ये दिल्ली के एक बड़े होटल की तस्वीर है। महिला, पुरुष के लिए प्रसाधन के दरवाजे पर HE या SHE की बजाए M और W लिखा है। लिखावट ऐसी है कि अलग-अलग दोनों एक दूसरे के एकदम उलट दिखते हैं। और थोड़ा समझ लें तो दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे फिट हो जाते हैं कि लगता है एकाकार हो गए हैं। बस यही समझ का फर्क है स्त्री-पुरुष के रिश्ते के किसी भी हाल में पहुंचने का। देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Sunday, May 03, 2015
एकाकार!
ये दिल्ली के एक बड़े होटल की तस्वीर है। महिला, पुरुष के लिए प्रसाधन के दरवाजे पर HE या SHE की बजाए M और W लिखा है। लिखावट ऐसी है कि अलग-अलग दोनों एक दूसरे के एकदम उलट दिखते हैं। और थोड़ा समझ लें तो दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे फिट हो जाते हैं कि लगता है एकाकार हो गए हैं। बस यही समझ का फर्क है स्त्री-पुरुष के रिश्ते के किसी भी हाल में पहुंचने का।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का व्याख्यान- प्रथम दिवस
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य किसी के विरोध या किसी की प्रतिक्रिया में नहीं हुआ है। यह पूर्ण रूप...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...

No comments:
Post a Comment