Friday, August 27, 2021

ब्राह्मणवाद और प्रगतिशीलता क पृष्ठ भाग क गुप्त मार्ग म जाइके गुप्त होइ जाइ क कहानी

हर्ष वर्धन त्रिपाठी


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ब्राह्मणवादी शोषक व्यवस्था में हिन्दुस्तान में

मुलायम सिंह यादव और उनका पूरा परिवार ब्राह्मण बन गया
लालू प्रसाद यादव और उनका पूरा परिवार ब्राह्मण बन गया
मायावती और उनके आशीर्वाद प्राप्त ब्राह्मण बन गए
करुणानिधि और उनका पूरा परिवार ब्राह्मण बन गया
जयललिता और उनके दत्तक परिवार छोड़िए, सखा-सहेली भी ब्राह्मण बन गए
देवगौड़ा, बेटे कुमारस्वामी सहित पूरे परिवार को ब्राह्मण बनाने में कामयाब हो गए
शरद पवार अपनी बेटी, भतीजे सहित बड़े कुनबे को ब्राह्मण बना गए
राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ब्राह्मण बन गए
ब्राह्मणवादी व्यवस्था के सबसे बड़े तथाकथित विरोधी (असल में सच्चे पोषक) वामपन्थियों- सत्ता में रहने वाली पार्टी सीपीएम- का क्या कहें, वे तो सब ब्राह्मण ही थे और ब्राह्मण ही बने रहे
कल्याण सिंह ब्राह्मण बने
उमा भारती ब्राह्मण बनीं
शिवराज सिंह चौहान ब्राह्मण बने
नरेंद्र मोदी ब्राह्मण बने
अभी के राष्ट्रपति से लेकर कई राष्ट्रपति ब्राह्मण बने
लम्बी सूची है, सब लोग खोज-खोजकर जोड़ लीजिए
आप कह सकते हैं कि, इनमें से कोई भला कहां ब्राह्मण है। तो, भाई ब्राह्मण होना क्या है? सत्ता के शीर्ष पर पहुंचना ही ना? या फिर सिर्फ जाने किस समय के ब्राह्मण जाति सूचक शब्दों को आगे लगाकर हर व्यवस्था की खराबी के लिए गाली खाने वालों का, हर बुराई के लिए पंचिंग बैग बना दिए गए समूह का नाम भर है।
जिन पंडों, पुजारियों को गरियाते जुबान खिया गई है, तथाकथित प्रगतिशीलों की। जरा उनसे कहिए कि, दिल्ली, मुम्बई और दुनिया के बड़े शहरों की सैर करते बौद्धिक जुगाली करने के बजाय कुछ दिन प्रयाग में संगम घाट पर टुटहा तख्ता लगाकर दुई रुपिया औ एक मूठी चाऊर में विश्व कल्याण की कामना करें। दुइ-चार रोज म चर्र कईके देहिया टूटि जाई औ सारी प्रगतिशीलता पृष्ठ भाग के गुप्त मार्ग म जाइके गुप्त होइ जाइ। अबहीं बरे, बस एत्तै
जोर से बोला
धर्म की जय हो
अधर्म का नाश हो
विश्व का कल्याण हो
प्राणियों में सद्भावना हो


ब्राह्मणवाद और कम्युनिस्ट
ब्राह्मणवाद में हर कोई ब्राह्मण बन सकता है लेकिन, वामपन्थ तथाकथित प्रगतिशील पोषित ब्राह्मणवाद में नेहरू जी की सन्ततियों के अलावा सब शूद्र हैं। पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से वर्तमान तक। उन्होंने यही अडिग दृष्टि विकसित की है।

ब्राह्मणवाद और कांग्रेस (नेहरू खानदान के मालिकाना हक वाली)
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के अलावा किसी और को Teen Murti में जगह न दी जाए। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कुछ ऐसा ही कहा है। सवाल यह है कि, क्या देश के दूसरे प्रधानमंत्रियों का योगदान भुला देने की कोशिश नहीं हुई। सवाल यह है कि, देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी का योगदान कुछ था या नहीं?

