हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Trpathi
फर्जीवाड़ा करने वालों को पकड़ना बहुत कठिन है, यह बात हम सब जानते हैं और इससे भी कमाल की बात यह है कि, फर्जीवाड़ा करने वाले पकड़े जाने पर होने वाली कार्रवाई को भी अपने पक्ष में इस्तेमाल कर लेते हैं। इसका ताजा उदाहरण तब सामने आया, जब पता चला कि, राधिका रॉय, प्रणय रॉय के नाम से बनी कंपनी RRPR Holdings को अडानी मीडिया समूह ने खरीद लिया है। जह समाचार चौंकाने वाला था क्योंकि अडानी मीडिया समूह ऐसे कैसे RRPR Holdings को खरीद सकता है। बाद में इस बात की जानकारी पता चली कि, दरअसल एनडीटीवी पर पहले से लदे कर्जों का बोझ NDTV Promoters पर भारी पड़ रहा था और उन्होंने 2009 में VCPL नाम की कंपनी से कर्ज लिया था। उस कर्ज की शर्तों में यह शामिल था कि, कंपनी उसे शेयरों में तब्दील कर सकती है। कमाल की बात यह भी थी कि, VCPL 2008 में बनी और उसने जो कर्ज NDTV चलाने वाली कंपनी RRPR को दिया, उसे भी वह रकम रिलायंस की किसी कंपनी से मिली थी। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि, 2009 के बाद से ही एनडीटीवी में प्रणय-राधिका के अलावा सबसे हिस्सेदारी अंबानी की ही थी। अब अंबानी समूह से जुड़ी उस कंपनी ने अपनी पूरा हिस्सा अडानी समूह को बेच दिया है। इसके तुरंत बाद अडानी ने कर्ज के तौर पर RRPR के जारी वारंट को शेयरों में बदलने के लिए चिट्ठी लिख दी। पहले के घटनाक्रम को समझने के लिए यह रिपोर्ट भी देखी जा सकती है।
अब यहाँ एनडीटीवी के प्रोमोटर राधिका और प्रणय रॉय पर लगे फर्जीवाड़े के आरोप के आधार पर लगा प्रतिबंध RRPR के शेयरों को अडानी मीडिया समूह को देने से रोकने के काम आ रहा है। अब एनडीटीवी उसके प्रोमोटरों राधिका और प्रणय रॉय पर शेयरों की खरीद-बिक्री, हस्तांतरण पर लगी रोक के आधार पर अडानी मीडिया समूह को 29.2 प्रतिशत शेयर देने से मना कर चुका है हालाँकि, यह रोक भी 26 नवंबर 2022 तक ही है। और, उसी बीच मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, SEBI की आंतरिक जाँच में पाया गया है कि, रोक एनडीटीवी के प्रोमोटर राधिका और प्रणय रॉय पर लगी है न कि उनकी कंपनी RRPR पर।
हो सकता है कि, जल्द ही सेबी की तरफ से अधिकारिक तौर पर यह स्पष्टता भी आ जाए, लेकिन किसी भी सूरत में 26 नवंबर 2022 के बाद RRPR के शेयर अडानी मीडिया समूह के पास आ ही जाएँगे। अब देखना यही है कि, क्या तब तक भी राधिका और प्रणय रॉय का शेयरों की खरीद-बिक्री में किया फर्जीवाड़ा उन्हें कुछ महीने के लिए बचा पाएगा। अब तो आपको अच्छे से स्पष्ट हो गया होगा कि, राधिका प्रणय रॉय पत्रकारिता के मसीहा नहीं हैं। शेयरों की खरीद-बिक्री गलत तरीके से करके लाभ कमाने वाले सटोरियों जैसे हैं। शायद अडानी भी चुपचाप उन्हें पैसे दे देता तो रॉय दंपति हल्ला हंगामा भी नहीं करते, लेकिन गौतम अडानी के मीडिया समूह ने सीधे मीडिया चलाने का निर्णय लिया तो सरोकारी छवि बचाने के लिए सारा हल्ला हंगामा कर रहे हैं और उसमें एनडीटीवी से बड़ी हो गई रवीश कुमार की छवि का सहारा ले रहे हैं। वरना, कानूनी मामलों का जवाब देने के लिए रवीश कुमार को ट्विटर पर डियर जनता का संबोधन न करना पड़ता। अच्छा है, सबका चाल चरित्र चेहरा सामने आ रहा है। यही स्वर्णिम युग है। सरोकार की आड़ में फर्जीवाड़ा करने वालों का चेहरा सामने आ रहा है। अच्छे पत्रकार और अच्छे नागरिक के तौर पर प्रसन्न हो सकते हैं कि, अडानी ने सरोकारियों का असली चेहरा उजागर कर दिया है, लेकिन कहानी खत्म नहीं हुई है, अभी बहुत कुछ होना बाकी है।
इस मसले पर मेरी दोनों वीडियो रिपोर्ट भी देख सकते हैं