प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे सबकुछ वही पलटकर आ रहा है। जो
उन्होंने खुद लोगों को बताया समझाया था। अच्छे दिनों की चाहत तक दस साल के मनमोहन
राज में शायद लोगों को खत्म हो गई थी। लेकिन, जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री
बनने के लिए चुनावी रैलियों में अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा बुलंद कराया तो,
लोगों को ये अहसास हुआ कि अरे अच्छे दिन भी इस देश में आ सकते हैं। अहसास हुआ तो
उस अहसास से भरे लोगों ने अच्छे दिन का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी को
प्रधानमंत्री बना दिया। और सिर्फ प्रधानमंत्री नहीं बनाया। पूर्ण बहुमत वाला
प्रधानमंत्री बनाया। इसीलिए अब दूसरे पंद्रह अगस्त के प्रधानमंत्री के भाषण के साथ
ये समीक्षा बनती है कि देश में अच्छे दिन आए या नहीं। समीक्षा के लिए अच्छी बात ये
रही है कि खुद नरेंद्र मोदी ने पिछले पंद्रह अगस्त पर किए वादों की भी रिपोर्ट खुद
पेश कर दी है। पिछले पंद्रह अगस्त से इस पंद्रह अगस्त के बीच हुए सरकार के काम से
ये समझने की कोशिश करते हैं कि देश में अच्छे दिन आए या नहीं। वो अच्छे दिन जिसका
भरोसा दिलाकर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए।
अच्छे दिन की बात चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी करते थे। चुनावी
रैलियों में नरेंद्र मोदी महत्वपूर्ण तरीके से काला धन पर अंकुश, महंगाई,
भ्रष्टाचार से मुक्ति, गुड गवर्नेंस यानी अच्छी सरकार का होना- इन्हीं सब बातों को
अच्छे दिन की पहचान बताते थे। जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो पहले पंद्रह
अगस्त पर उन्होंने इसमें सबसे बड़े अभियान के तौर पर स्वच्छ भारत को जोड़ दिया।
पहले पंद्रह अगस्त को उन्होंने पीड़ा जताई कि बच्चों को स्कूलों में शौचालय की
सुविधा तक नहीं है। जहां है भी वहां लड़के, लड़कियों को एक ही शौचालय में जाना
होता है। इस पीड़ा से उबरने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के दो लाख से ज्यादा
विद्यालयों में लड़कों, लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा। * I salute our brave freedom
fighters today
* This is the Team that makes the nation and takes our nation to new heights
* Be it casteism or communalism, there is no place for them. In no way can they
be tolerated
*'Jan Bhagidari' is the biggest asset of our democracy. "Be it MyGov,
letters from citizens, Mann Ki Baat, communication with people...daily Jan
Bhagidari is increasing", the PM said.
* The poor want to move away from poverty and that is why, all our programmes
must be for the poor- PM Modi
*Bank accounts are essential for integrating poor into the financial system, 17
crore people opened accounts under Jan Dhan Yojna.
*All our programmes and institutions should be helpful to the poor; have to
empower them through financial inclusion.
* Last time from the Red Fort I spoke about toilets and cleanliness. People
wondered what kind of PM is he, talking about these issues.
*If there is something that has touched every person, it is the movement
towards cleanliness.
*Almost 4.25 lakh toilets were built in 2.62 lakh schools nationwide in one
year; this gives self-confidence that we can do what we want.
* Who has given maximum strength to Swachh Bharat Abhiyaan? It is the children
of India.
* We have been very successful in our campaign to make toilets, especially for
girls in schools across India.
* We introduced Shrameva Jayate Yojana. It is an effort to chage the way we
look at the workers of India.
* Dignity of labour has to be our national duty, it has to be a part of our
nature.
* India can be free of corruption but we need lots of measures. We have to
start from top.
* Some people like to remain in 'Nirasha'. And they are not satisfied till they
have spoken about it to other people.
*20 lakh Indians have given up LPG subsidy
*Coal block auction has been undertaken by the govt, national exchequer will
get Rs 3 lakh crore.
* On the issue of black money, we took a lot of steps within such a short time.
We formed a SIT under the SC's guidance the day we took over.
*Some people are worried about tough law on black money. it has ensured that
nobody dares to take black money out of the country.
