Wednesday, March 24, 2010

मुलायम ने हराया डिंपल यादव को!

 अब तो ये सबको पता चल चुका है कि मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि उनके घर की बहू डिंपल यादव संसद में चुनकर पहुंचे। दरअसल मुलायम को डर ये था कि संसद में डिंपल के पहुंचने पर लड़के डिंपल को देखकर सीटी बजाएंगे और भला ये नेता जी को कैसे बर्दाश्त होता। बेवजहै बेचारे अमर सिंह इस इल्जाम के ही भार से दबकर बरसों की समाजवादी निष्ठा छोड़कर अब क्षत्रिय सम्मान जगाने में जुट गए हैं।

आज मुलायम सिंह ने महिला आरक्षण के विरोध में वो सारी हदें लांघ दीं जो, उनके और लालू यादव के सांसद राज्यसभा और ये दोनों यादव नेता संसद के बाहर अब तक नहीं लांघ पाए थे। मुलायम सिंह यादव ने भरी सभा में कहाकि --- वर्तमान विधेयक में कैसी महिलाएं आएंगी। मैं आप सबके सामने कहना नहीं चाहता। इसमें बड़े-बड़े उद्योगपतियों, बड़े-बड़े अफसरों के घरों की लड़कियां आएंगी। और, उन्हें देखकर (महिला सांसदों को) लड़के सीटी बजाएंगे। उन्होंने इस बयान पर फिर से मुहर लगाते हुए कहाकि हां ऐसी ही लड़कियां चुनकर आएंगी। उसके बाद उन्होंने गांव-गांव में बड़े आक्रमण की तैयारी भी करने को अपने समाजवादी कार्यकर्ताओं को कह दिया।

अब इस पर अगर कहीं से कोई डिंपल यादव की भा राय ले आता तो, सचमुच पता चल जाता कि नेताजी की राय की उनके घर में ही क्या हैसियत है। खैर, नेताजी तो इस पर बयान देने के लिए टीवी चैनल वालों को तुरंत मिले नहीं। मिल गए मुलायम सिंह के नए ठाकुर सिपहसालार मोहन सिंह। लेकिन, ये क्या कुतर्क में तो मोहन सिंह, अमर सिंह को भी पीछे छोड़ने की कसम खाकर बैठे दिख रहे हैं। पहले तो मोहन सिंह ने कहाकि नेताजी ने ऐसा नहीं कहाकि महिला सांसदों को देखकर लड़के सीटी बजाएंगे। एंकर के ये कहने पर कि उन्होंने कहाकि बड़े अफसरों, बड़े उद्योगपतियों के घरों की लड़कियां महिला आरक्षण से आएंगी और उन्हें देखकर लड़के सीटी बजाएंगे।

मोहन सिंह ने भी कहाकि जब संभ्रांत घरों की महिलाएं, लड़कियां आएंगी तो, यही होगा। मुझे तो लगाकि मोहन सिंह को ये क्या हो गया है। लेकिन, फिर समझ में आया कि भइया यही मुलायम का समाजवाद है जिसमें महिलाओं को सीटी बजाने से ज्यादा के लायक समझा ही नहीं गया है। इसीलिए उन्होंने शायद बड़े नेताजी की बहू डिंपल यादव को चुनाव हरवा दिया होगा। वैसे एक महिला ने मुलायम सिंह यादव की पूरी राजनीति की सीटी बजा रखी है। और, ये महिला किसी बड़े अफसर या बड़े उद्योगपति यहां तक कि बड़े नेता के घर की भी नहीं है। नेताजी इसी सीटी बजने से डर रहे हैं।

15 comments:

  1. हा,,हा.बात बिल्कुल पते की कही है आपने

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  2. समाजवादी संस्कार बोल रहे थे.

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  3. फिर भी इन वोटरों को शर्म नहीं आयेगी कि इन्होने कैसे-कैसे लोग संसद भेज रखे है !

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  4. इनको सब माफ है. इन्हें कौन राष्ट्रीय स्तर की राजनीति करनी है.

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  5. बढ़िया है और रामनवमी की शुभकामनाएँ....."
    amitraghat.blogspot.com

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  6. भईया समाजवाद तो चूल्हे कि लकड़ी बन कर रह गयी है,
    जिसपर सभी अपनी अपनी रोटियां सेंक रहे है ,
    बिस्वास नहीं होता तो ये पढ़िए .... http://www.chauthiduniya.com/2010/03/ye-kis-manhgai-par-bahas-he.html

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  7. अच्छा व्यंग कसा है

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  8. It's foolish to expect anything better than this from Mulayam Kind of people.

    Insaan ki Gandi soch kabhi na kabhi to parilakshit ho hi jaati hai....Kitna bachayeinge?

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  9. लाख टके की बात कही है,आभार.

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  10. ये सब समाजवादी पगला गए हैं...अब भगवान ही इनका मालिक है...।

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  11. जब खुद की ही हवा निकलने वाली हो तब सीटी की सी ही आवाज सुनायी देती है। इनके तो घर पर मेहमान भी नहीं आते होंगे कि न जाने कौन सीटी बजा दे। बढिया व्‍यंग्‍य।

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  12. जब खुद की ही हवा निकलने वाली हो तब सीटी की सी ही आवाज सुनायी देती है। इनके तो घर पर मेहमान भी नहीं आते होंगे कि न जाने कौन सीटी बजा दे। बढिया व्‍यंग्‍य।

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  13. मुलायम के सीटी बजाने का तरीका अलग है जी.....अब कहाँ से बजाते हैं ? यह अभी तक पहेली है जी.....
    ........
    विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
    .........
    http://laddoospeaks.blogspot.com/
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

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