रामलीला मैदान पर अन्ना का एक मुस्लिम समर्थक |
इस आंदोलन में दलितों की हिस्सेदारी कितनी ज्यादा है। ये रामलीला मैदान में एक बार आंख खोलकर घूमने से पता चल जाएगा। कल करोलबाग के अंबेडकर टोले से 400 दलित आए थे। सबसे मैंने कैमरे पर ये पूछा कि क्या आप लोग सिर्फ भावनाओं में बहकर यहां चले आए हैं। जबकि, तथाकथित दलित नेता तो, कह रहे हैं ये शहरी, इलीट सवर्णों का आंदोलन है। तो, सबका जवाब था- अन्ना को गरियाने वाले बेवकूफ हैं।
मैंने उनसे नाम के साथ वो, क्या कर रहे हैं। ये सब पूछा है। कुछ भी भुलावे में रखकर नहीं। ये तथाकथित एक धर्म, वर्ग, जाति के नेताओं को दुकान बंद होने का खतरा हमेशा ही सताता रहता है। और, उसमें ये बेवकूफियां भी करते रहते हैं।
सच है इनकी दुकानदारियां बन्द हो जाएंगी।
ReplyDeleteआप सही कह रहे हैं,सहमत.
ReplyDeleteदलितों और मुसलमानों की रहनुमाई का दावा कने वालों की आंखें जितनी जल्दी खुल जाएं, उतना अच्छा है।
ReplyDeleteबौखला गये हैं और क्या ?
ReplyDeleteधीरे धीरे देश में फूट डालने वालों की दुकान बंद होगी।
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