Sunday, May 18, 2008

बचिए नेता आपका घर फूंककर वोट बटोरने की तैयारी में हैं

अब चुनाव में सिर्फ एक साल बचे रह गए हैं। मई 2009 में अगले लोकसभा चुनाव होने हैं। हर पार्टी इलेक्शन मोड में आ गई है। यानी जनता के लिए सावधान हो जाने का समय है ये। सवाल ये उठ सकता है कि चुनाव तो, लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है फिर, इस पर जनता को सावधान होने की क्या जरूरत है? लेकिन, मैं तो, कह रहा हूं सिर्फ सावधान मत रहिए अपना घर बचाइए। कभी भी आपके घर में आग लग सकती है। नेता तैयार हैं जिन्हें वोट मिलते रहे हैं वो, वोट बचाए रखने और बढ़ाने के लिए, जिन्हें वोट अब तक नहीं मिले वो, वोट बनाने-बटोरने के लिए पूरी तरह से चाक-चौबंद हो चुके हैं।

हाल के कुछ राजनीतिक बयान-घटनाक्रम ध्यान से देखिए- सब समझ में आ जाएगा
मायावती ने कुछ दिन पहले कहा- राहुल गांधी यूपी में आकर दलितों के घर रुकने का दिखावा करता है फिर, दिल्ली में स्पेशल साबुन से नहाता है

आज के अखबार में फिर खबर है- अमेठी में राहुल गांधी एक दलित के घर रुके और वहीं बैठकर राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की समीक्षा की


भद्रजनों के प्रदेश बंगाल में एक सांसद फोन पर सीआरपीएफ के डीआईजी को चीख-चीखकर आदेश देता है। इलाका छोड़ दो या फिर अपने कैंप से बाहर मत निकलो। बावजूद इसके कि सीआरपीएफ डीआईजी आलोक राज बताते हैं कि सारी बातचीत मोबाइल पर रिकॉर्ड हो रही है। सीपीएम सांसद लक्ष्मण शेठ इसे जनता के लिए की जा रही उनकी ड्यूटी बता रहे हैं।

हम आपको ये भी बता दें कि नंदीग्राम में सीपीएम कैडर के नरसंहार के बाद डीआईजी आलोक राज को उस इलाके में कानून व्यवस्था संभालने के लिए सीआरपीएफ की टुकड़ी के साथ भेजा गया है। वहां हो रहे पंचायत चुनाव कितने निष्पक्ष हुए होंगे इसका अंदाजा लगाने के लिए सिर्फ यही एक घटना काफी है कि आलोक राज के ऊपर दो महिलाओं ने गलत व्यवहार करने का भी आरोप लगाया है।

बिहार से लालू प्रसाद यादव कह रहे हैं वो, राज ठाकरे की चुनौती स्वीकार कर रहे हैं और मुंबई के जुहू पर छठ मनाने आएंगे। पिछले दो महीने से राज ठाकरे के कृत्यों को चुपचाप समर्थन दे रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख भी जाग गए हैं। कह रहे हैं लालूजी के साथ छठ पूजा में वो भी शामिल होंगे।

राज ठाकरे की मुंबई से बाहरी भगाओ मुहिम अब कोंकण केंद्रित हो गई है। वो, अपील कर रहे हैं कोकण- रायगड़, रत्नागिरि, सिंधुदुर्ग के इलाके- में बाहरी लोगों को आप लोग कोई जमीन मत बेचिए।

पहले राज मुंबई में बिल्डरों से मराठियों के लिए सस्ते घर और मॉल-रिटेल स्टोर्स में मराठियों के लिए आरक्षण मांग चुके हैं। राज का कारोबार बिल्डिंग बनाने और म़ल बनाने का है। अब तक कोई भी सिर्फ मराठियों के लिए आरक्षित मॉल राज नहीं बना पाए हैं।

शिवसेना वड़ा पाव एसोसिएशन बना रही है। शिव वड़ा बिकेगा। शिवसेना वड़ा पाव को भी मराठी अस्मिता से जोड़ने की तैयारी में है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री आर आर पाटिल कह रहे हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज का इससे बड़ा अपमान हो ही नहीं सकता। पाटिल थोड़ा और आगे बढ़ जाते हैं—ये शिव वड़ा के साथ शंभाजी भाजी भी बेचेंगे। अच्छा हुआ पाटिल मराठी हैं नहीं तो, दो मराठी अस्मिता के प्रतीक महापुरुषों के इस अपमान पर जाने क्या हो गया होता।

ये खबरें देखने में इन नेताओं का स्वभाव लगती हैं। लेकिन, जरा सोचकर देखिए चुनाव नजदीक आने पर ऐसे सुर तेज क्यों हो जाते हैं।

