एक फैशन रिपोर्टर अपने दोस्त से
U know today I got biggest compliment of my life.
Someone said na ki u looks like a super model if u have some height
Even she said na ki u looks like a short super model
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Monday, August 23, 2010
Sunday, August 22, 2010
फैशन रिपोर्टर और शाहरुख खान
दिल्ली की एक फैशन रिपोर्टर शाहरुख खान से
मैं आपसे शादी करना चाहती हूं
शाहरुख खान – मुझे कोई दिक्कत नहीं अगर आपकी मम्मी को एतराज ना हो तो
फैशन रिपोर्टर – हां, मेरी मम्मी को दिक्कत होगी क्योंकि, वो भी आपको प्यार करती है
शाहरुख खान – कोई बात नहीं जब मैं 20 साल बाद आऊंगा तो, तुम्हारी बेटी मुझसे शादी के लायक हो जाएगी।
और, फैशन रिपोर्टर शाहरुख की इस हाजिरजवाबी पर लाजवाब थी। कुछ सो स्वीट टाइप की।
(डिसक्लेमर- ये सारी बातचीत चलताऊ अंग्रेजी में हुई थी और उसी तरह से शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ था। हिंदी में ये सारी बातचीत फूहड़ता होती। अंग्रेजी में ये बातचीत आधुनिक होने का सबूत देती है।)
मैं आपसे शादी करना चाहती हूं
शाहरुख खान – मुझे कोई दिक्कत नहीं अगर आपकी मम्मी को एतराज ना हो तो
फैशन रिपोर्टर – हां, मेरी मम्मी को दिक्कत होगी क्योंकि, वो भी आपको प्यार करती है
शाहरुख खान – कोई बात नहीं जब मैं 20 साल बाद आऊंगा तो, तुम्हारी बेटी मुझसे शादी के लायक हो जाएगी।
और, फैशन रिपोर्टर शाहरुख की इस हाजिरजवाबी पर लाजवाब थी। कुछ सो स्वीट टाइप की।
(डिसक्लेमर- ये सारी बातचीत चलताऊ अंग्रेजी में हुई थी और उसी तरह से शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ था। हिंदी में ये सारी बातचीत फूहड़ता होती। अंग्रेजी में ये बातचीत आधुनिक होने का सबूत देती है।)
इस बार देश की इज्जत चली जाए तो, बेहतर
पता नहीं मैं भी ऐसा क्यों हो गया हूं। मुझे लग रहा है कि देश की इज्जत एक बार चली ही जानी चाहिए। अब बताइए भला कोई भी ऐसे कैसे सोच सकता है कि देश की इज्जत चली जाए। देश की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी जी कह रही हैं कि ये देश की इज्जत से जुड़ा मामला है। देश के सबसे बड़े मीडिया परिवार को चलाने वाले सुब्रत रॉय सहारा जी भी कह रहे हैं कि अभी तक जो हुआ, सो हुआ। अब बस करो। लेकिन, मेरी भी गुस्ताखी देखिए कि मैं कह रहा हूं कि नहीं देश की इज्जत इस बार चली जाने दीजिए।
साला देश की इज्जत भी गजब हो गई है। वैसे तो, ये मुझे समझ में ही नहीं आता कि आखिर ये हमारा देश भी और इसकी इज्जत भी। हमारी इज्जत हमसे ताकतवर और बड़े देश अमरीका-चीन तो उतारते ही रहते हैं। पाकिस्तान, नेपाल भी जब चाहे तब हमारी इज्जत की एक परत उधेड़ देते हैं। पर हम हैं कि इज्जत बचाने में लग जाते हैं कि चलो एक ही परत तो उधड़ी है अब बचा लेते हैं।
