Monday, May 19, 2008

मुझे पता नहीं था कि कल जब मैं लिख रहा था तो, बंगाल में कई घर फूंके जा चुके थे

मुझे सपने में भी ये अंदाजा नहीं था कि जब कल मैं लोकसभा और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों के पहले लोगों को आगाह कर रहा था। उस समय पश्चिम बंगाल में सबसे खूनी पंचायत चुनाव हो रहे थे। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों का तीसरा चरण था। और, पंचायती राज के जरिए सत्ता का हिस्सा लेने के लिए सीपीएम कैडर और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हुई मुठभेड़ में 15 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। और, इतने ही लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। घायल होने वाले लोग 100 से भी ज्यादा हैं।

नंदीग्राम में SEZ के मसले पर हुए सीपीएम कैडर और पुलिस प्रायोजित हिंसा के बाद सरकारी आंकड़े के मुताबिक, 14 जानें ही गईं थीं। यानी पंचायत चुनावों का ये तीसरा चरण नंदीग्राम से भी ज्यादा खूनी रहा। मुर्सिदाबाद और बीरभूम में हुए इस खूनी पंचायत चुनाव की खबर ज्यादातर अखबारों में अंदर के पन्ने में दिख रही है। जबकि, हालात कितने बिगड़े रहे होंगे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सुबीर भद्र और आईजी सुरजीतकर पुरकायस्थ बम के हमले से बाल-बाल बचे हैं। ये इलाका पश्चिम बंगाल के पशुपालन मंत्री अनीसुर रहमान का है।

अब सीपीएम और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे को इस खूनी घटना के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि सीपीएम कैडर ने पुलिस के साथ मिलकर उनके वोटर्स को घरों से निकलने ही नहीं दिया। सीपीएम नेता विमान बोस कह रहे हैं कि सब कांग्रेस ने कराया है। बोस बता रहे हैं 8 सीपीएम कैडर जान गंवा चुके हैं। कांग्रेस अपने 6 कार्यकर्ताओं की जान जाने का हल्ला मचा रही है।
और अभी तो ये शुरुआत है- पंचायत चुनाव हैं। आगे तो, कई विधानसभा और 2009 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ये नेता वोट बटोरने के लिए पता नहीं कितने घर फूंकेंगे। कितने घरों के चिराग बुझाएंगे।

9 comments:

  1. यही वामपंथ का असली चेहरा है और यही 30 सालों के चमत्कारिक शासन का मूलमंत्र भी है। इतिहास उलट कर देख लीजिए। हर देश में वामपंथ जिस जनता की क्रांति से सत्ता में आया है, सत्ता में आने के बाद उसी जनता का खून पिया है उसने। वही पश्चिम बंगाल में भी हो रहा है, क्या आश्चर्य है। मेरे मन में हमेशा यह कुतूहल था कि आखिर तीन दशकों के वामपंथी शासन का राज क्या है? मुझे पश्चिम बंगाल के मेरे कुछ मित्र बताते थे कि वहां बाकायदा संगठित सरकारी गुंडागर्दी है। हर मोहल्ले में वामपंथी समितियां हैं और हर घर के लिए जरूरी है कि कोई एक सदस्य उसका सदस्य हो, उसकी बैठकों में जाए, उसके जुलूस में शामिल हो। जो परिवार ऐसा नहीं करता, उसकी बिजली काट दी जाती है, पानी बंद कर दिया जाता है। मैं सोचता था कि सब अतिशयोक्ति है। देश के अंदर एक राज्य में खुलेआम ऐसा कैसा हो सकता है। लेकिन नंदीग्राम ने पश्चिम बंगाल शासन का यह चेहरा अब साफ कर दिया है।

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  2. मेरा विचार है वामपंथ विपक्ष में तो ठीक है लेकिन सत्‍ता में जमते ही तानाशाही में बदल जाता है

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  3. कम्युनिस्ट शुरू से ही बंगाल मे अपनी जीत पक्की करता आया है तरीका काफ़ी पुराना है , विरोधी वोटर को मतदान केन्द्र तक जाने ही न दो .सरकार, चुनाव आयोग के सुरक्षा का उपाय मतदान केन्द्र तक ही खर्च हो जाता है . गली मे दादा किसी का रास्ता रोके खड़ा है ,किसे ख़बर है न पुलिस को , न आयोग को , न प्रेस को . ऐसे मे दादा को दादा मिल जाय तो खून खराबा तय है .
    वैसे हर्ष भाई , पंचायत का चुनाव और चुनाव से ज्यादा खतरनाक होता है .अतः नाहक आशंका न करें. हाँ इतनी बड़ी ख़बर को अखबार छोटी ख़बर बना दे रहा है, निश्चय ही निंदनीय है .

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  4. ये त्तो होना ही था!
    और यह वामपंथ-दक्षिणपंथ आदि की बात नहीं है। पंचायत में निहित पैसा यह कुकर्म करा रहा है।
    भारत की राजनीति उत्तरोत्तर लीगलाइज्ड माफिया बन रही है। राष्ट्र के स्तर पर चुनाव आयोग कुछ कर पाया है; पर शेष तो बस जो है सो है!

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  5. यह सिस्टमं का दोष है, बंगाल या वामपंथ का नहीं। वैसे भी अब सीपीआईएम वामपंथी कहलने लायक रह गई है क्या? वह तो सुरजीत के महासचिव बनने और सलकिया प्लेनम के बाद ही यह रास्ता त्याग चुकी है।

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  6. तब तक जब तक जनता नहीं जाग जाती

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  7. तब तक जब तक जनता नहीं जाग जाती

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  8. सत्ता भीख मागने से नही छीनने से मिलती है। यह वामपंथ का पैदाइसी सूत्र वाक्य है , जो मार्क्स और लेनिन के जुबान से निकली थी । मेरा बचपन इसी मे गुजरा है इन खड़यंत्रों को मैं बहुत नजदीक से देखा हूं , इसी लिए मुझे इसपर आश्चर्य नही होता और शायद मीडिया को भी अस्चार्य नही हुआ हो । बंगाल मे लोकतंत्र के बीज मुरझा गए हैं ।
    इसकी सजा जानता ही देगी , क्योंकि बंगाल हमेशा से प्रयोग कि भूमि रही है और परिवर्तन कि भी ।

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  9. अजीब वामपंथ है ,सबसे ज्यादा हड़ताल ,हिंसा ,शोषण वही है.....वास्तव मे मैंने भी किसी चैनल पर ही देखा था ..

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