हर्ष वर्धन त्रिपाठी
एक समय उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही लगने लगा था, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ हर राजनीतिक दल को अवसर दिया कि, समाज, राज्य की दशा बदलने में जो कर सकते हैं, करिए। देखिए, उत्तर प्रदेश में कितना बड़ा बदलाव हो चुका है। हालांकि, उत्तर प्रदेश और बिहार इतने जुड़े हैं कि, कब इस मामले में बिहार का दुष्प्रभाव उत्तर प्रदेश पर भारी पड़ जाए, कहा नहीं जा सकता। बिहार की आग उत्तर प्रदेश में फैलने के लिए कुछ भी नहीं चाहिए। सब रेडीमेड तैयार रहता है। देश के हर राज्य में नौजवानों को भड़काने पर लगातार लोग लगे हुए हैं। आपको ध्यान में होगा कि, किस तरह से नागरिकता कानून के विरोध में मुसलमान नौजवान और फिर कृषि कानून के विरोध के नाम पर सिख नौजवानों को हिंसक बनाने का प्रयास किया गया जो, बहुत हद तक सफल भी रहा। नौजवानों को रोजगार मिलना एक बड़ी समस्या है, जिसके समाधान के लिए सरकारों को कार्य करना है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार की लगभग समान भूमिका है। केंद्रीय नीतियों के आधार पर राज्य सरकारें अपने निवासियों को रोजगार का खाका तैयार कर सकती हैं, लेकिन आसानी से रोजगार के मसले पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती हैं। जितना रोजगार कुल केंद्रीय सरकारी नौकरियों का है, उससे अधिक बंबई नगरिया दे देती है। खैर, बहुत कुछ इस पर कहा जा सकता है, लेकिन मूल बात वही है कि, नौजवान कैसे सोच रहा है। उसके सोचने के तरीके में बदलाव न आया तो सरकारी नौकरी 4 वर्ष की हो या 40 वर्ष की, असंतोष और अराजकता कभी भी उभर जाएगी। इस पर भी टिप्पणी करते सोचिए जरूर।
सार्थक विमर्श।
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