अब वही हाल है माइक फेनेल नामक प्राणी जाने कितना पहले से कलमाड़ी के काले कारनामों की तरफ इशारा कर रहा था। हमारी अपनी संस्थाएं – साल भर पहले आई कम्पट्रोलर एंड ऑडीटर जनरल की रिपोर्ट हो या फिर अभी आई चीफ विजिलेंस कमीशन की रिपोर्ट – बता रही थीं कि सब गड़बड़झाला है। लेकिन, किसी का ध्यान नहीं गया। अब बस समझाने में लग गए हैं कि किसी तरह देश की इज्जत बच जाए। बाद में देखेंगे कि किसने कितना काला किया है।
कुल मिलाकर बस इरादा कुछ ऐसा ही है कि किसी तरह खेल हो जाए तो, फिर खेल कर लें। भ्रष्टाचार का खेल ऐसा है ही कि किसी को भी भ्रष्ट करने की ताकत रखता है। खेल मंत्री साहब की कोई खेल वाला सुनता तो है नहीं। फिर भी कह रहे हैं कि खेल हो जाने दीजिए फिर कोई बख्शा नहीं जाएगा। सब यही कह रहे हैं कि खेल हो जाने दीजिए। और, मैं ये कह रहा हूं कि अगर ‘खेल’ हो ही गया तो, फिर कोई क्या कर लेगा। इसीलिए मेरी ये दिली इच्छा है कि हे भगवान इस बार देश की इज्जत चली जाने दो। शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ इसी बहाने कुछ विरोध के स्वर बनें, मजबूत हों, कुछ कार्रवाई हो। वरना तो इस देश में भ्रष्टाचार पर गजब की आम सहमति बन चुकी है। काफी हद तक सांसदों की सैलरी बढ़ाने जैसी आम सहमति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बन चुकी है।
साला देश की इज्जत भी गजब हो गई है। वैसे तो, ये मुझे समझ में ही नहीं आता कि आखिर ये हमारा देश भी और इसकी इज्जत भी। हमारी इज्जत हमसे ताकतवर और बड़े देश अमरीका-चीन तो उतारते ही रहते हैं। पाकिस्तान, नेपाल भी जब चाहे तब हमारी इज्जत की एक परत उधेड़ देते हैं। पर हम हैं कि इज्जत बचाने में लग जाते हैं कि चलो एक ही परत तो उधड़ी है अब बचा लेते हैं।
अब वही हाल है माइक फेनेल नामक प्राणी जाने कितना पहले से कलमाड़ी के काले कारनामों की तरफ इशारा कर रहा था। हमारी अपनी संस्थाएं – साल भर पहले आई कम्पट्रोलर एंड ऑडीटर जनरल की रिपोर्ट हो या फिर अभी आई चीफ विजिलेंस कमीशन की रिपोर्ट – बता रही थीं कि सब गड़बड़झाला है। लेकिन, किसी का ध्यान नहीं गया। अब बस समझाने में लग गए हैं कि किसी तरह देश की इज्जत बच जाए। बाद में देखेंगे कि किसने कितना काला किया है।
कुल मिलाकर बस इरादा कुछ ऐसा ही है कि किसी तरह खेल हो जाए तो, फिर खेल कर लें। भ्रष्टाचार का खेल ऐसा है ही कि किसी को भी भ्रष्ट करने की ताकत रखता है। खेल मंत्री साहब की कोई खेल वाला सुनता तो है नहीं। फिर भी कह रहे हैं कि खेल हो जाने दीजिए फिर कोई बख्शा नहीं जाएगा। सब यही कह रहे हैं कि खेल हो जाने दीजिए। और, मैं ये कह रहा हूं कि अगर ‘खेल’ हो ही गया तो, फिर कोई क्या कर लेगा। इसीलिए मेरी ये दिली इच्छा है कि हे भगवान इस बार देश की इज्जत चली जाने दो। शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ इसी बहाने कुछ विरोध के स्वर बनें, मजबूत हों, कुछ कार्रवाई हो। वरना तो इस देश में भ्रष्टाचार पर गजब की आम सहमति बन चुकी है। काफी हद तक सांसदों की सैलरी बढ़ाने जैसी आम सहमति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बन चुकी है।
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