हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi
अमृत काल के बजट में सब एकदम साफ दिख रहा है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह पाँचवां बजट रहा, लेकिन अमृत काल का यह पहला बजट रहा। इस लिहाज से इस बजट को अधिक बारीकी से देखने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार अमृत काल को भारत के लिहाज से सर्वाधिक अवसरों वाला समय बता रहे हैं। मोदी सरकार की हर योजना को अमृत काल के ही दायरे में देखा जा रहा है। ऐसे में अमृत काल में आया यह पहला बजट क्या बता रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तुत करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक ऐसा बजट बताया जो विकसित भारत की पक्की बुनियाद रखने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, यह बजट वंचितों, गरीबों को प्राथमिकता दे रहा है। कमाल की बात यह भी है कि, पारंपरिक सन्दर्भों में वंचितों, गरीबों का बजट कहने का सीधा सा अर्थ यही होता था कि, सरकार ढेर सारी लोक लुभावन योजनाओं को प्रस्तुत कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमृत काल के पहले बजट में नई कर प्रणाली में कर छूट की सीमा पाँच लाख से सीधे सात लाख रुपये वार्षिक करने के अलावा कोई भी दूसरी लोक लुभावन योजना नहीं दिखती। फिर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे विकसित भारत की पक्की बुनियाद के साथ वंचितों, गरीबों का बजट क्यों कह रहे हैं। इसे समझने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की शुरुआत को ठीक से सुनना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट शुरू करते इसकी प्राथमिकताएँ गिनाईं और इसे सप्तर्षि का नाम दिया। यह सात प्राथमिकताएँ हैं- समावेशी विकास, अंतिम व्यक्ति तक पहुँच, इंफ़्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट, अपनी क्षमता को विकसित करना, हरित विकास को बढ़ाना, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र को प्रोत्साहन। यह सात प्राथमिकताएँ अमृत काल के पचीस वर्षों में देश को परिवर्तित करके कैसे विकासशील से विकसित करने वाली हैं। इसी का बजट है, जिसे एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया है।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले बजट के बाद से अब तक कर सीमा में छूट नहीं दी गई थी।लंबे समय से ढाई लाख रुपये सालाना पर टिकी कर छूट को बढ़ाने का दबाव हर बजट में रहता था। इससे पहले सरकार ने नई और पुरानी कर प्रणाली में इस तरह से परिवर्तन किया कि, लोग धीरे-धीरे नई कर प्रणाली का हिस्सा बन जाएँ, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदने से लेकर दूसरे ढेर सारे जरूरी खर्चों पर किसी तरह की छूट न होने से नई कर प्रणाली को बहुत कम लोगों ने चुना। इस बजट में नई कर प्रणाली में सीधे सात लाख रुपये वार्षिक कमाई पर कर छूट देकर निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया कि, बेहतर होगा, अब लोग इसी को चुनें। सात लाख तक की कमाई वालों का शून्य कर करके मोदी सरकार ने लंबे समय से मध्यम वर्ग की माँग भी मान ली और सात लाख तक की कमाई वाला एक वर्ग तैयार किया जो, राजनीतिक तौर पर भी उपयोगी हो सकता है। अब सात लाख तक कमाई पर कर शून्य होने से बहुत लोग जो पाँच लाख तक की कमाई दिखाकर टैक्स रिटर्न भरते थे, इस वर्ष ऐसे लोगों की संख्या बढ़ सकती है जो, अपनी सालाना कमाई सात लाख तक दिखाएं। सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना में बजट आवंटन 66 प्रतिशत बढ़ाकर उन्यासी हजार करोड़ रुपये कर दिया है। दरअसल, सरकार अब नहीं चाहती हैं कि, बेतहाशा और बेतरतीब घरों को बनाने का काम बिल्डर करें। बेहद जरूरतमंद लोगों को सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बनाकर देगी और, लोगों को उनकी जरूरत के लिहाज से ही घर खरीदने के लिए प्रेरित करेगी। सिर्फ कर छूट के लिए दूसरा घर लेने वालों को हतोत्साहित करना भी सरकार के लक्ष्य के तौर पर दिख रहा है। इससे देश के हर छोटे-बड़े