#SelfSustainedVillage ये गुप्तकाशी का एक गांव हुडू है। यहां सभी घर पक्के हैं। और जो थाली आप देख रहे हैं। ये पूरी तरह से इसी गांव की है। मतलब सिर्फ इतना नहीं कि इस गांव के लोगों ने हमें ये थाली खाने के लिए दी। बल्कि, इस थाली में जो कुछ भी वो इसी गांव के खेतों में पैदा हुआ है। इस गांव के मसाले किसान संगठन की मदद से शहरों में भी खूब बिक रहे हैं। और इस पूरी समृद्धि की मालकिन महिलाएं हैं। पहले पहल तो खाना शुरू करते मन में थोड़ी हिच बनी हुई थी। जब खाना शुरू किया तो इतना पौष्टिक और रुचिकर भोजन कि पेट की भूख से ज्यादा खाया।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Sunday, June 05, 2016
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का व्याख्यान- प्रथम दिवस
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य किसी के विरोध या किसी की प्रतिक्रिया में नहीं हुआ है। यह पूर्ण रूप...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
No comments:
Post a Comment