अडानी की कम्पनियों का कम्पनी के आधार पर मूल्यांकन करना शुरू
कर दिया। बाजार की भाषा में कहें, तो कम्पनी ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद
इस आधार को अडानी के सन्दर्भ में डिस्काउंट कर दिया।
अब अडानी समूह की कम्पनियों की शेयर बाजार में
आंकी जा रही हैसियत की बात कर लेते हैं। अडानी एंटरप्राइजेज की कीमत जुलाई 2013
में 216.15 जुलाई 2014 में 492.70 और 26 मई
2014 को अडानी एंटरप्राइजेज सबसे ऊंचे भाव पर पहुंचा। 22 मई 2015 को अडानी
एंटरप्राइजेज का भाव 794.75 के भाव पर बिका। लेकिन, जून 2015 से अडानी
एंटरप्राइजेज का भाव जो तेजी से गिरना शुरू हुआ, तो अभी तक संभल नहीं सका है। आज
जुलाई 2017 में अडानी एंटरप्राइजेज 140 रुपये के नीचे बिक रहा है। यानी नरेंद्र
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद करीब 500 रुपये का बिक रहा अडानी एंटरप्राइजेज
का शेयर आज 140 रुपये के आसपास बिक रहा है।
अडानी समूह की दूसरी महत्वपूर्ण कम्पनी है अडानी
पावर। अडानी पावर के एक शेयर की कीमत जुलाई 2013 में 42.60 रुपये थी। जुलाई 2014
में इसमें अच्छी तेजी देखने को मिली और इसका भाव 65.35 रुपये हो गया। इसके बाद तो अडानी पावर
से जैसे सारा पावर ही खत्म हो गया। जुलाई
2015 में अडानी पावर के शेयरों का भाव भी तेजी से गिरता दिखा। जुलाई 2015 में
अडानी पावर का एक शेयर 29 रुपये से कम में मिल रहा था। आज की तारीख में यानी जुलाई
2017 में भी अडानी पावर के शेयर 30 रुपये से कम में ही मिल जा रहा है। यानी मोदी
के प्रधानमंत्री बनने के बाद अडानी पावर के जिन शेयरों का भाव 65 रुपये के ऊपर
पहुंच गया था, आज वही शेयर 30 रुपये से भी कम में मिल रहा है, मतलब आडानी पावर का
भाव आधे से भी कम हो गया। हालांकि, ऐसा भी नहीं है
कि अडानी का भाव एकदम ही गिर गया हो। अडानी समूह की कम्पनी अडानी पोर्ट्स एंड
स्पेशल इकोनॉमिक जोन का भाव बढ़ा है। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन के
शेयर की कीमत जुलाई 2013 में 151.55 रुपये थी। 2014 जुलाई की शुरुआत में इन शेयरों
की कीमत 270 रुपये के पार चली गई। जुलाई 2016 में शेयरों के भाव गिरकर 200 रुपये
के आसपास पहुंच गए। आज की तारीख में अडानी पोर्ट का शेयर 340 रुपये के आसपास बिक
रहा है। कुल मिलाकर अगर हम विश्लेषण करें, तो मोदी के पीएम बनने का अडानी को फायदा
कम है, नुकसान ज्यादा।
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