Friday, February 10, 2017

उद्यमियों से तय होगा नए भारत का भविष्य

बजट 2017 कई मायने में बड़ा अलग सा रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के पूरे बजट भाषण को देखने पर ज्यादातर समय ये नॉन इवेंट जैसा ही दिखता रहा। क्योंकि, पूरे बजट में कोई भी ऐसा एलान नहीं हुआ। जो किसी खास वर्ग को अलग से कुछ देने की कोशिश करता दिखा हो। यहां तक कि विमुद्रीकरण से हुई परेशानी के बाद बड़े एलान वाली उम्मीद भी धराशायी हो गई। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार ने बजट के जरिये रोजगार बढ़ाने की तरफ खास ध्यान नहीं दिया है। क्योंकि, सीधे तौर पर कोई भी ऐसा बड़ा एलान होता नहीं दिखा, जिससे लाखों-करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता दिखे। लेकिन, ये अच्छा है कि वित्त मंत्री ने बजट में रोजगार की कोई तय संख्या नहीं दी है। लेकिन, वित्त मंत्री के दिमाग में रोजगार सबसे ऊपर रहा। ये इस बात से भी समझ में आता है कि वित्त मंत्री के बजट भाषण में 11 बार रोजगार का जिक्र आया है। लेकिन, रोजगार से भी ज्यादा बार वित्त मंत्री के बजट भाषण में जगह मिली है स्किल को। स्किल को अगर थोड़ा सा और आगे ले जाएं, तो वो उद्यमिता की तरफ भी जाता है।

दरअसल इस सरकार की सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर होती है कि नई नौकरियां, नए मौके बनते नहीं दिखे या फिर उम्मीद से कम दिखे। इसी बात को बजट पेश होने के ठीक एक दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा। राहुल गांधी ने नौकरियों के मामले में सरकार को पूरी तरह से फेल बताया। खासकर विमुद्रीकरण के बाद ये आलोचना और बढ़ गई कि सरकार ने तरक्की की अच्छी खासी चल रही गाड़ी के सामने रोड़ा लगा दिया और अब तो नया रोजगार मिलना और कम हो जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस धारणा को ही ध्वस्त करने की कोशिश की है। सरकार एकदम साफ है कि नए मौके लाने के लिए किधर ध्यान देना है। और सरकार उस तरफ खास ध्यान देती दिखी है। 21.47 लाख करोड़ रुपये के इस साल के बजट में 3.96 लाख करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए रखा गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नई मेट्रो रेल नीति जल्दी ही घोषित करने की बात बजट में की है। साथ ही कहा गया है कि इससे ढेर सारे नए रोजगार के मौके बनेंगे।

वित्तमंत्री ने बजट में रोजगार का जिक्र करते हुए बताया कि भारत इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश सरकार कर रही है। इसकी सफलता के बारे में उन्होंने कहाकि पिछले 2 साल में 1.26 लाख करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू हुई हैं। इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में सरकार को नए मौके बनने की उम्मीद दिखती है। वित्त मंत्री ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। 64000 करोड़ रुपये सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए रखा गया है। समुद्री किनारों की 2000 किलोमीटर की सड़कों को भी सरकार ने विकसित करने के लिए चिन्हित किया है। सरकार ने 2018 तक 3500 किलोमीटर नए रेलवे ट्रैक बनाने का भी लक्ष्य रखा है। सरकार की योजना सड़क और रेलवे के जरिये बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने के साथ युवाओं को रोजगार देने की भी है। रियल एस्टेट क्षेत्र की मंदी को दूर करने और रोजगार के मौके तैयार करने के लिए सरकार ने सस्ते घर बनाने को बुनियादी क्षेत्र का दर्जा दिया है। इससे बुनियादी क्षेत्र को मिलने वाले सभी फायदे सस्ते घर बनाने वालों को मिलेंगे। विमुद्रीकरण के बाद सबसे ज्यादा रोजगार इसी क्षेत्र में घटने की खबरें थीं। इसीलिए सरकार इस क्षेत्र में रोजगार की गति को बढ़ाने के लिहाज से ये कोशिश करती दिख रही है। टेक्सटाइल सेक्टर में रोजगार के लिए सरकार ने पहले से विशेष योजना लागू कर रखी है। इसमें लेदर और फुटवेयर उद्योग को भी शामिल किया गया है। कपड़ा उद्योग भी रोजगार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही 5 विशेष पर्यटन क्षेत्र बनाने से भी नौजवानों को नए मौके मिल सकेंगे।

