सेक्टर 49 नोएडा में रहता हूं। पॉश कॉलोनी है। सब बड़ी-बड़ी कोठियां हैं। सामने ही प्रयाग हॉस्पिटल है। अभी थोड़ा ही समय हुआ जब प्रयाग हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर भी खुल गया है। मेरी डॉक्टर पत्नी ने बताया- मतलब इमर्जेंसी में यहां इलाज कराया जा सकता है।
लेकिन, मुझे तो लग रहा है कि जब पूरा शहर ही ट्रॉमा सेंटर बन गया हो तो, ऐसे सेक्टरों के बीच में खुले एकाध अस्पतालों के ट्रॉमा सेंटर से कैसे काम चल पाएगा। चुनाव में नोएडा (गोतमबुद्ध नगर) से BSP प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नागर जीते हैं। BSP जीती है लेकिन, S से सड़क छोड़कर BP- बिजली, पानी- का बुरा हाल है। इतना कि लोगों का BP- ब्लड प्रेशर इतना बढ़ जाए कि उन्हें ट्रॉमा सेंटर खोजने की जरूरत पड़ जाए।
पता नहीं लोग कह रहे हैं- बार-बार सुनते-सुनते मुझे भी कभी-कभी लगता है- कि अब BSP ही चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा बन रही है। जहां नेता जनता की BSP- बिजली, सड़क,पानी- की जरूरत नहीं पूरी कर रहे हैं। जनता उन्हें लात मारकर भगा रही है। जो, BSP से जनता को संतुष्ट रख पा रहे हैं उन्हें, जनता दोबारा मौका दे रही है।
पता नहीं समझ में तो नहीं आता ये सब। सड़के नोएडा में शानदार हैं तेज रफ्तार से गाड़ियां दौड़ती हैं। लेकिन, बिजली 4 घंटे तो कम से कम कट जाती है। बिजली जाने का तरीका भी गजब है। ऐसा नहीं है कि एक तय समय पर जाए जिससे पता हो कि कब से कब तक बिजली रानी के इंतजार में बैठना है। कभी भी निकल लेती है। रात साढ़े ग्यारह के आसपास लेटा- सोने की कोशिश रंग लाई ही थी कि 11.50 पर बिजली रानी भाग गईं। छत पर गया तो, इतने मच्छर। अब मच्छर पता नहीं कहां से आते हैं मैंने तो, सेक्टर में किसी को गंदगी करते नहीं देखा। समय से कूड़े वाला आता है। सबके डस्टबिन उसकी ट्रॉली में पलट दिए जाते हैं। फिर मच्छर कहां से आए। खैर, जहां से भी आए। मेरे सोने की कोशिश को गजब का असफल कर दिया।
ऐसा गंदे नाले जैसा पानी मैंने अपने अब तक के जीवन में नहीं देखा था जैसा नोएडा में सप्लाई हो रहा है। पीला-काला ये पानी। पता नहीं कौन सी अथॉरिटी इसे साफ करके लोगों के घरों तक भेजती है। और, क्या नोएडा में साफ पानी भेजने के लिए जिम्मेदार सारे अफसर-कर्मचारी नोएडा से बाहर रहते हैं जो, इन्हें पता भी नहीं चलता कि ये क्या सप्लाई कर रहे हैं। ये पानी पीने के लिए एक्वागार्ड वॉटर प्योरीफायर भी कम असरदार होने लगा है। एक दिन एक मार्केटिंग वाला लड़का आया वाला ये तो, पानी को सिर्फ उबालता है। लेकिन, कंकड़-मिट्टी, गंदगी को साफ नहीं कर पाएगा। RO लगवा लीजिए- एक्सचेंज ऑफर भी बता गया। करीब 8000 का प्योरीफायर साल भर बाद 2000 की कीमत का बचा है। RO 10000 रुपए से शुरू ही हो रहा है।
लेकिन, सिर्फ पीने का ही मसला नहीं है। नहाने-कपड़े धोने लायक भी ये पानी नहीं है। अखबारों के साथ आने वाले सप्लीमेंट में ड्रीमगर्ल हेमामालिनी की बिटिया एक मशीन से बने बढ़िया पानी से नहाकर-तरोताजा होकर निकलती हैं। अब बताइए घर में नहाने, कपड़े धोने तक का पानी साफ करने के लिए मशीन चाहिए। बिजली के लिए इनवर्टर से भी काम नहीं चल पाता। खाक BSP मुद्दा है। चलिए फिर भी हम उस जश्न में शामिल होते हैं जो, उत्तर प्रदेश से निकले उस जनादेश की जय हो कर रहा है। जहां राष्ट्रीय पार्टियों के फिर से भरोसेमंद साबित होने पर मनाया जा रहा है।
हम बिजली, पानी जैसे स्थानीय मुद्दों पर बात करके नाहक कलेजा जला रहे हैं। वैसे भी रात भर सो नहीं पाया हूं। आंख जल रही है। ऑफिस भी जाना है। आज सबके मनमोहन प्रधानमंत्री बनने की शपथ लेने वाले हैं। उन पर स्पेशल तैयार करना है। राष्ट्रीय मुद्दों की चिंता करनी है। मेरा क्या अधिक से अधिक यही तो होगा- गंदे पानी से बीमारी मिलेगी। बिजली जाने से रात भर नींद नहीं आएगी- थोड़ा चिड़चिड़ापन होगा। थोड़ा ब्लड प्रेशर बढ़ेगा। कोई बात नहीं ट्रॉमा सेंटर है ना।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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जय हो… :) ट्रामा सेंटर की :) वैसे पूरा देश ही इस समय ट्रामा-कोमा आदि में है…
ReplyDeleteबिजली पानी की समस्या जरूरी है। ताकि आप राष्ट्रीय समस्या पर विचार करना बंद करें और मच्छरों से उलझे रहें। मच्छर आज कल गंदी बस्तियों में नहीं पॉश कालोनी में ही रहते हैं, मलाई वहीं मिलती है।
ReplyDeleteसुरेश जी की बात सुन कर निराशा हुई मैं तो समझता था कि एमपी में तो ट्रॉमा सेन्टर की जरूरत नहीं ही रही होगी।
हर्ष भाई,
ReplyDeleteये परेशानी सिर्फ़ नोएडा की नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली की भी है। यहां ठीक आपके नोएडा की तरह ही बिजली, पानी का बुरा हाल है। मच्छर तो इतने हैं कि क्या बताऊं? कुछ देर शाम को खिड़की दरवाजे खुले रह जाएं तो बिल्कुल दिवाली से पहले दिखनेवाले भुनगों की तादाद में मच्छर चले आते हैं। कुल मिलाकर, हौसला रखिए... ऐसे ही जीना है।
The plantations and vegetation has disappeared so only bugs will survive without control
ReplyDeleteaapke likhabat se Munshi Premchandra ki yaad aa jati hai.Apaka barnan karne ka tarika bhi achcha hai.
ReplyDeletethanks
Vikas
सही कह रहें हैं भाई जी .
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