राजकुमार यादव (तितिल्ले) की बात सुननी जरूरी है। हमारा खेत यही जोतते-बोते हैं। हमने पूछा नोटबंदी होने से खेती क बर्बाद होइ ग होए। तितिल्ले कहेन काहे भइया। हम कहे अरे बीज, खाद सिंचाई क पैसा कहाँ रहा। तितिल्ले कहेन भइया बिया (बीज), खाद पहिले से धरा रहा औ के पैसा दइके तुरंतै ख़रीदथ। खेती प थोड़ बहुत असर परै त परै। वैसे केहूक खेत एकरे ताईं ख़ाली न रहे। एतना गाँव म सब एक दूसरे बरे खड़ा रहथि। राजकुमार यादव वाया चंदई का पुरवा, सिया ग्रामसभा, विकासखंड बिहार, तहसील कुंडा, जिला प्रतापगढ़
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वर्धा, नागपुर यात्रा और शोधार्थियों से भेंट
हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi लंबे अंतराल के बाद इस बार की वर्धा यात्रा का सबसे बड़ा हासिल रहा , महात्मा गांधी अ...
-
लोगों की देखादेखी और खुद को लगा कि जाने कब गूगल ब्लॉगर बंद कर दे, इसलिए अपने नाम से URL बुक करा लिया और उसी पर लिखने-पढ़ने लगा, लेकिन 2 सा...
-
हर्ष वर्धन त्रिपाठी # पिताजी के साथ मौज का यह आखिरी चित्र है। उनके साथ इस तरह से मौज करने की हमारी इच्छा अधूरी ही रह ग...
-
हर्ष वर्धन त्रिपाठी ममता बनर्जी ने साफ़ कर दिया है कि नरेंद्र मोदी की सरकार की कोई बात नहीं मानेंगी। केंद्र सरकार को स्प...
No comments:
Post a Comment