Monday, May 05, 2014

इस काली कैद से इनकी मुक्ति सबसे जरूरी

तस्वीर कम अच्छी इसलिए आई कि मैं महिला, उसके साथी पुरुष की शक्ल नहीं दिखाना चाहता था
इस बार के चुनावों में धारा 370, समान नागरिक संहिता पर भी खूब बात हुई है। बात क्या हुई है। बहस  हुई है वो भी कुछ इस अंदाज में कि तुम करोगे तो देख लेना कि क्या होता है। मैं कल बिग बाजार में बिलिंग काउंटर की लाइन में था। मेरे बगल के बिलिंग काउंटर की लाइन में एक मुस्लिम परिवार था। परिवार की चार-पांच महिलाएं थीं। वो सब अलग से इसलिए भी दिख रहीं थीं कि ऊपर से नीचे तक वो काले कपड़े में ढंकी हुईं थीं। एयरकंडीशंड रिटेल दुकान होने के बावजूद जितने लोग एक समय में वहां खरीदारी के लिए थे। उसकी वजह से जगह में पूरी गर्मी थी। लेकिन, वो महिलाएं पूरी तरह खुद को दूसरों से पूरी तरह सुरक्षित किए हुए थीं। कमाल की बात ये कि उसी मुस्लिम परिवार का जो पुरुष सदस्य था। वो बढ़िया जींस, टीशर्ट में था। ठीक है जिन मुस्लिम परिवारों के पुरुष अभी भी पुराने विचारों के हैं। लंबी दाढ़ी बढ़ाकर रहते हैं धार्मिक रिवाज का हिस्सा मानकर कई अव्यवहारिक काम भी करते हैं तो उनसे मुझे शिकायत कम होती है। लेकिन, ऐसे मुस्लिम नौजवान जो खुद तो अति आधुनिक परिधानों में जीवन का आनंद ले रहे हैं उनका अपने परिवार की महिलाओं के प्रति ऐसा व्यवहार दुखद है। समान नागरिक संहिता वगैरह तो बाद में पहले इन मुस्लिम महिलाओं को अपने ही परिवार के मुस्लिम पुरुषों के बराबर कपड़े पहनने का अधिकार मिले।

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