मुंबई से जब दिल्ली आया था तो, महीने- दो महीने में ही नोएडा का पानी जहर लगने लगा था। पता चला कि हमारा एक्वागार्ड यहां के जहरीले पानी को साफ नहीं कर पा रहा है। हेमामालिनी और उनकी दो बेटियों के भरोसे मैंने केन्ट की RO (REVERSE OSMOSIS) मशीन लगवा ली। भरोसा काम आया और सचमुच एकदम बोतलबंद पानी जैसा बढ़िया पानी पीने को मिलने लगा।
कुछ दिन तो अच्छा लगा लेकिन, बेहद संवेदनशील ये मशीन वैसे तो, हर दूसरे तीसरे महीने पानी के कम बहाव या फिर टंकी में पानी खत्म होने से कुछ न कुछ मुश्किल बढ़ाने लगी। उस पर एक बोतल पानी भरने पर RO सिस्टम बहुत देर तक पानी बहाता रहता। अभी एक दिन मैंने एक बोतल पानी निकालने के बाद बर्बाद होने वाले पानी को बोतल में नापा तो, पता लगा कि हर एक लीटर शुद्ध पानी के लिए हमारे घर में केन्ट मशीन की वजह से करीब 5 लीटर पानी बह जाता है।
अब मजबूरी ये है कि नोएडा में रहते हुए परिवार का स्वास्थ्य ठीक रखना है तो, यही पानी पीना पड़ेगा क्योंकि, सप्लाई का जहरीला पानी तो, हलक से नीचे उतरने से रहा। लेकिन, इस चक्कर में कितना पानी कम होता जाएगा इस अपराध का भागी मैं और हमारे जैसे ज्यादातर नोएडा में रहने वाले बन रहे हैं। और, फिलहाल इससे मुक्ति के कोई आसार नहीं हैं। ग्रोथ, GDP जैसे शब्दों से सरकार अकसर ये बताती रहती है कि भारत बड़ी तरक्की कर रहा है लेकिन, इन बड़े-बड़े वायदों के बीच दाना-पानी जैसी सबसे बुनियादी जरूरत ही नहीं पूरी हो रही है। दाना महंगाई के मारे हलक से नीचे जाते कड़वाता है। पानी इतना जहरीला हो गया है कि हलक से नीचे जाते कड़वाता है। उस पर सरकारें तो बस प्रतीकात्मक अभियानों के तामझामी प्रचार से ही दुनिया बचा लेने का मंसूबा संजोए हैं।
nice
ReplyDeleteसमस्या बड़ी है ।
ReplyDeleteसरकार तो सिर्फ तामझामी प्रचार से ही अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर ले रही है। पानी वाली बात ही तालाबों पर भी लागू होती है। जितने नए तालाब खोदे जा रहे हैं, उससे कहीं काफी अधिक पुराने तालाब व आहर पाटे जा रहे हैं।
ReplyDeleteआप एकदम सही कह रहे हैं,जल्दी ही इसका विकल्प कुछ सोचना होगा वर्ना दस गुना पानी की बर्बादी तय है.
ReplyDeleteहेमामालिनी वाला तो हमने भी ले रखा है - तसल्ली के लिये!
ReplyDeleteहम तो जी चांदनी चोक की लाजपत राय मार्केट से ले आये थे ,ये ro system ,हेमामिलानी जी १५००० में दे रही थी वह ६००० में मिल गया ,बढिया काम कर रहा है
ReplyDeleteमेरे दफ्तर में जो आर ओ लगा है वह चौबीसों घंटे चलता है और रोज़ सैकड़ों लीटर पानी नाली में बहा देता है.
ReplyDeleteइस मामले में हेमा मालिनी पर कोई केस नहीं बनता है क्या?:)
ReplyDeleteआऱ ओ तो नही है हमारे पास एक्वा गार्ड का िनोवा है और अच्छा काम कर रहा है । पानी कहीं बहता दिखाई तो नही देता । पर आपकी बात सही है सरकार नें दिखावे के लिये पर्यावरण मंत्रालय बनाया है पर माइनिंग और जंगल कटाई जोरों से जारी है ।
ReplyDeleteनिशांत मिश्र की बात का जबाब खोज रहे हैं।
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