ब्राह्मणवाद और कांग्रेस-कम्युनिस्ट गिरोहबंदी
एक पंडित जवाहरलाल नेहरू को स्थापित करने में और उनके सामने हर दूसरे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को अपमानित करने में वामपन्थियों, तथाकथित प्रगतिशीलों ने अपना जीवन, पार्टी, विचार सर्वस्व स्वाहा कर दिया और कहते हैं कि, ब्राह्मणवाद से लड़ रहे हैं।


Thursday, August 26, 2021

राजनीतिक तौर पर ‘दलदल’ में फँस रहे हैं उद्धव ठाकरे

हर्ष वर्धन त्रिपाठी



देश के राजनीतिक तापमान के मुक़ाबले महाराष्ट्र का राजनीति तापमान हमेशा कुछ डिग्री ऊपर ही रहता है। और, इस समय तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसी सरकार चल रही है, जिसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की थी। शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस पार्टी भी सरकार चला रही हैं। शिवसेना प्रमुख स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी के प्रति सार्वजनिक तौर पर जिस तरह का विचार रखते थे, उसमें यह गठजोड़ होना असंभव था, लेकिन यूँ ही नहीं कहा जाता कि राजनीति में कुछ भी संभव है और यहाँ तो बालासाहब ठाकरे अब जीवित भी नहीं है जो कांग्रेस का हाथ पकड़कर सत्ता हथियाने पर उद्धव ठाकरे अपराध बोध के शिकार होते। शिवसेना सत्ता में है और सत्ता में रहते हुए भी अपनी शैली में ही है। यह अलग बात है कि इस बार की महाराष्ट्र की लड़ाई में शिवसेना के निशाने पर भाजपा के ही नेता-कार्यकर्ता हैं और अभी ताज़ा मामला तो असली बनाम नकली शिवसैनिक का हो गया है। नारायण राणे भले भारतीय जनता पार्टी से केंद्रीय मंत्री हैं और नारायण राणे की रणनीतिक तौर पर कितनी महत्वपूर्ण हैसियत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि में है, इसका अनुमान सिर्फ़ इसी बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताज़ा मंत्रिमंडल विस्तार में शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची में नारायण तातू राणे सिर्फ़ सबसे ऊपर थे बल्कि राणे को एमएसएमई जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय भी दिया है और इस मंत्रालय का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नितिन गड़करी जैसे क़द्दावर नेता से यह मंत्रालय लेकर राणे को दिया है। 

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की नई राजनीति में महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी के लिए नारायण राणे अतिमहत्वपूर्ण हो जाते हैं। और, इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे सिर्फ़ शिवसेना की और उद्धव ठाकरे की हर कमजोरी बहुत अच्छे से जानते हैं बल्कि उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना को उसी की भाषा में जवाब भी दे सकते हैं। और, नारायण राणे भी इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में उनका बढ़ा हुआ महत्व तभी तक बढ़ा रह सकता है जब तक महाराष्ट्र में राणे परिवार राजनीतिक तौर पर ठाकरे परिवार को परेशानी में डालता रह सकता है। नारायण राणे और उनके बेटे नीतेश राणे ही थे, जिन्होंने खुलकर सुशांत सिंह राजपूत दिशा सालियान मामले को आदित्य ठाकरे से जोड़ने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समझते हैं कि महाराष्ट्र में राजनीतिक तौर पर शिवसेना और एनसीपी के गठजोड़ से लड़ने के लिए नारायण राणे जैसा व्यक्ति आवश्यक है। हालाँकि, भारतीय जनता पार्टी का मूल कैडर भी इधर आक्रामक हुआ है। पहली बार ऐसा हुआ कि शिवसेना कार्यालय पर कोई राजनीतिक पार्टी चढ़ाई कर दे और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता दादर के शिवसेना कार्यालय पर चढ़ाई कर देंगे, यह तो हाल-फिलहाल तक किसी की कल्पना में भी नहीं था। वैसे भी मुम्बई-ठाणे और पुणे के अलावा कुछ क्षेत्रों को छोड़कर शिवसेना का प्रभाव बहुत ज़्यादा नहीं है जबकि, भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता पूरे महाराष्ट्र में है। सदन से लेकर सड़क तक भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन शिवसेना और एनसीपी की आक्रामकता के आगे पूरे देश में यह संदेश जाता है कि भाजपा शिवसेना और एनसीपी के आगे कमजोर है। सरकार बनाने के लोभ में देवेंद्र फडणवीस जिस तरह से सार्वजनिक तौर पर शरद पवार के हाथों अपमानित हुए, उससे यह संदेश और मज़बूत हुआ है। इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी क़ीमत पर नहीं चाहते थे कि शिवसेना का साथ भाजपा ने छोड़ा, यह संदेश जाए, लेकिन जब उद्घव ठाकरे और शिवसेना ने सत्ता हासिल करने के बाद तय कर लिया कि भारतीय जनता पार्टी के  नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगातार अपमानित करके ख़त्म करना है, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र भाजपा में रणनीतिक बदलाव का निर्णय ले लिया और, इसी निर्णय के तहत विधानसभा के भीतर देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में भाजपा आक्रामक रही, यहाँ तक कि पहली बार एक साथ भाजपा के 12 विधायकों को एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन के विरुद्ध भाजपा विधायक सर्वोच्च न्यायालय गए हैं। सदन में आक्रामकता के साथ सड़क पर भी शिवसेना को उसी की भाषा में जवाब देने निर्णय भाजपा ने लिया और इसके लिए नारायण राणे को काम पर लगाया गया। 