* PM makes disclosure that Rs 6500 crores disclosed under compliance window of
black money and foreign assets law.
*CBI has registered 1800 corruption cases after we formed government. * I
salute our brave freedom fighters today
* This is the Team that makes the nation and takes our nation to new heights
* Be it casteism or communalism, there is no place for them. In no way can they
be tolerated
*'Jan Bhagidari' is the biggest asset of our democracy. "Be it MyGov,
letters from citizens, Mann Ki Baat, communication with people...daily Jan
Bhagidari is increasing", the PM said.
* The poor want to move away from poverty and that is why, all our programmes
must be for the poor- PM Modi
*Bank accounts are essential for integrating poor into the financial system, 17
crore people opened accounts under Jan Dhan Yojna.
*All our programmes and institutions should be helpful to the poor; have to
empower them through financial inclusion.
* Last time from the Red Fort I spoke about toilets and cleanliness. People
wondered what kind of PM is he, talking about these issues.
*If there is something that has touched every person, it is the movement
towards cleanliness.
*Almost 4.25 lakh toilets were built in 2.62 lakh schools nationwide in one
year; this gives self-confidence that we can do what we want.
* Who has given maximum strength to Swachh Bharat Abhiyaan? It is the children
of India.
* We have been very successful in our campaign to make toilets, especially for
girls in schools across India.
* We introduced Shrameva Jayate Yojana. It is an effort to chage the way we
look at the workers of India.
* Dignity of labour has to be our national duty, it has to be a part of our
nature.
* India can be free of corruption but we need lots of measures. We have to
start from top.
* Some people like to remain in 'Nirasha'. And they are not satisfied till they
have spoken about it to other people.
*20 lakh Indians have given up LPG subsidy
*Coal block auction has been undertaken by the govt, national exchequer will
get Rs 3 lakh crore.
* On the issue of black money, we took a lot of steps within such a short time.
We formed a SIT under the SC's guidance the day we took over.
*Some people are worried about tough law on black money. it has ensured that
nobody dares to take black money out of the country.
* PM makes disclosure that Rs 6500 crores disclosed under compliance window of
black money and foreign assets law.
*CBI has registered 1800 corruption cases after we formed government. स्वच्छ भारत अभियान अच्छे दिन का साफ संकेत दे रहा है। पिछले पंद्रह
अगस्त का लक्ष्य सरकार ने लगभग पूरा किया है। वो भी राज्य सरकारों के साथ मिलकर।
प्रधानमंत्री बार-बार टीम इंडिया को ही सारा श्रेय दे रहे थे। देश के दो लाख बासठ
हजार स्कूलों में चार लाख सत्रह हजार सात छियानबे शौचालय बनाए गए हैं। ये कितनी
बड़ी बात है। इसका अंदाजा लगाइए। तरुण होती तेईस प्रतिशत बच्चियां सिर्फ इसीलिए
स्कूल छोड़ देती हैं क्योंकि, वहां लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है। बाकी
लड़कियां भी इसी वजह से महीने में कम से कम पांच दिन स्कूल नहीं आती हैं। अच्छे
दिन के पैमाने पर ये कितना बड़ा काम है कि देश जीडीपी का करीब साढ़े छे प्रतिशत
इसी वजह से गंवा देता है। मतलब हर साल शौचालय की समस्या से देश को करीब साढ़े तीन
लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये पूरा काम पंद्रह
अगस्त दो हजार चौदह से पंद्रह अगस्त दो हजार पंद्रह के बीच ही पूरा किया गया है।
