Saturday, January 28, 2023

भारतीय अर्थव्यवस्था के पाँच लाख करोड़ से आगे जाने का रास्ता

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi



































नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने देश के आर्थिक आँकड़ों को छूने या पार करने के लक्ष्य तय किए। स्वतंत्र भारत में ऐसा दुस्साहस कोई नेता नहीं करता रहा है। इंदिरा गांधी जैसी बेहद शक्तिशाली नेता ने भी गरीबी हटाओ जैसा नारा ही दिया। कभी नहीं बताया कि, गरीबी कैसे हटेगी। गरीबों को अमीर कैसे बनाया जाएगा। कितने गरीब, कितने समय में गरीबी रेखा से ऊपर पहुँच जाएँगे। राजनीतिक तौर पर ऐसा आँकड़ों को छूने वाला लक्ष्य तय करना दुस्साहस की पराकाष्ठा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ आर्थिक आँकड़ों को बताने वाले ऐसे लक्ष्य तय किए बल्कि, उनकी समय सीमा भी तय कर दी। अब हर कोई पूछता है कि, 2022 तो बीत गया और 2023 शुरू भी हो गया, लेकिन भारत के किसानों की आय दोगुना नहीं हुई। यह अलग बात है कि, इस बात की कोई चर्चा नहीं करता कि, किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कृषि कानूनों का लागू होना आवश्यक शर्त है। अभी दिल्ली में एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट तौर पर कहा कि, कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर मोदी सरकार के पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुना करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं और इस पर तेजी से काम हो रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बात अच्छे से पता है कि, यही समय है, जब भारत अपनी क्षमताओं के संपूर्ण उपयोग करके विश्व मंच पर अपनी असली भूमिका निभा सकता है। और, इसके लिए आवश्यक है कि, देश की जनता को मूलभूत सुविधाओं से आगे की सोचने का रास्ता तैयार हो सके। 

किसानों की आय दोगुना करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाँच लाख करोड़ डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वप्न भी भारतवासियों को दिखाया था। उस लक्ष्य को लेकर इतनी तीखी आलोचना हुई, जैसे एक बेहतर भारत का सपना देखना भी गलत है। सबसे अधिक निराश उन लोगों ने किया, जिनकी पहचान अर्थशास्त्री के तौर पर होती है। उनको तो हर हाल में भारत की अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की ही बात करनी चाहिए थी, लेकिन विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरी करते अपने अनुकूल सत्ता के साथ आर्थिक सलाहकार की कुर्सी पर विराजने वाले ऐसे अर्थशास्त्रियों ने भारत का मनोबल ही इस तरह कर दिया दिया था कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को अलग-अलग तरह से खारिज करने का प्रयास किया जाता रहा। चीन से पूरी दुनिया में फैले वायरस का दुष्प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। जब दुनिया ठप पड़ गई हो और जीवन बचाना प्राथमिकता हो तो जीडीपी ग्रोथ यानि विकास की दर के आँकड़े मायने नहीं रखते, लेकिन इसके बावजूद नरेंद्र मोदी मोदी ने जीवन के साथ बेहतर जीवन के लिए अर्थव्यवस्था में बेहतरी के लिए अपनी योजना में कमी नहीं आने दी। अभी विश्व आर्थिक मंच में विश्व की जानी मानी सलाहकार संस्था एंड वाई ने भारत की अर्थव्यवस्था के शिखर पर पहुँचने का अनुमान लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कहते रहे हैं और इसके लिए मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे सूत्र वाक्य पर देश के लोगों, उद्योगपतियों, सरकार से जुड़े लोगों को आगे बढ़ने को प्रेरित कर रहे हैं। अब एंड वाई की ताजा रिपोर्ट कह रही है कि, भारत की स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूर्ण होने पर भारत छब्बील लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा। इसे ऐसे भी पढ़ सकते हैं कि, 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार छब्बीस लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा और इसे आप विशुद्ध अपने लिए समझना चाहते हैं तो ऐसे समझ सकते हैं कि, प्रति व्यक्ति आय पंद्रह हजार डॉलर हो जाएगी। इसे अधिक सरलता से ऐसे भी समझा जा सकता है कि, भारतीयों की आय किसी भी विकसित देश के नागरिकों की आय के बराबर हो जाएगी। विकासशील भारत के विकसित भारत में परिवर्तित होने का यह अनुमान किसी सलाहकार संस्था के अनुमान या आँकड़ों की कहानी भर नहीं है। पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के विकास की कहानी की हर बाधा को दूर करने के लिए जिस तरह के कड़े निर्णय लिए हैं, उसका परिणाम अब सामने दिखने लगा है। नोटबंदी हो या जीएसटी- इन निर्णयों ने ही भारत की अर्थव्यवस्था का आकार विकासशील से विकसित करने में बुनियादी भूमिका निभाई है। इन्हीं निर्णयों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वाधिक आलोचना होती रही है, लेकिन इन्हीं निर्णयों ने डिजिटल इंडिया के रास्ते पर हाशिए पर खड़े समाज को लाकर मुख्य धारा तक पहुँचा दिया। इन्हीं निर्णयों की वजह से चीन से निकले तबाही के वायरस का दुष्प्रभाव भारत पर न्यूनतम पड़ा। और, यही निर्णय रहे कि, आज चीन के स्थान पर दुनिया भारत को आपूर्तिकर्ता देश के तौर पर देख रही है। 

