हर्ष वर्धन त्रिपाठी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई और राज्यों को भी आत्मनिर्भर बनने के इस मुक़ाबले में आगे निकालने की चुनौती पेश की। आत्मनिर्भर भारत के इस अभियान में राज्यों के बीच उद्योगों को अपने राज्य में लाने की मुक़ाबला शुरू भी हुआ। देश के सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने श्रम क़ानूनों में अप्रत्याशित सुधार करके विदेशी निवेशकों को अपने राज्य में निवेश करने के लिए गुजरात और महाराष्ट्र जैसे आद्योगिक राज्यों के सामने खड़ा कर दिया। चीन के वुहान शहर से फैला वायरस सम्पूर्ण विश्व को जिस तरह से संक्रमित कर चुका है, उसमें दुनिया को बहुत अच्छे से स्थानीय स्तर पर हर तरह की आवश्यक सुविधा तैयार करने का महत्व समझ आ चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत की योजना भी उस समझ का परिणाम है। लॉकडाउन के दौर में भारत के सभी राज्यों ने अपने राज्य के लोगों के लिए रोज़गार के मौक़े तैयार करने की योजना बनाना शुरू कर दिया। कुछ राज्यों को शुरुआती सफलता भी मिली, लेकिन इस सफलता का कुछ बड़ा परिणाम दिखता, उससे पहले ही कोरोना वायरस ने भारत में ऐसी तबाही मचा दी, जिसका अनुमान शायद ही किसी को रहा हो। केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकारें, आर्थिक गतिविधि को दुरुस्त करने के रास्ते खोज रहीं थीं। हालांकि, सबसे ज़्यादा औद्योगीकृत महाराष्ट्र के हालात कभी सुधरे ही नहीं थे और उस पर देश के दूसरे राज्यों में भी हालत बुरे हुए तो देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ ही स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए आत्मनिर्भर न होने की पोल भी खुल गई।
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा ऑक्सीजन उत्पादन राज्य है और स्वाभाविक तौर पर उसके बाद उसी गुजरात का स्थान आता है, जिस गुजरात मॉडल को लेकर देश में राजनीतिक रस्साकशी सबसे ज़्यादा होती है। महाराष्ट्र और गुजरात ही देश के सबसे ज़्यादा औद्योगिक राज्य भी हैं। चौंकाने वाली बात है कि क्षेत्रफल के लिहाज़ से दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश में कोई ऑक्सीजन प्लांट है ही नहीं। मध्य प्रदेश पूरी तरह से इसकी आपूर्ति के लिए महाराष्ट्र और गुजरात पर आश्रित है। और, जब महाराष्ट्र और गुजरात में माँग बढ़ी तो मध्य प्रदेश के लिए ऑक्सीजन कैसे मिल पाती। वही हुआ और मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था बदहाल हो गयी। देश की राजधानी दिल्ली में किसी भी बड़े-छोटे अस्पताल के पास अपना लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट नहीं है। हाँ, बड़े अस्पतालों के पास इसके भंडारण की क्षमता अवश्य है।
भारत का ऑक्सीजन उत्पादन प्रतिदिन 7000 टन का है। इसमें 2000 आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स ही बनाती है। देश में ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स के निदेशक सिद्धार्थ जैन कह रहे हैं कि देश में ऑक्सीजन की उतनी बड़ी दिक़्क़त नहीं है, जितनी दिख रही है, लेकिन एक राज्य से दूसरे राज्य तक ऑक्सीजन ले जाना सबसे बड़ी समस्या है। इस समय भी आंध्र प्रदेश, ओड़िशा और झारखंड में माँग से ज़्यादा ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ओड़िशा से आपूर्ति हो रही है। दुनिया में पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए रेलगाड़ी चलाई है। रोरो रेल सेवा के ज़रिये भारतीय रेलवे क्रायोजेनिक टैंकर से ऑक्सीजन की आपूर्ति लंबी दूरी तक कर रही है।
