Friday, October 22, 2010

ये चीन की तरक्की की असली कहानी है

चीन में इस महिला के 8 महीने बच्चे की हत्या कर दी गई
इस तरह की कहानी चीन से निकलकर कम ही आती है। लेकिन, इसे पूरी दुनिया को जानना बेहद जरूरी है। चीन की तरक्की की कहानी दुनिया अकसर कहती रहती है। लेकिन, ये किस कीमत पर मिल रही है ये कभी-कभी ही चर्चा में आता है। कभी-कभी भारत में भी हम लोग ये कहकर कि चीन जैसी तरक्की हो तो, तानाशाही में भी क्या दिक्कत है। हम तरक्की तो कर लेंगे। लेकिन, इस तरह की चीनी तरक्की के फॉर्मूले को समझकर शायद हममें से जो, लोग चीन की तरह बनने-बनाने का सपना देख रहे हैं वो, थोड़ा दूसरा सपना देखना शुरू कर दें।

चीन के Siming इलाके में सारी मानवता को जलील कर देने वाली घटना हुई है। चीनी परिवार नियोजन अधिकारियों ने एक गर्भवती महिला के 8 माह के बच्चे की पेट में ही खतरनाक इंजेक्शन देकर हत्या कर दी। Luo Yanquan कंस्ट्रक्शन वर्कर हैं और उनके पहले ही एक 9 साल की बेटी है। और, डब चीन के Siming  के परिवार नियोजन अधिकारियों को पता चला कि Luo Yanquan  की पत्नी Xiao Aiying फिर से गर्भवती है तो, सिर्फ एक बच्चे की तानाशाही नीति के तहत उन्होंने जबरदस्ती उसकी भ्रूण हत्या की कोशिश की। पेट में बच्चे के 8 महीने पूरे हो चुके थे। लेकिन, किसी भी बात की परवाह न करके चीन के परिवार नियोजन अधिकारियों ने Xiao Aiying को बुरी तरह से मारा पीटा। और, जबरदस्ती घातक इंजेक्शन के जरिए बच्चे की हत्या कर दी।

Luo Yanquan ने इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाही लेकिन, वहां उनकी किसी ने नहीं सुनी। न तो वहां का डरा-दबा-प्रतिबंधित मीडिया Luo Yanquan की मदद करने के लिए सामने आया। यहां तक कि इस ज्यादती के खिलाफ मामला दायर करने के लिए वकील तक नहीं मिला। थक हारकर Luo Yanquan  ने अपने ब्लॉग पर  अपनी दुभरी दास्तान लिखी। जिसे देखकर अल जजीरा चैनल ने इसकी रिपोर्ट तैयार कराई और ये दुनिया के मीडिया में आया। लेकिन, ये एक कहानी है। सच्चाई ये है कि चीन की पूरी तरक्की की बुनियाद में ऐसे कितने अजन्मे-जन्मे बच्चों की लाशें दबा दी गई हैं।

17 comments:

  1. hindi chini bhai bhai

    ReplyDelete
  2. दूसरे बच्‍च्‍े को जन्‍म देना चीनी सरकार की दृष्टि में अपराध है !!

    ReplyDelete
  3. ओह बहुत दुखद स्थिती है। आभार इस जानकारी के लिये।

    ReplyDelete
  4. हर्ष भाई,
    हालांकि यह क्रूरता की पराकाष्ठा है, लेकिन फ़िर भी जनता को सरकार की नीतियों के अनुरुप अपना बर्ताव रखना चाहिये। यह उस महिला की गलती है कि वह दोबारा गर्भवती क्यों हुई? जनसंख्या विस्फ़ोट को रोकने का सही तरीका चीन वाला ही है, भारत में तो "समझाइश" और "राजनीति" दोनों रास्ते फ़ेल हो चुके हैं आबादी रोकने में।

    भारत में एक सड़क बनानी हो तो दस विभागों से अनुमति लेना पड़ती है, फ़िर भी कोई न कोई "जनहित याचिका" में उलझा ही देता है…

    ReplyDelete
  5. राष्ट्रीय नियम व्यक्ति से बड़े हैं. इस प्रकार की छूट यदि अन्य नागरिक भी लेने लगें तो देश में परम्परा पड़ जाएगी, छिप कर गर्भ को ८-८ / नौ नौ महीने पाल कर धज्जियाँ उड़ाने की.. कई बार बड़े राष्ट्रीय मानवीय हित के लिए निजी इच्छाओं, चावों, अभिलाषाओं की बली देनी पड़ती है.
    ऊपर से अल जजीरा जैसा संगठन इसे मुद्दा बना रहा है, रूचि लेकर जैसे मौके का लाभ उठा रहा है, तो हर आम ख़ास व्यक्ति को इसके राष्ट्रीय निहितार्थ समझने चाहिएँ. भारत जैसे देश में भी राष्ट्रीय नियमों और अनुशासन के लिए ऐसी कड़ाई बरतनी चाहिए