अप्रत्याशित घटनाक्रम नहीं हुआ तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पहले बृहन्मुम्बई महानगरपालिका का चुनाव होना है। भाजपा ने बीएमसी चुनावों के लिए बनी कोर कमेटी में नारायण राणे के बेटे नीतेश राणे को शामिल करके शिवसेना को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इस बार शिवसेना को हर तरह से कड़ा मुक़ाबला मिलेगा। नीतेश राणे ने देवेंद्र फडणवीस, राज्य नेताओं और केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद देते ट्वीट किया था कि भाजपा की जीत तय है। वैसे तो इस तरह के दावे नेता करते ही रहते हैं, लेकिन बीएमसी में शिवसेना 97 पार्षदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो भाजपा 82 पार्षदों के साथ उसके पीछे-पीछे ही है। कांग्रेस के 31 और एनसीपी के 9 पार्षद हैं। कांग्रेस और एनसीपी दोनों ही पार्टियाँ कह चुकी हैं कि बीएमसी का चुनाव अलग-अलग लड़ेंगे। ऐसे में थोड़ा सा दम लगाकर भारतीय जनता पार्टी शिवसेना में सबसे बड़ी पार्टी भी बन सकती है और बरसों से क़ाबिज़ शिवसेना को कुबेर के ख़ज़ाने बीएमसी की कुर्सी से बेदख़ल भी कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी के लिए सोने पर सुहागा होगा अगर सत्ता में रहते भी शिवसैनिक सड़कों पर उत्पात मचाते रहें। और, शिवसैनिक वही कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के केंद्र सरकार में शामिल मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं। नारायण राणे भी उसी यात्रा के दौरान उद्धव ठाकरे को थप्पड़ मारता, वाले बयान पर पकड़े गए और फिर ज़मानत पर छोड़े गए। अब बांबे हाईकोर्ट के आदेश के बाद 17 सितंबर तक स्वतंत्र हैं। उन्होंने सत्यमेव जयते ट्वीट किया और कहांकि शुक्रवार से जन आशीर्वाद यात्रा दोबारा शुरू करेंगे और महाराष्ट्र को पश्चिम बंगाल नहीं बनने देंगे। हिंदुत्व वाली छवि से सेक्युलर खाँचे में जगह बनाने के लिए कसमसा रही शिवसेना के लिए यह तगड़ा झटका है कि, महाराष्ट्र की तुलना पश्चिम बंगाल से की जाए। शिवसेना और कांग्रेस के गठजोड़ पर भाजपा की आईटी सेल अकसर शिवसेना को सोनिया सेना साबित करने का कोई अवसर जाने नहीं देती है और ऐसे में उद्धव ठाकरे को ममता बनर्जी जैसा भी बताया जाना शिवसेना के समर्पित हिंदू मतदाता समूह को दूर कर सकता है। उद्धव ठाकरे और शिवसेना भी यह बात अच्छे से समझ रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह उन्हें सेक्युलर ख़ेमे में बने रहे के लिए मजबूर कर रहा है और यह सब उस राजनीतिक दलदल जैसा हो गया है, जिसमें शिवसेना लगातार धंसती जा रही है। थप्पड़ मारता है वाले राणे के बयान के जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चप्पल से मारने वाले ठाकरे के बयान पर उनकी भी गिरफ़्तारी की माँग तेज़ हो चली है। नीतेश राणे ने राजनीति में फ़िल्म मनोज बाजपेयी के डायलॉग वाला वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें मनोज बाजपेयी कहते हैं कि, करारा जवाब मिलेगा। देखिए करारा जवाब किसे मिलता है। गिरफ़्तारी के तुरंत बाद ज़मानत और गिरफ़्तारी पर फ़िलहाल रोक से उद्धव ठाकरे बनाम नारायण राणे की लड़ाई में पहला दौर नारायण राणे ने जीत लिया है। बढ़ी दाढ़ी और मूँछों में मोदी मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं। 

(यह लेख https://hindi.moneycontrol.com/news/politics/uddhav-thackeray-caught-in-political-quagmire-by-showing-displeasure-over-narayan-ranes-statement_279591.html पर छपा है)

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...