Wednesday, February 05, 2014

बढ़ती भीड़, बढ़ता भाजपा का संकट!


सात लाख अस्सी हजार। मेरठ में रैली खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी मनीष शुक्ला पत्रकारों को बता रहे थे कि जिस मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली हुई। उसकी क्षमता सात लाख अस्सी हजार की थी। जाहिर है सारे पत्रकार मुस्कुरा रहे थे। क्योंकि, हम पत्रकारों को आसानी से इतनी बड़ी भीड़ का आंकड़ा हजम नहीं होता। एक पत्रकार ने कहा- तो डेढ़ दो लाख तो रही ही होगी ये मान लें। फिर जवाब आया- हमारी पिछली गोरखपुर की रैली ही 6 लाख से ज्यादा की थी। और ये तो उससे बहुत बड़ा मैदान है। इस मैदान की क्षमता ही करीब आठ लाख की है। अगर मंच, बैरीकेडिंग वगैरह हटा दें तो लगभग इतने लोग कम से कम माने जा सकते हैं। उस पर भी सबसे बड़ी बात ये कि रैली खत्म होने के बाद भी आने वालों को तांता लगा हुआ था। मेरठ भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की कर्मभूमि भी है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लिए ये चुनौती थी कि अध्यक्ष के गृह जिले में नरेंद्र मोदी की होने वाली रैली पिछली सभी रैलियों से ज्यादा बड़ी हो। खुद नरेंद्र मोदी ने भी मंच से किसी रैली में कहा कि हमारी हर रैली पहले की रैली से बड़ी होती है। ये दबाव था जो लक्ष्मीकांत बाजपेयी के ऊपर रहा होगा। साढ़े दस बजे के आसपास मैं भी रैली स्थल पर पहुंचा और मीडिया के लिए बने सबसे आगे के इलाके में जाकर स्थापित हो गया। खास कोहरा था। मीडिया के कैमरे लग चुके थे। हर जगह की तरह दो सटे मंच भगवा रंग में रंगे हुए थे। सिर्फ मीडिया के पीछे बना ब्लॉक पूरी तरह से भरा हुआ था। उसके अलावा पूरा मैदान खाली था। हम मीडिया के लोगों को लग रहा था कि क्या आज कोहरा नरेंद्र मोदी की सभा चौपट करेगा। लेकिन, मजे की बात ये थी कि कोई भी भाजपा नेता चिंता में, भीड़ कहां से कितनी आ रही है। कितने बजे तक आएगी। ये सब पूछता चिल्लाता नजर नहीं आ रहा था। ये समझना मुश्किल हो रहा था कि रैली से तीन घंटे पहले लगभग खाली मैदान होने के बावजूद भाजपा नेताओं को चिंता क्यों नहीं हो रही है। टीवी मीडिया के लोग इस बात को लेकर ज्यादा तफ्तीश करते दिख रहे थे कि आखिर सत्यपाल सिंह मेरठ रैली में बीजेपी में शामिल हो रहे हैं या नहीं। भाजपा के नेता इसका जवाब ये दे रहे थे कि ये नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की रैली है। जिसको भाजपा में आना हो वो आए। हुआ भी यही सत्यपाल सिंह सहित कई लोग भाजपा में बेहद सामान्य तरीके से शामिल हो गए। वो भी नरेंद्र मोदी के आने से पहले ही। दरअसल भारतीय जनता पार्टी इस समय किसी को भी नरेंद्र मोदी के सामने शामिल कराकर उसका कद बहुत ऊंचा नहीं करना चाहती। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को ये पता है कि ये नरेंद्र मोदी की हवा है इसलिए सिर्फ नरेंद्र मोदी की ही चर्चा होनी चाहिए।

दोपहर के बारह बजते-बजते सूर्यदेवता कोहरे के कोप से बाहर निकलते दिखे और साथ ही रैली स्थल के हर प्रवेश द्वार से लोगों की भीड़ भगवा-हरे कमल निशान वाले झंडे लहराती नजर आने लगी। लेकिन, लग यही रहा था कि मेरठ में एकाध ब्लॉक खाली ही रह जाएंगे। लेकिन, जब एक बजे के बाद नरेंद्र मोदी की हेलीकॉप्टर सभा स्थल के ऊपर दिखा तो लगा जैसे हर कोई मेरठ के शताब्दी नगर मैदान (जिसे भाजपा ने शहीद मातादीन सभा स्थल का नाम दिया था) में पहुंच जाने के लिए हर कोशिश कर लेना चाहता है। टीवी कैमरों के लिए बने ऊंचे मंच से ये हलचल आसानी से देखी-महसूस की जा सकती थी। चार चक्कर लगाने के बाद नरेंद्र मोदी की हेलीकॉप्टर जब तक मैदान के पीछे बने हेलीपैड पर उतरता। तब तक मैदान में भीड़ का दबाव विशाल मैदान को छोटा साबित करने पर आमादा हो चुका था। लाउडस्पीकर टांगने के लिए बने लोहे के खंभों पर भाजपा के कार्यकर्ता चढ़े हुए थे। तीन-चार कार्यकर्ता तो एक ऐसे खंभे पर चढ़ गए जिसमें लाउडस्पीकर बंधा था और बिजली के तार भी उससे जा रहे थे। डबल बैरीकेडिंग होने के बाद भी लगातार दबाव इस तरह बढ़ रहा था कि डर लग रहा था कि कहीं भगदड़ न मच जाए। ये डर नरेंद्र मोदी को भी लग रहा था इसीलिए मोदी ने माइक संभालते ही हाथ जोड़कर कहा कि मेरठ के वीर पुरुषों को मेरा नमन। लेकिन, कृपया आप लोग खंभों से नीचे उतर आएं वरना कुछ अनर्थ हुआ तो हमारे लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। नरेंद्र मोदी का भी प्रयास थोड़े समय बाद ही उन उत्साही वीर पुरुषों पर असर कर सका।

