Friday, August 19, 2011

कमाल की बेहूदगी है!

इंडिया गेट पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक तस्वीर
कुछ लोग बेहूदगी की हद तक चले जाते हैं। अभी तक ये फेसबुक और सोशल साइट्स पर ही था। अब टीवी पर भी दिखने लगा। कुछ लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के इस आंदोलन को लोग सवर्णों का आंदोलन कह रहे हैं। कमाल है देश के हर बदलाव वाले मौके को दलित विरोधी करार दे दो। और, आरोप लगाते घूमो कि दलितों को मुख्यधारा में आने नहीं दिया जा रहा। दरअसल ऐसा करने वाले वो, लोग हैं जिनकी दुकान इसी भर से चल रही है।

‎4 दिनों से मैं इस आंदोलन की कवरेज कर रहा हूं। और, मेरा ये आंकलन है कि ये जेपी से बड़ा आंदोलन है। क्योंकि, वो पूरी तरह से राजनीतिक आंदोलन था। ये सामाजिक, पूरी तरह से जनता का आंदोलन है। आप बताइए

3 comments:

  1. कुछ लोगों को अपनी दुकानदारियां समाप्‍त होती दिखायी दे रही हैं, इसलिए इतनी चिल्‍लपौं मचाई हुई है। आज का युवा यदि सामाजिक क्रान्ति के लिए बाहर आया है तो उसका स्‍वागत किया जाना चाहिए। आज देश में दर्जनों ऐसे नेता हैं जो जयप्रकाशजी के आंदोलन से निकले हैं। इसी प्रकार आज इस आंदोलन से मुठ्ठीभर अरविन्‍द केजरीवाल जैसे सामाजिक जननायक निकलते हैं तो यह बहुत बड़ी देन होगी।

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  2. जय हो,
    कबिरा इस संसार में।

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  3. सही कह रहे हैं.
    लगता है देश सुधार का काम केवल सवर्णों के बल पर ही होगा?
    कौन रोक रहा है-सुधार की अलख तो जगाएं भाई लोग.

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