मतलब सिर्फ एक साल में सवा चार लाख से ज्यादा शौचालय का अट्ठानबे प्रतिशत, वो भी
राज्य सरकारों के साथ मिलकर। अच्छे दिन का मतलब ये भी होता है कि समयसीमा में काम
करना। केंद्र और राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने के साथ प्रधानमंत्री ने
जनभागीदारी के महत्व की भी बात की है। और उसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि बीस लाख से
ज्यादा लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी है। ये छोटी बात नहीं है। पचास रुपये गैस सिलिंडर
की कीमत बढ़ने पर निराश में डूब जाने वाला बीस लाख भारतीय अगर स्वेच्छा से हर
महीने करीब दो सौ रुपये सिलिंडर पर ज्यादा देने को तैयार हो रहा है तो, इसका सीधा
सा मतलब है कि उसे अच्छे दिन के संकेत मिल रहे हैं। कम से कम निजी तौर पर उसके
जीवन में इतने अच्छे दिन तो हैं ही।
पिछले पंद्रह से अगस्त से इस पंद्रह अगस्त के बीच अब बात कर लेते हैं
एक और जरूरी पैमाने भ्रष्टाचार से मुक्ति के मामले में अच्छे दिन के आने का। मध्य
प्रदेश के व्यापम, सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के ललित मोदी से संबंधों के बाद
मोदी सरकार पर इस पैमाने पर जबर्दस्त सवाल उठने लगे थे। हालांकि, पूरी तरह साफ हो
गई संसद के सत्र के खत्म होने से एक दिन पहले सुषमा स्वराज ने और फिर सुषमा के
बहाने अरुण जेटली ने कांग्रेस को पूरी तरह धोकर इस मुद्दे पर बढ़ ले ली। लेकिन,
फिर भी ललित मोदी पर सवाल तो खड़ा ही है। और ललित मोदी से रिश्ते रखने वालों पर
भी। इसलिए असल जवाब भ्रष्टाचार से मुक्ति का इसी से मिलेगा कि सरकार ने भ्रष्टाचार
के मामलों में क्या कार्रवाई की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो
बड़े-बड़े विज्ञापन देकर बताते रहते हैं कि उनकी सरकार ने कितने अफसरों,
कर्मचारियों को भ्रष्टाचार की वजह से जेल भेजा। लेकिन, पंद्रह अगस्त पर पता चला कि
अठारह सौ से ज्यादा अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए।
भ्रष्टाचार से मुक्ति का दूसरा उदाहरण कोयला खदानों की नीलामी का है जिसमें सरकार
को तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं। इस पैमाने पर भी संपूर्ण न सही तो
आंशिक अच्छे दिन की बात तो मानी ही जा सकती है। अभी समय भी साल ही हुआ है। भ्रष्टाचार
से मुक्ति की बात करते ही काला धन भी सामने आने लगता है। और ये सवाल भी खड़ा हो
जाता है कि क्या काला धन पर सरकार सचमुच कुछ कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की मानें तो काला धन पर कड़े कानून को लचीला बनाने वाले लोग उन तक संदेश पहुंचा
रहे हैं कि इस कानून का साइड इफ्केट हो सकता है। लोग डर रहे हैं। सच है कि अगर लोग
इस कानून से डर रहे हैं तो, वो कारगर है। इस पर चर्चा बहुतायत होती रही है कि आखिर
इस सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर एसआईटी बनाने के अलावा काला धन पर क्या
किया है। ऐसा कुछ जिसका उल्लेख हो सके। वो प्रधानमंत्री ने पंद्रह अगस्त के भाषण
में बता दिया। नरेंद्र मोदी ने बताया कि पैंसठ करोड़ रुपये का काला धन सरकारी
खजाने में आ चुका है।
अच्छे दिन के ये ढेर सारे पैमाने हैं जिस पर सवाल खड़े होते हैं।
लेकिन, लोगों के लिए अच्छे दिन आने का सबसे बड़ा सवाल होता है महंगाई घटी क्या। अगर
इसका जवाब हां में है तो अच्छे दिन आए ये माना जा सकता है। बारिश के हर मौसम की
तरह इस साल भी प्याज की तेजी के अलावा दाल की कीमतें इस कदर लोगों को परेशान कर
रही हैं कि उनको जरा सा भी अंदाजा नहहीं हो पा रहा है कि महंगाई कितनी घट गई है। आंकडों
में बात करें तो थोक सामान की महंगाई दर उन्नीस सौ छिहत्तर के बाद सबसे कम है।
नरेंद्र मोदी की सरकार को सत्ता में आए कुल जमा पंद्रह महीने ही हुए हैं। और पिछले
नौ महीने से महंगाई दर निगेटिव में है। वो भी तब जब दाल की महंगाई इसी दौरान करीब
छत्तीस प्रतिशत बढ़ी है। अब अगर ये अच्छे दिन नहीं हैं तो क्या हैं। इसीलिए अच्छे
दिन तो आए हैं, आ रहे हैं। थोड़ा समय दीजिए अच्छे दिन और अच्छे से दिखने लगेंगे।