देखिए
कितने तरह के भ्रम टूट रहे हैं। @BJP4India को
रुढिवादी पिछड़ी सोच की पार्टी के तौर पर स्थापित किया गया। राजीव गांधी के
कम्प्यूटर का विरोध उस समय बीजेपी ने किया था, इसे
सबसे पक्के आधार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा। बीजेपी समय के साथ चलती रही।
मोदी उससे आगे निकल गए। नोटबंदी जैसा फैसला ले लिया। डिजिटल लागू करने के लिए ज़िद
सी कर बैठे हैं। सबकुछ आधुनिक, प्रगतिशील
कर रहे हैं। कांग्रेस कहती रही, मोदी
हमारे किए को आगे बढ़ाकर श्रेय ले रहे हैं। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के चुनाव में
बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिल गया। फिर क्या था प्रगतिशीलों को प्रतिगामी होने का
पक्का आधार मिल गया। मायावती ने शुरुआत की और अब प्रगतिशीलों की आख़िरी उम्मीद
अरविन्द केजरीवाल कह रहे हैं कि नया कूड़े में डालो और पुराने को प्रणाम करो। #EVM कूड़े
में डालो और बैलट पेपर पर मतदान कराओ। कांग्रेस भी अरविन्द जी के विचार से
प्रभावित है। देखिए ना कितने तरह के भ्रम टूट रहे हैं।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
राजनीतिक संतुलन के साथ विकसित भारत का बजट
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल पहले के दोनों कार्यकाल से कितना अलग है, इसका सही अनुम...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyGiNJmWYhfZgsb8YIbItMT9ywqt74unyBoxaa7IuJw9V9-dhmhd7PZIPNo429ML2n3ZAaaZ3M2NXVUXXhoO8z-lFZrPqF9lSe6SEjOWZ2H-pVRwvY2yZegyDAyaBqErp26KJDGldO03vDJ8lKrMACg6ihGWgKEhRgOMBpnu2Fy-SgmAyYnOsB/w389-h640/IMG_5261.jpg)
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
No comments:
Post a Comment