वित्त मंत्री के बजट भाषण में 11 बार जॉब और 16 बार स्किल का जिक्र है। वित्त मंत्री ने स्किल इंडिया को आगे ले जाने की बात इस बजट में की है। 600 जिलों में कौशल केंद्र खोले जाएंगे। सरकार 100 इंडिया इंटरनेशनल स्किल सेंटर खोलने जा रही है। इन केंद्रों के जरिये देश-विदेश में रोजगार की जरूरत के लिहाज से लोगों को तैयार किया जाएगा। कुशल भारत को मजबूत करने के लिए 3479 ऐसे विकासखंडों में शिक्षा बेहतर करने पर जोर दिया जाएगा, जो पिछड़े हैं। सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग खुद उद्यमी बनें। इसके लिए सरकार ने इस साल का बैंकों का कर्ज देने का लक्ष्य दोगुना करके मुद्रा योजना के तहत 2.44 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। उद्यमी तैयार करने के सरकार के इरादे को लोग भी हाथोंहाथ ले रहे हैं। उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में लघु, छोटे और मध्यम उद्योग के राज्य मंत्री एच पी चौधरी ने एक बड़ा जरूरी आंकड़ा साझा किया है। चौधरी ने बताया कि मंत्रालय को 4.4 लाख लोगों से आवेदन मिले हैं, जो सरकार से सहायता चाहते हैं। ये वो लोग हैं जो उद्यमी बनना चाहते हैं और अपना कारोबार शुरू करने के लिए सरकार से मदद चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके मंत्रालय ने वित्त मंत्री से 5 हजार करोड़ रुपये की मदद चाही थी। लेकिन, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में साढ़े 6 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया है। दरअसल ये पूरी बात सरकार की इस मंशा को और साफ करती है कि किसी भी हाल में उद्यमी खासकर छोटे, मध्यम आकार के उद्यमियों को तैयार करना है।


रोजगार भी दरअसल वहीं से आना है। बजट में कर छूट भी ऐसे ही छोटे और लघु उद्योगों को दी गई है। जो 50 करोड़ रुपये से नीचे का सालाना कारोबार कर रहे हैं। वित्त मंत्री इस बात को लेकर एकदम स्पष्ट दिखे कि ज्यादा रोजगार यही उद्योग तैयार कर रहे हैं। इसीलिए उन्हें बढ़ावा देने के लिए कर छूट से लेकर आसान कर्ज और कम से कम लालफीताशाही की तरफ सरकार ध्यान दे रही है। जानकार मान रहे हैं कि 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों को 5 प्रतिशत की कर छूट मिलने से दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में तेजी से कारोबार बढ़ेगा। करीब 5-10 प्रतिशत रोजगार ऐसे शहरों में बजट प्रस्ताव की वजह से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। कुल मिलाकर सरकार स्पष्ट है कि बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करके, उसमें बड़ा निवेश करके देश की तरक्की की रफ्तार तेज करते हुए रोजगार के नए मौके भी आसानी से तैयार किए जा सकते हैं। साथ ही आसान कर्ज मिलने से और कारोबार शुरू करने में आसानी की वजह से देश में तैयार हुए वातावरण से उद्यमियों की बड़ी फौज तैयार की जा सकती है। जो लम्बे समय के लिए रोजगार तैयार करने में मददगार होगा। जाने माने लेखक थॉमस फ्रीडमैन ने लिखा है कि भारत इक्कीसवीं शताब्दी का सबसे भाग्यशाली देश है। ढेर सारे सुधारों के साथ लम्बे समय की सुदृढ़ नीतियों की झलक इस बजट में दिखी है। जो थॉमस फ्रीडमैन के अनुमान को साबित होता हुआ दिखाती है। 

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