कुंभ में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने कुंभ के सारे इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लेकिन, यहां सच यही है कि कुंभ क्षेत्र यानी गंगा की रेती पर बसा अस्थाई शहर पूरी तरह से इंतजाम से दुरुस्त था। असल गड़बड़ी रेलवे की है। और, इस एक गड़बड़ी ने दुनिया भर से इस नायाब मेले को देखने-समझने आए और इससे अभिभूत लोगों के सामने भारतीय सरकार की बदइंतजामी जाहिर कर दी। इसे बेहतर करने की जरूरत है। कम से कम इसी बहाने अगर रेलवे के देश में कम से कम एक दोहरे ट्रैक की जरूरत पूरी की जा सके। रेल बजट और बजट के महीने का भी संयोग बन रहा है।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
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सरकार की ऐसी क्या विवशता थी की ऐसे संवेदनशील समय में जब
ReplyDeleteकी कुम्भ आयोजन में करोड़ों का जन समूह एकत्रित है गुरु को लटकाए
जाने का समाचार प्रसारित किया, समय आगे-पीछे भी हो सकता था
इस स्थिति में यदि कुम्भ मेले में कोई आतंकी घटना हो जाए तो मानव
क्षति का आकलन सहज ही किया जा सकता है,
सरकार अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं हेतु देश की
जनता के जीवन से खेल रही है.....
सच लिखा है आपने,कल से मैं इस घटना को सुनकर बहुत ही दुखी हूँ.
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