आज मुलायम सिंह ने महिला आरक्षण के विरोध में वो सारी हदें लांघ दीं जो, उनके और लालू यादव के सांसद राज्यसभा और ये दोनों यादव नेता संसद के बाहर अब तक नहीं लांघ पाए थे। मुलायम सिंह यादव ने भरी सभा में कहाकि --- वर्तमान विधेयक में कैसी महिलाएं आएंगी। मैं आप सबके सामने कहना नहीं चाहता। इसमें बड़े-बड़े उद्योगपतियों, बड़े-बड़े अफसरों के घरों की लड़कियां आएंगी। और, उन्हें देखकर (महिला सांसदों को) लड़के सीटी बजाएंगे। उन्होंने इस बयान पर फिर से मुहर लगाते हुए कहाकि हां ऐसी ही लड़कियां चुनकर आएंगी। उसके बाद उन्होंने गांव-गांव में बड़े आक्रमण की तैयारी भी करने को अपने समाजवादी कार्यकर्ताओं को कह दिया।
अब इस पर अगर कहीं से कोई डिंपल यादव की भा राय ले आता तो, सचमुच पता चल जाता कि नेताजी की राय की उनके घर में ही क्या हैसियत है। खैर, नेताजी तो इस पर बयान देने के लिए टीवी चैनल वालों को तुरंत मिले नहीं। मिल गए मुलायम सिंह के नए ठाकुर सिपहसालार मोहन सिंह। लेकिन, ये क्या कुतर्क में तो मोहन सिंह, अमर सिंह को भी पीछे छोड़ने की कसम खाकर बैठे दिख रहे हैं। पहले तो मोहन सिंह ने कहाकि नेताजी ने ऐसा नहीं कहाकि महिला सांसदों को देखकर लड़के सीटी बजाएंगे। एंकर के ये कहने पर कि उन्होंने कहाकि बड़े अफसरों, बड़े उद्योगपतियों के घरों की लड़कियां महिला आरक्षण से आएंगी और उन्हें देखकर लड़के सीटी बजाएंगे।
मोहन सिंह ने भी कहाकि – जब संभ्रांत घरों की महिलाएं, लड़कियां आएंगी तो, यही होगा। मुझे तो लगाकि मोहन सिंह को ये क्या हो गया है। लेकिन, फिर समझ में आया कि भइया यही मुलायम का समाजवाद है जिसमें महिलाओं को सीटी बजाने से ज्यादा के लायक समझा ही नहीं गया है। इसीलिए उन्होंने शायद बड़े नेताजी की बहू डिंपल यादव को चुनाव हरवा दिया होगा। वैसे एक महिला ने मुलायम सिंह यादव की पूरी राजनीति की सीटी बजा रखी है। और, ये महिला किसी बड़े अफसर या बड़े उद्योगपति यहां तक कि बड़े नेता के घर की भी नहीं है। नेताजी इसी सीटी बजने से डर रहे हैं।
हा,,हा.बात बिल्कुल पते की कही है आपने
ReplyDeleteसमाजवादी संस्कार बोल रहे थे.
ReplyDeleteगोल कर दिया...
ReplyDeleteफिर भी इन वोटरों को शर्म नहीं आयेगी कि इन्होने कैसे-कैसे लोग संसद भेज रखे है !
ReplyDeleteइनको सब माफ है. इन्हें कौन राष्ट्रीय स्तर की राजनीति करनी है.
ReplyDeleteबढ़िया है और रामनवमी की शुभकामनाएँ....."
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
भईया समाजवाद तो चूल्हे कि लकड़ी बन कर रह गयी है,
ReplyDeleteजिसपर सभी अपनी अपनी रोटियां सेंक रहे है ,
बिस्वास नहीं होता तो ये पढ़िए .... http://www.chauthiduniya.com/2010/03/ye-kis-manhgai-par-bahas-he.html
अच्छा व्यंग कसा है
ReplyDeleteIt's foolish to expect anything better than this from Mulayam Kind of people.
ReplyDeleteInsaan ki Gandi soch kabhi na kabhi to parilakshit ho hi jaati hai....Kitna bachayeinge?
लाख टके की बात कही है,आभार.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteये सब समाजवादी पगला गए हैं...अब भगवान ही इनका मालिक है...।
ReplyDeleteजब खुद की ही हवा निकलने वाली हो तब सीटी की सी ही आवाज सुनायी देती है। इनके तो घर पर मेहमान भी नहीं आते होंगे कि न जाने कौन सीटी बजा दे। बढिया व्यंग्य।
ReplyDeleteजब खुद की ही हवा निकलने वाली हो तब सीटी की सी ही आवाज सुनायी देती है। इनके तो घर पर मेहमान भी नहीं आते होंगे कि न जाने कौन सीटी बजा दे। बढिया व्यंग्य।
ReplyDeleteमुलायम के सीटी बजाने का तरीका अलग है जी.....अब कहाँ से बजाते हैं ? यह अभी तक पहेली है जी.....
ReplyDelete........
विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
.........
http://laddoospeaks.blogspot.com/
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....