    ReplyDelete
  6. माफ़ कीजियेगा पर इस पूरी कहानी में सच्चाई थोड़ी कम दिख रही है | जहा तक मैंने पढ़ा लिखा और टीवी में देखा है उसके अनुसार चीन में एक बच्चे के कानून में थोड ढील दिया गया है कुछ सामाजिक परिस्थितियों के कारण कुछ लोग आराम से दो बच्चे कर सकते है दो बच्चे होने पर सजा जुर्माने का प्रावधान है पर ८ माह के बच्चे को मारने की बात हजम नहीं हो रही है और इंजेक्शन के मार्फ़त क्या उसका महिला पर कोई असर नहीं हुआ | चीन में मानवाधिकार का हनन आम बात है पर ये तो कुछ ज्यादा ही हो गया |

    ReplyDelete
  7. विकास का क्रूर व भयावह चेहरा।

    ReplyDelete
  8. thanx for revealing the naked truth !

    ReplyDelete
  9. बहुत दुखद है सर। बाकई ऐसी तरक्की हमें न ही मिले तो ठीक है। दूर के ढोल सुहावने होते हैं। पता नहीं किसी अखबार में भी शायद यह खबर नहीं छपी। अपने अवगत कराया इसका बहुत बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  10. क्रूरतम कहा जा सकता है ...पर समाज में राज व्यवस्था में बनाए कानूनों का भी पालन आवश्यक है !
    .....भारत में तो अब तक कोई सविंधान संशोधन पास कर दिया गया होता !!!

    ReplyDelete
  11. दूसरों पर उंगली उठाने से पहले आपातकाल के दौरान
    परिवार नियोजन के नाम पर हुए अमानवीय अत्याचारों
    को याद कर लिया जाए तो बेहतर रहेगा. आज भी हर साल
    कितनी भ्रूण हत्याएं कर दी जाती हैं इसका मात्र अनुमान ही
    लगाया जा सकता है. पुरे विश्व में कुपोषण से मरने वाले
    बच्चों में से एक चौथाई हमारे देश के होते हैं. ये कुछ नमूने
    हैं हमारी लोकतांत्रिक(?) व्यवस्था की उपलब्धियों के. बात
    निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी.

    ReplyDelete
  12. भ्रूण हत्याएं अपराध है और इस्पे रोक आवश्यक

    ReplyDelete
  13. इस मुद्दे पर मैं सुरेश चिपलूनकर जैसे ही विचार रखता हूँ. जो नियम बनाये गए हैं उनका सख्ती और ईमानदारी से पालन होना चाहिए. ये उस महिला कि गलती है कि उसने समय रहते अपनी भूल नहीं सुधारी. मैं चाहता हूँ ऐसा ही कुछ भारत में भी होना चाहिए. राष्ट्रहित सर्वोपरि. इस मुद्दे में मुझे जो उल्लेखनीय बात दिखती है वो है ब्लॉग्गिंग कि पहुच और व्यापकता. इस घटना से पाता चलता है कि वास्तव में ब्लॉग लिखना अपनी बात को दूसरों तक पहुचाने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है. और हाँ दूसरों को बेवकूफ बनने का भी जैसा कि कुछ अलगाववादी आतंकवादी कर रहे हैं.

    ReplyDelete
  14. दुखद घटना लेकिन जनहित और मानव को मानव बनाये रखने के लिए पूरे विश्व में जनसँख्या नियंत्रण के लिए सख्ती जरूरी है | आज भारत में भी जनसँख्या नियंत्रण के लिए बेहद सख्ती जरूरी है |

    ReplyDelete
  15. नियम का पालन जरूरी है तो नियमों का मानवीय और व्यावहारिक होना भी उतना ही जरूरी है। यह देखना होगा कि नियम बनाने का अधिकार किसके पास है। हिटलर और मुसोलिनी के बनाये नियम उनके लिए अच्छे हो सकते थे लेकिन उनसे मानवता का कितना भला होता है यह भी देखना जरूरी है।

    जो नियम लोकतांत्रिक तरीके से नहीं बने हैं उनकी ग्राह्यता हमेशा सवालों के घेरे में होती है।

    ReplyDelete
  16. Bahut sal oahale yah maine bhee padha tha ki Cheen men ek hee bachche kee neeti ke antargat mahilaon ka doosara garbh abort karwa diya jata hai. Par humare yahan bhee mahila bhroon hatyaon ka daur thum nahee raha hai. Ek ladke ke jo jaroorat hai.

    ReplyDelete

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...