आमतौर पर ऑक्सीजन प्लांट वहीं होते हैं, जहां औद्योगिक इकाइयों में इसकी ज़रूरत होती है। महाराष्ट्र और गुजरात देश के सबसे ज़्यादा ओद्योगीकृत राज्य हैं, इसलिए वहीं सबसे ज़्यादा ऑक्सीजन प्लांट हैं। इसके अलावा भी उद्योगों के नज़दीक ही ऑक्सीजन प्लांट लगे हैं। सामान्य तौर पर कुल उत्पादन के 20 प्रतिशत की आपूर्ति ही स्वास्थ्य क्षेत्र में होती है और 70 प्रतिशत ऑक्सीजन की खपत उद्योगों में होती है। अब वायरस के संक्रमण के समय लगभग पूरी ऑक्सीजन अस्पतालों में और लोगों की स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए दी जा ही है, लेकिन माँग पूरा करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि देश में प्रतिदिन की माँग 8000 टन की हो गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को फटकार लगाई है। ऐसी ही फटकार बांबे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने लगाई है, लेकिन सवाल वही है कि क्या स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिहाज़ से किसी भी राज्य ने आत्मनिर्भर होने की कोई पक्की योजना बनाई है तो इसका जवाब नहीं में है।
इफ़को ने गुजरात में आननफानन में पहला ऑक्सीजन प्लांट शुरू किया है। कुल मिलाकर देश में 4 ऑक्सीजन प्लांट इफ़को शुरू कर रहा है। गुजरात के कलोल, उत्तर प्रदेश में आंवला, प्रयागराज में फूलपुर और ओड़िशा में पारादीप में इफ़को ऑक्सीजन प्लांट लगा रहा है। देश के सभी उद्यमियों ने अपने औद्योगिक ऑक्सीजन को लोगों का जीवन बचाने के लिए भेजना शुरू कर दिया है। रिलायंस महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश को प्रतिदिन ऑक्सीजन भेज रहा है। टाटा स्टील, जिंदल स्टील, वेदांता और सभी उद्यमियों ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करना शुरू किया है, लेकिन इसके बावजूद देश में हाहाकार मचा है क्योंकि लिक्विड ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना कठिन कार्य है। रेलवे की रोरो सेवा ने कुछ आसानी की है, लेकिन स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन की कमी से अस्पतालों में मरीज़ों का हाल बुरा है। तमिलनाडु के तूतीकोरिन में बंद पड़े प्लांट को खोलने के लिए वेदांता ने अर्ज़ी दाखिल की है और कहा है कि प्रतिदिन 1000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन तूतीकोरिन प्लांट से करके देश को दे सकते हैं।
