आज आने वाले रेल बजट में ममता बनर्जी कई नई दुरंतो ट्रेनों के अलावा दूसरी कई नई गाड़ियों के शुरू होने का एलान कर सकती हैं। हो सकता है किराया भी जस का तस ही रहे। दरअसल, हर रेल बजट में जनता को दो ही प्रमुख उम्मीदें रहती हैं कि रेल किराया न बढ़े और उनके इलाके से जहां वो नौकरी-कारोबार करने के लिए निकले हैं वहां के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें चलें जिससे किसी भी मौके पर वो आसानी से अपना सफर कर सकें। हर रेल मंत्री रेल बजट पेश करते समय सदन से भी सबसे ज्यादा तालियां नई ट्रेनों के शुरू होने के एलान के समय ही पाता है लेकिन, क्या ट्रेनों के शुरू होने के एलान भर से ही रेल मंत्री को सफल माना जा सकता है। जुझारू तेवरों और कुछ हटकर करने के लिए जानी जाने वाली रेल मंत्री ममता बनर्जी इस धारणा को बदल सकती हैं।
पिछले रेल बजट के समय ममता बनर्जी ने कई शानदार जो एलान किए थे उसमें दुरंतो और युवा जैसी ट्रेनों को शुरू करने का एलान था। लेकिन, पिछले बजट में किया गया एलान इस रेल बजट के आने से कुछ 15 दिन पहले ही मूर्त रूप ले पाया। जब हड़बड़ी में एक साथ 12 ट्रेनों को कानपुर से सोनिया गांधी और ममता बनर्जी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। फिर भी पिछले रेल बजट में एलान की गई सभी दुरंतो ट्रेनें शुरू नहीं की जा सकी हैं। इस बजट के ठीक पहले जल्दी में शुरू की गई दुरंतो ट्रेनों में इलाहाबाद से दिल्ली के लिए शुरू हुई दुरंतो भी शामिल थी।
10 फरवरी को दिल्ली से इलाहाबाद के लिए पहली बार दुरंतो ने यात्रा शुरू की और उस यात्रा में मैं भी शामिल हुआ। नई चमचमाती दुरंतो में यात्रा करने का उत्साह यात्रियों के चेहरे पर साफ दिख रहा था। साथ ही ये भी ये ट्रेन प्रयागराज से भी बेहतर साबित होगी। लेकिन, नॉन स्टॉप दुरंतो के यात्री सुबह 6 बजे जब इलाहाबाद पहुंचने की उम्मीद में थे तो, उस समय ये ट्रेन कानपुर स्टेशन पर खड़ी थी। और, ये ट्रेन इलाहाबाद अपने पहले ही सफर में अपने निर्धारित समय से करीब 4 घंटे देरी से पहुंची। भारतीय रेल की सफलता पर काले धुएं जैसी दिखने वाली ये सबसे बड़ी विफलता है। ममता बनर्जी इस रेल बजट में इससे निजात का खाका पेश कर सकती हैं। इस साल नई ट्रेनों के एलान के बजाए अगर सभी ट्रेनों के समय से पहुंचने का संकल्प इस रेल बजट में दिखे तो, वो ज्यादा बड़ी उपलब्धि होगी। इसलिए ममता जी इस बार नई ट्रेन का एलान करने के बजाए नई रेल पटरियां कैसे बिछेंगी इसका इंतजाम बताइए तो, बेहतर होगा।
10 फरवरी को दिल्ली से इलाहाबाद के लिए पहली बार दुरंतो ने यात्रा शुरू की और उस यात्रा में मैं भी शामिल हुआ। नई चमचमाती दुरंतो में यात्रा करने का उत्साह यात्रियों के चेहरे पर साफ दिख रहा था। साथ ही ये भी ये ट्रेन प्रयागराज से भी बेहतर साबित होगी। लेकिन, नॉन स्टॉप दुरंतो के यात्री सुबह 6 बजे जब इलाहाबाद पहुंचने की उम्मीद में थे तो, उस समय ये ट्रेन कानपुर स्टेशन पर खड़ी थी। और, ये ट्रेन इलाहाबाद अपने पहले ही सफर में अपने निर्धारित समय से करीब 4 घंटे देरी से पहुंची। भारतीय रेल की सफलता पर काले धुएं जैसी दिखने वाली ये सबसे बड़ी विफलता है। ममता बनर्जी इस रेल बजट में इससे निजात का खाका पेश कर सकती हैं। इस साल नई ट्रेनों के एलान के बजाए अगर सभी ट्रेनों के समय से पहुंचने का संकल्प इस रेल बजट में दिखे तो, वो ज्यादा बड़ी उपलब्धि होगी। इसलिए ममता जी इस बार नई ट्रेन का एलान करने के बजाए नई रेल पटरियां कैसे बिछेंगी इसका इंतजाम बताइए तो, बेहतर होगा।
आपकी अंतिम सलाह दमदार है,इस पर दीदी को ध्यान देना होगा.
ReplyDeleteआपके सुझावों के अनुसार गाडियों का समय पर यचलना, सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था होना गाडियों के वेग बनाये रखने के लिये समुचित उपाय करनाह ही चाहिये इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा का जैसे गाडियों में सफाई खास कर लंबी दूरी की ट्रेनों में तथा धुले साफ सुथरे बिस्तर का सामान जैसे तकिये के गिलाफ और चादरें और कंबल (ठंड में ) उपलब्ध हो ।
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