देखिए
चिटफंडियों के कुतर्क किसको किसको प्रभावित करते हैं। ई हमारा खेत अधिया पर करते
हैं। घर में शादी है तो गाँव से आए हैं। अचानक किसी चर्चा पर बोल पड़े अरे ऊ जो
बहुत पैसा जमा करवाया। हम लोग नोटबंदी से लेकर सहारा तक अंदाज़ा लगाते रहे। ग़लत
जवाब साबित हुआ। अंत में सही जवाब आया पर्ल्स वाला। बताए कि 30000 रु जमा कराए हैं। पूछ रहे हैं भइया अब
मिली कि नाहीं। इनको भी जानकारी है ऊ पकड़ा गया है। लेकिन इनका पैसा कैसे मिलेगा न
इन्हें पता है, न मैं बता पा रहा हूँ। इन्हें क्या
बताऊँ कि कितनी लड़ाई के बाद पर्ल्स समूह के पी७ चैनल से हमने अपनी बक़ाया रक़म
वसूली थी। इस तरह के गोरखधंधे पर शुरुआती अंकुश न लगा, तो मोदी सुप्रीमकोर्ट का कर लेंगे। सुब्रत राय और
निर्मल सिंह भंगू जेल आ जा रहा है। पर जिन बेचारों का पैसा गया वो कैसे वापस
आयेगा। ऐसी वसूली का कोई तानाशाही तरीक़ा होना चाहिए। ई चाहते हैं राजकुमार यादव उर्फ तितिल्ले वाया चंदई का पुरवा, सिया ग्रामसभा, बिहार विकास खंड, तहसील कुण्डा, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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