वायरस के संक्रमण से मचे हाहाकार के बीच बड़ा सबक छिपा हुआ है और सबक़ यही है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में ऑक्सीजन उत्पादन के मामले में देश के हर राज्य को आत्मनिर्भर होना ज़रूरी है। ज़ाहिर है कि ऑक्सीजन प्लांट वहीं लगेंगे और सामान्य स्थितियों में भी चालू रखने की स्थिति में होंगे, जहां औद्योगिक इकाइयाँ होंगी। इसलिए देश में औद्योगीकरण और आत्मनिर्भरता को हर राज्य को अपनी प्राथमिकता में रखने की ज़रूरत है और गुजरात, महाराष्ट्र से उद्योगों को लाने में मुक़ाबला करने वाले राज्यों को स्वास्थ्य सेवाओं और ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में तेज़ी से मुक़ाबला करना होगा। वायरस काल में राज्य के लोगों का जीवन बचाने और सामान्य स्थितियों में राज्य के लोगों को उद्योगों के ज़रिये रोज़गार के मौक़े देकर उनकी जीवन स्तर बेहतर करने के काम आएगा। आत्मनिर्भर भारत को आत्मनिर्भर राज्य के अभियान के तौर पर आगे बढ़ाने की सख़्त ज़रूरत दिख रही है।
(यह लेख https://hindi.moneycontrol.com/news/country/challenge-of-achieving-the-goal-of-aatm-nirbhar-rajya-from-aatm-nirbhar-bharat-for-oxygen-cylinders-plants_263297.html पर छपा है)
बढियां विचार है जय श्री राम
ReplyDeleteGood thought on this important topic
ReplyDeleteहर्ष जी हर राज्य को आत्मनिर्भर होना ही होगा तब ही भारत आत्मनिर्भर बनेगा
ReplyDeleteकैसे आत्म निर्भर होंगे । दिल्ली का मुख्यमंत्री एक नौटंकीबाज है । दिल्ली के 8 आक्सीजन प्लांट मंजूर हुए । पैसे भी रिलीज हो गए लेकिन आज तक उन प्लांटों की साइट भी इसने क्लीयर नहीं की और अब तक सिर्फ एक प्लांट लगा वह भी चालू नहीं हुआ । सबसे निकम्मा मुख्य मंत्री । ऐसे ही बाकी भी अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं, देश व लोगों की चिंता किसी को भी नहीं ।
ReplyDeleteसबकुछ ठीक लिखा है, फिर इतना नकारात्मक प्रोपेगंडा कयो
ReplyDeleteदिल्ली की जनता जवाबदार है इस हालत का सब को फ्री में सारी सुविधा चाहिए तो क्या किया जा सकता है .. ये सीएम सब कुछ फ्री दे के ही चुनाव जीत जाता है ।
ReplyDeleteइस बेहाल की वजह खुद जनता है जिसने इस निकम्मे को इसलिए चुना की सब फ्री में मिलेगा और अब फ्री में कोई इलाज नहीं हो पा रहा है
आप सिर्फ सरकार की चाटुकारिता करते रहो. आप के रीड की हड्डी गल गयी हैं आप अपना RSS वाला संघी अजेंडा जारी रखो आप केवल नाम के निष्पक्ष पत्रकार हो पत्रकारिता आप छोड के भाजपा का प्रवक्ता बनो.
ReplyDeleteBJP CONGRES AAP V ANYA PARTY SHASHIT RAJYA KO KEMDER. SARKKAR (MODI SARKAAR) SE KAFI BADA BUDGET PRAPT HUA THA OXYGEN PLANT LAGANE KE LIYE LIYE.....AAJ KEJRIWAL SABSE JAYDA RO RAHE HAI UNKO KENDER SE 8 OXYGEN PLANT LAGANE KE PAISE MILE THE LEKIN KYA hua ..SIRF 1 OXYGEN PLANT HI LAGA.,KYA ISKE LIYE STATES KO KATHGARE ME KHADA KARNA JARURI NHI HAI ?
ReplyDeleteOXYGEN KI PRODUCTION INDIA ME PURI HO SAKTI HAI .ISKE LIYE ROAD JA TRAIN ache VIKLUP hai. AB DELHI ME HI DEKH LIJIYE KISSAN ANDOLAN KI WAJAH SE OXYGEN AADHI DELHI ME 2:30 GHATE DERI SE PAHUCH RAHI HAI.ISKE LIYE KISKO JIMMMEWAR SAMJHA JAYE
? KENDER KO JA STATE. KO ...BILKUL STATE KO KEJRIWAL NE EK SHABD BHI ANDOLIT KISSANO KE KHILLAF NHI KAHA . KYA KEJRIWAL SARKAR KO INSAANIAT SE BAD KAR ANDOLAN PYARA HAI .,.mere hissab se KEJRIWAL SARKAR ko sirf 800 crore ke vigaypan hi ache latte hai. Baki aap sab ko malum hai ke hamate desh me muft de kar koi bhi vote le sakta hai ..JAI HIND ..