नहाती तो किसी अच्छे साबुन से ही मायावती भी होंगी। लेकिन, शायद थोड़ा पक्के रंग वाले दलितों को कुछ-कुछ अपने रंग वाली मायावती की ही बात सही लगेगी। लेकिन, इसी में कुछ दलित परिवारों – जिनके बच्चों को राहुल ने गोद में उठाया होगा, जिनके बुजुर्गों से राहुल ने आशीर्वाद ले लिया होगा, जिनके साथ बैठकर खाना खाया होगा- को राहुल की बात समझ में आ रही होगी। राहुल घर का बच्चा लगने लगा होगा। बस राहुल गांधी और मायावती दोनों का काम पूरा हो गया। यूपी में दलितों की बस्ती में चुनाव से पहले कांग्रेस और बसपा के झंडे लगाने को लेकर कट्टा-बम-लाठी चलने की भूमिका तैयारी हो चुकी है।

नंदीग्राम में जिस महिला ने डीआईजी पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है वो, पहले ही सीपीएम समर्पित होंगे। अब डीआईजी के खिलाफ केस लड़ने के लिए पूरी तरह से कैडर बन जाएंगे। ममता को भी लोग मिल चुके हैं, लेफ्ट कैडर तो, है ही। बस लोकसभा चुनाव का इंतजार है।

लालू बिहार से मुंबई आएंगे, देशमुख उनके साथ छठपूजा करेंगे। क्यों?

साफ है लालू लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे शिवसेना-राजठाकरे के खिलाफ भैया लोगों को कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के लिए तैयार करेंगे।

राज ठाकरे खुद मॉल-बिल्डिंग बनाएंगे तो, मराठियों को छोड़िए, भैया लोगों और गुजरातियों में से भी उसी को जगह देंगे जो, ज्यादा माल देगा। मराठी अस्मिता बचाने के राज के आंदोलन में पहले ही कई मराठी परिवार बरबाद हो चुके हैं।

आर आर पाटिल खुद गृहमंत्री हैं लेकिन, भड़काऊ भाषण करने वाले-बयान देने वालों के खिलाफ खुद भड़काने में लग गए हैं। क्योंकि, लोकसभा के साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लोग भड़केंगे नहीं तो, उन्हें अगले 5 सालों के लिए लोगों के भड़काऊ बयानों पर नजर रखने का अधिकार कैसे मिलेगा। वो, उपमुख्यमंत्री कैसे बनेंगे।

ये वो वर्ग है जिसे किसी भी राजनीतिक दल के सत्ता में आने से सबसे कम मिलता है। लेकिन, यही वर्ग चुनाव से पहले नेताओं की लगाई आग को जलाने के लिए कोयले, पेट्रोल का काम करता है। तो, भइया चेत जाओ क्योंकि, नेताओं की लगाई हुई जिस आग का तुम साधन बन रहे हो वो, आग तुम्हारा ही घर फूंकने वाली है।

6 comments:

  1. सलाह तो आपकी सही है पर इस पर कौन अमल करेगा? हर मतदाता किसी न किसी राजनीतिबाज के साथ खड़ा नजर आता है. बैसे उसके सामने कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. या तो मायावती को वोट दो या राहुल की मामा को, या मुलायम को, या भाजपा को. किसी न किसी को तो वोट देना ही पड़ेगा. और वोट नहीं भी दिया तो इन में से कोई ख़ुद ही उन का वोट अपने पक्ष में डाल लेगा. इधर कुआँ है उधर खाई है. इधर मायावती है उधर राहुल की मामा है. मलाई तो यह दोनों ही खायेंगे. मतदाताओं के हिस्से में अगर जली हुई कड़ाही की खुरचन ही जा जाए तो समझियेगा कि हो गया.

    एक तरीका है. दोनों के सामने एक शर्त रखी जाए. राहुल किसी दलित कन्या से विवाह करे. मायावती अपना सारा धन और जायदाद दलितों में बाँट दे. जो शर्त पूरी करे उसे वोट दो. पर यह शर्त चुनाव से पहले पूरी होनी चाहिए.

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  2. चुनाव की महिमा अपरम्पार है हर्ष जी, नेता को जुगाली करने मे जाता क्या है , कुछ नही , बल्कि उससे वातावरण मे कार्बन मोनो आक्साईड ही मिलता है , जो समाज के लिए कितना फायेदेमंद है , यह सभी जानते हैं लेकिन क्या करें , यही जनता समझ नही पाती , क्योंकि उन्हें इसी मे साँस लेनी है .......................... ।

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  3. सच कड़वा हो तो हो मगर एक जैसा ही होता है...
    जानते ये भी सब हैं मगर क्यों हरेक बेखबर सोता है...
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    बतंगड़ में आपका पहला ही लेखा पढा, बहुत ही खूब लिखा...
    जारी रहिये, लिखते रहिये...बातें मन की सारी कहते रहिये...
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    बेहतर. शुक्रिया.

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  4. जनता वयस्क है नहीं, और वयस्क मताधिकार मिला हुआ है। ऐसे में नेता बाजीगरी करेगा ही।

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  5. अच्छा संकलन किया आपने, ज्ञानजी से सहमत हूँ.

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  6. बार बार बेवकूफ बनना आदत में शुमार हो गया है. अब तो लोगों ने बुरा मानना भी बंद कर दिया है.

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