Saturday, January 05, 2013

ये मामला इतना सीधा नहीं है !

दुष्कर्म की घटना के अकेले चश्मदीद को जी न्यूज एडिटर ने अपने पत्रकारीय पुनर्जन्म के लिए इस्तेमाल किया है। ये बहस चल रही है। बहस ये भी कि ऐसे संवेदनशील मसले की भी पैकेजिंग बड़ी घटिया हुई है। हमें लगता है कि ये दोनों बातें काफी हद तक सही हो सकती हैं। लेकिन, मेरी सामान्य बुद्धि इस घटना में इसलिए जी के साथ है क्योंकि, सुधीर ने जो किया ये उसे करना ही चाहिए। बड़ा दाग धोने का मौका जो उसके पास है। लेकिन, य...े साहस दिखाने के बजाए टीवी के महान संपादक सरकारी स्थिरता पर क्यों लामबंद हैं। अब ये इंटरव्यू तो हमेशा सरकार पर उंगली उठाता रहेगा। दूसरी बात टीवी इतना ही संवेदनशील रहता है कि किसी भी घटना की पैकेजिंग अतिमहत्वपूर्ण होती है। कितनी भी संवेदनशील खबर पर घंटों न्यूजरूम में इस बात पर खर्च होते हैं कि कौन सा संगीत या गाना लगे कि और ज्यादा लोग इससे जुड़ जाएं। ये बहसें छोड़िए। सुधीर को दोषी ठहराते रहिए, जरूरी है। लेकिन, इस मुद्दे पर जी के साथ आइए, उसके साहस को सलाम कीजिए। वरना सरकारी चाबुक तो, तैयार है ही।

जो, लोग इसे कानून के खिलाफ बता रहे हैं उनकी जानकारी के लिए सिर्फ ये लड़का ही नहीं। उस लड़की के पिता भी न्यूज चैनलों को साक्षात्कार देना चाह रहे हैं। उनकी लड़की के नाम को सम्मान से जाना जाए ये चाहते हैं पहचान-सम्मान देने में न तो मीडिया साथ दे रहा है न सरकार। फिर से सोचिए सारा मामला समझ में आ जाएगा।

2 comments:

  1. प्रस्तुत प्रकरण में अपराध एक जनसाधारण के प्रति दुसरे जनसाधारण द्वारा
    किया गया है यदि अपराध कर्त्ता कोई नेता-मंत्री या कोई विशिष्ट व्यक्ति होता
    तो आज घटना का चित्र कुछ और होता
    यदि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का कोई सीधा चित्र उपलब्ध
    होता तो समाचार माध्यम उसे भी प्रसारित कर दिखा,सुना या पढ़ा देते
    कारण स्पष्ट है लोकप्रियता, विज्ञापन एवं उससे जनित माया ही इनकी माई-
    बाप हैं.....

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  2. उसके दोस्त का कथन सुना, उसका बयान पुलिस की सचाई खोल रहा है । लडकी की बहादुरी वाकई काबिले तारीफ है । उसका नाम जो किसी नये कानून को देने की बात चल रही है वह होना चाहिये । ताकि हर लडकी बहादुरी का सबक ले । अपने आप को अधिक सक्षम बना कर चले ।

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