अटल-आडवाणी-जोशी दरअसल संघ के स्वयंसेवक पहले थे। बीजेपी नेता बाद में। शुरुआती विरोध के बाद सर्वस्वीकार्य हो गए। क्या संघ अपने किसी ऐसे स्वयंसेवक को प्रचारक के तौर पर बीजेपी में नहीं निकाल सकता जिसने दरअसल त्याग का जीवन जिया हो। बेदाग हो और कम से कम 2 पीढ़ियों से जिसका ठीक संवाद हो और आगे की एक पीढ़ी से तरीके से संवाद करने लायक हो। रकम से राजनीति होती है इसे ध्वस्त करने वाला हो। ये स्थापित कर सके कि राजनीति ठीक रही तो, रकम तो, आती ही रहती है।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Tuesday, October 23, 2012
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एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...
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आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
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