Tuesday, April 12, 2011

खून में घुस गया है भ्रष्टाचार

अन्ना के आंदोलन को कितना बड़ा समर्थन मिल रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बाजार को ये मजबूरी में अपने से जोड़ना पड़ रहा है। आज डिशटीवी रीचार्ज में गड़बड़ी पर फोन किया तो, डिश टीवी की प्रतिनिधि ने पहले अन्ना के सफल आंदोलन पर बधाई दी। फिर मैंने जब पता किया तो, पता चला कि 24 घंटे पहले जिस दुकान से डिश टीवी रीचार्ज कराया था। उसने पैसे ही नहीं जमा कराए। अन्ना के आंदोलन से मेरी भी उम्मीद जगी है। लेकिन, इन लोगों का क्या कर सकते हैं।



उसके बाद मैं वसुंधरा से इंदिरापुरम की उस दुकान पर गया। तो, दुकान मंगलवार की वजह से बंद थी। बोर्ड से देखकर फोन किया तो, उसने कहा अभी मैं डिशटीवी वालों को हड़काता हूं। फिर बोला कि अच्छा 5 मिनट में फोन करिए तो, बताता हूं। 5 मिनट बाद फोन करने पर उको जब मैंने अपने वीसी नंबर बताया तो, उसने साफ कहा कि इस नंबर का रीचार्ज तो उसने कल किया ही नहीं। फिर जब मैंने उसे हड़काया और न चाहते हुए भी मीडिया में होने और शिकायत की धमकी दी तो, उसी अंदाज में वो बोला कि हमारे लिए सब ग्राहक एक जैसे हैं।लेकिन, उसकी आवाज थोड़ी नरम हो गई थी। और उसने कहा 5 मिनट में बताता हूं। 5 मिनट बाद उसने मेरे पैसे जमा कराए और फिर फोन किया। ट्रांजैक्शन नंबर बताया। मैंने उसे हिदायत देकर फोन रखा। लेकिन भ्रष्टाचार की कहानी अभी बाकी थी। कस्टमर केयर से पता चला कि 250 में से उसने 248 का ही रीचार्ज कराया। मैंने कस्टमर केयर से पूछा क्या ये सही है तो, उसने कहा है तो, गलत लेकिन, 20 रुपए से कम की शिकायत हम दर्ज नहीं कर सकते। हमने भी 2 रुपए के दुकानदार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त किया मजबूरी में।



अन्नांदोलन का घोर समर्थक होने पर भी कुछ कर नहीं सका। क्योंकि, इस भ्रष्टाचार से निपटने के लिए समय और मानसिक शांति खोने की स्थिति में मैं नहीं हूं। फिर भी उम्मीद करता हूं कि अन्नांदोलन की आग भ्रष्टाचार पर पर कुछ प्रहार तो करेगी ही।

5 comments:

  1. कुछ भी सुधरें तो सार्थकता बनी रहेगी।

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  2. हर एक को बदलना होगा... तभी खून से भ्रष्ट्राचार निकल पाएगा...

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  3. बिल्कुल! मामला संथायें बनाने का नहीं, चरित्र बनाने का है!

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  4. कमाल है । दो दो कर के ही कमाई करते हैं क्या ये लोग ।

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  5. इस भ्रष्टाचारी रुपी सुरसा को जड़ से खत्म करना होगा। इसके लिए हम सब को एक हो कर भ्रष्टाचार के खिलाफ नई क्रांति की शुरुआत करनी होगी। तभी कुछ हो सकता है।

    बना है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता।

    आप का ब्लॉग पढ़ कर मन को तस्सली मिली कि कोई आज भी है अच्छा लिखने वाला।
    आप को समय मिले तो कभी हमारे ब्लॉग पर दस्तखत थे हमे और हमारे अनुसरणकर्ताओ को अच्छा लगेगा।

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