शहर में बिल्डरों के बेतरतीब बनते रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की कोशिश भी साफ दिखती है। सरकार ने 80 करोड़ लोगों को राशन देने की योजना पहले ही एक और वर्ष के लिए बढ़ा दी है। बहुत दबाव के बावजूद किसान सम्मान निधि न बढ़ाने का साहसिक निर्णय सरकार ने लिया और, किसानों को विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सेलरेटर फंड का एलान किया है। सरकार ने कैपिटल एक्पेंडिचर के लिए आवंटन इस वर्ष के बजट में 33 प्रतिशत बढ़ाकर दस लाख करोड़ का रखा है। रेलवे के लिए किया गया बजट आवंटन भी बुनियादी ढाँचे को तेजी से तैयार करने की मंशा दिखा रहा है। रेलवे के लिए दो लाख चालीस हज़ार करोड़ का आवंटन मनमोहन सरकार के आख़िरी बजट से नौ गुना अधिक है।
रोजगार का हल्ला मोदी सरकार के इस कार्यकाल में बहुत मचा है। यह राजनीतिक तौर पर भी भारी पड़ सकता है। इसीलिए, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना लाई गई है। यह एक तीर से दो शिकार जैसा है। रोजगार के लिए कुशल श्रमिकों को तैयार करने की मोदी सरकार की बुनियाद बात को ही यह आगे बढ़ाता है। साथ ही, विश्वकर्मा नाम से यह योजना शुरू करने से जाती विभाजन की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को भी उत्तर देने के लिए एक हथियार तैयार हो रहा है। विकसित भारत के लिए आवश्यक है कि, युवाओं को रोजगार मिले और, आधुनिक तकनीक के मामले में भी हमारे युवा अव्वल हों। एकलव्य विद्यालयों में अड़तीस हजार शिक्षकों की भर्ती की बात उसी का उत्तर देने की कोशिश है। उसे आगे बढ़ाते हुए देश भर में कौशल विकास के लिए 30 भारत के अंतरराष्ट्रीय कौशल विकास केंद्र तैयार किए जाने की बात बजट में कही गई है। 100 इंजीनियरिंग संस्थानों में ऐसी प्रयोगशालाएँ खोलीं जाएँगी, जिसमें नौजवान 5जी तकनीक का उपयोग करके ऐप्स बनाएँ। अमृत काल में अगले पचीस वर्षों की तैयारी में बुनियादी ढाँचे पर कितनी जबरदस्त कार्य योजना है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि, 45 लाख करोड़ रुपये के बजट में 13 करोड़ 30 लाख रुपये का निवेश आधुनिक बुनियादी सुविधाएं तैयार करने पर होना है।
महिलाओं को अपने साथ लाने में नरेंद्र मोदी पहले से बहुत योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ते रहे हैं। यहाँ तक कि, भाजपा विरोधी घरों में भी महिलाओं का मत नरेंद्र मोदी को मिलने की बात कही जाती है। तीन तलाक़ के खात्मे के बाद मुस्लिम महिलाएँ भी नरेंद्र मोदी के समर्थन में दिखीं। इसीलिए, महिलाओं के स्व सहायता समूह को हर बार की तरह इस बार भी बढ़ावा दिया गया है। सुकन्या समृद्धि लड़कियों के बालिग होने तक थी तो, इस बजट में सभी महिलाओं के लिए दो लाख रुपये तक बचत पर महिला सम्मान बचत पत्र के लिए जरिये साढ़े सात प्रतिशत ब्याज का प्रावधान उस महिला वर्ग को यह बताने की कोशिश है कि, नरेंद्र मोदी तुम्हारे साथ खड़ा है। एक महिला राष्ट्रपति को एक महिला वित्त मंत्री को बजट स्वीकृति के लिए सौंपना और उसमें महिलाओं की प्राथमिकता की बात होने पर वजन बढ़ जाता है। सबसे बड़ी बात कि, चुनावी साल के ठीक पहले का पूर्ण बजट होने के बावजूद नरेंद्र मोदी की सरकार ने वित्तीय अनुशासन सको ध्यान में रखा है। अगले वर्ष वित्तीय घाटा 5.9 प्रतिशत और उसके अगले वर्ष 2025-26 में वित्तीय घाटे को 4.5 प्रतिशत के नीचे लाने का लक्ष्य भी सरकार की तरफ़ से आना बता रहा है कि, नरेंद्र मोदी का यह बजट अमृत काल का पहला बजट भले हो, नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के पहले बजट का ही स्वाभाविक विस्तार है। इंडिया एट 100 की बात कहकर इसी दीर्घकालीन योजना और प्रभाव की बात बजट में भी साफ कर दी गई है। किसान, नौजवान, महिला और कमजोर वर्ग की सरकार है और उसी को ध्यान में रखकर बनाया गया बजट है, जिसमें रंचमात्र भी सूट बूट की सरकार होने का संकेत न मिले।
(यह लेख दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में छपा है)
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