स्विट्जरलैंड के दावोस में जारी इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि, इतने बड़े आकार की अर्थव्यवस्था का इस दशक में इस तेजी से बढ़ना अप्रत्याशित है। अगले पच्चीस वर्षों में हर क्षेत्र में अपार संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले भारत खड़ा हो रहा है। रिपोर्ट में सुधार को जारी रखने की चुनौती के साथ दुनिया में रही मंदी को मुश्किल के तौर पर दिखाया गया है। भारत में होने वाले किसी भी सुधार के रास्ते में जिस तरह से बाधाएँ पैदा करने की कोशिश की जाती हैं, उससे यह संदेह स्वाभाविक हो जाता है कि, भारत के हर सुधार के रास्ते में इतनी बड़ी बाधा पैदा करने के पीछे किसी तरह की अंतर्राष्ट्रीय साजिश तो नहीं है। दुनिया में जिस तरह से आपूर्ति की समस्या बढ़ रही है। उसमें भारत ही एक ऐसा देश है जो दुनिया की उम्मीद बन सकता है, इस बात का जिक्र इस रिपोर्ट में भी है और एंड वाई के ग्लोबल चेयरमैन कैरमाइन डी सिबियो भी यही बात कह रहे हैं। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, एनर्जी ट्रांजिशन जैसे शब्दों का उपयोग सिबियो करते हैं। रिपोर्ट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा होते हुए देखा जा सकता है। यह प्रश्न आना भी आवश्यक हो जाता है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने का स्वप्न दिखाते हैं और जिसे दुनिया की बड़ी संस्थाएँ भी होता हुआ देख रही हैं। उन्हीं लक्ष्यों को दिवास्वप्न बताकर, असंभव कहकर देश के लोगों का मनोबल तोड़ने की कोशिश कुछ अर्थशास्त्री क्यों करते रहते हैं। ऐसे भारतीय अर्थशास्त्रियों के लाख मनोबल तोड़ने वाले बयानों के बीच भारत इस दशक में दुनिया का भविष्य संवारने वाला अगुआ देश बनने जा रहा है। रिपोर्ट यह भी बता रही है कि, भारत जैसी निवेश संभावना विश्व के किसी हिस्से में नहीं दिख रही है। भारत में मौजूद प्रतिभा ऐसे निवेशकों के लिए मुंहमांगी मुराद जैसा हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर को देश के लिए उपयोग करने के लिए अलग तरीके से बात कहते दिखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि, अमृतकाल है, इस समय का उपयोग करके भारत को विश्व के अगुआ देशों में शामिल किया जा सकता है। यह अमृतकाल वही है जो दुनिया की हर बड़ी संस्था की रिपोर्ट में नीति, नियत, बाजार और प्रतिभा के लिहाज से भारत को सबसे बेहतर निवेश स्थान बता रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि, यह अमृतकाल अगले 25 वर्षों तक रहेगा और आर्थिक आँकड़ों के आधार पर रिपोर्ट देने वाला संस्थाएँ कह रही हैं कि, अगले 25 वर्षों तक भारत में निवेश का सबसे बेहतर लाभ मिलेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2028 तक पाँच लाख करोड़, 2036 तक दस लाख करोड़ और 2045 तक बीस लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत दुनिया की सूचना तकनीक और सेवाओं का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है। जिस तेजी से भारत ने डिजिटल इंडिया बनाया है, दुनिया के विकसित देशों के लिए भी चमत्कार जैसा ही है। इसने आधुनिक तकनीक से कारोबार बढ़ाने की संभावना देखने वाली हर कंपनी का ध्यान भारत की तरफ आकृष्ट किया है। नये तरह के उत्पाद, सेवाएँ भारत में तैयार होने की अथाह संभावनाएँ दिख रही हैं। भारत में हर तरह के प्रोफेशनल तैयार हो रहे हैं। भारतीयों के लिए अंग्रेजी भाषा भी कोई बाधा नहीं है। आत्मनिर्भर भारत से घरेलू निर्माण क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन आने वाला है। तेज विकास के साथ भारत पर्यावरण और दूसरे प्राकृतिक संतुलन को भी ध्यान में रख रहा है। पाँच लाख करोड़ डॉलर से आगे की अर्थव्यवस्था का भारत का रास्ता एकदम स्पष्ट और तैयार है।

(यह लेख स्वदेश के रविवारीय स्तंभ में 22 जनवरी 2023 को छपा है)

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