जिस तरह से नरेंद्र मोदी की रैलियों में भीड़ बढ़ रही है और बढ़ती भीड़ के लिहाज से सही संख्या का अनुमान लगाना और उससे भी बड़ा संकट पत्रकारों को बताना हो जाता है। ये संकट इतना बड़ा है कि पिछली कुछ रैलियों से पत्रकार भारतीय जनता पार्टी के लोगों से संख्या पूछते जरूर हैं लेकिन, इतनी भारी संख्या सुनकर उसका जिक्र करने का साहस नहीं कर पाते हैं। यानी अब किसी टीवी न्यूज चैनल या फिर अखबार में ये नहीं लिखा जाता कि नरेंद्र मोदी की सभा में कितनी अनुमानित भीड़ रही। अब एक लाख, दो लाख, तीन, पांच लाख तक तो चल गया लेकिन, उसके आगे संकट बढ़ता है। अब यही संकट मेरठ की रैली में दिखा था। इसलिए किसी भी मीडिया ने आठ लाख वाली भारतीय जनता पार्टी की भीड़ बताने का जोखिम नहीं उठाया। वैसे नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी तथ्यों और तैयारी के साथ ज्यादातर बातें करने लगी है। भाजपा नेता जोड़कर यही बता रहे थे कि दो लाख वर्ग मीटर से बड़ा मैदान था और पूरा मैदान भरा था। साथ ही अंतिम समय तक मैदान में किसी तरह पहुंच जाने के लिए लंबी लाइन लगी थी। अब ये तो था भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दावा। लेकिन, मेरा खुद को जो कष्टप्रद अनुभव रहा उसे भी बताना जरूरी है। मैं मेरठ में नरेंद्र मोदी की भीषड़ भीड़ वाली रैली में शामिल था। मीडिया गैलरी में होने से किसी प्रकार के देहमर्दन कार्यक्रम से मैं बचा रहा। लेकिन, हर पल ये डर तो लग ही रहा था कि कहीं किसी ओर से बेहद उत्साही ये भीड़ बैरीकेडिंग तोड़कर हमारी गैलरी में भी न घुस जाए। सवा तीन बजे के बाद रैली खत्म हुई। हम लोग तेजी से निकलकर होटल पहुंचे। लेकिन, होटल से निकलकर तुरंत दिल्ली लौटने का साहस नहीं जुटा सके। मेरठ से दिल्ली का रास्ता पूरी तरह जाम दिख रहा था। होटल में करीब डेढ़ घंटे और बिताए। छे बजकर आठ मिनट पर होटल से निकले और पहले एक घंटे में चार किलोमीटर, दूसरे एक घंटे में पांच किलोमीटर और तीसरे एक घंटे में भी करीब पांच किलोमीटर ही दिल्ली की तरफ बढ़ पाए। कुल मिलाकर दिल्ली से मेरठ की करीब सत्तर किलोमीटर की दूरी तय करने में पूरे पांच घंटे लग गए। और इस सबकी वजह नरेंद्र मोदी की रैली थी। अब इस उत्साही भीड़ को रैलियों से संभालकर मतदान स्थल तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है लेकिन, अगर नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी इसमें कामयाब हो गए तो सचमुच 2014 में भारतीय राजनीति का नया अध्याय शुरू होगा।

1 comment:

  1. अगर मीडिया ईमानदार है तो ज्यादा भीड़ को ज्यादा बताने में संकट कैसा? वैसे भी वीडियो कैमरा बहुत कुछ बोल देता है। न चाहते हुए भी भाषण के बीच में जनता की ओर कैमरा घुमाना ही पड़ता है, जब वक्ता श्रोताओं से कोई दुतरफा संवाद करने लगता है। मोदी तो ऐसा जरूर करते हैं। मीडिया को अब पाखंड छोड़कर सच्ची रिपोर्टिंग की आदत डालनी चाहिए।

    आजकल एक अच्छी बात यह हुई है कि सभी पार्टियों की रैली में उतनी ही भीड़ जमा हो रही है। मतदाता जागरूक हो गया है और वह नेताओं को सुनना चाहता है। मुलायम और मायावती की रैलियों में भी रिकार्डतोड़ भीड़ दिखायी दे रही थी। आशा है इसबार मतदान का प्रतिशत 70-80 के बीच रहेगा। चुनाव आयोग को अग्रिम धन्यवाद।

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