देश का संवैधानिक दादा यानी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा ने अलग-अलग राज्यों में बाहुबली सांसदों-विधायकों (असंवैधानिक दादाओं) का बड़ा भला कर दिया है। और, इसमें रोक लगाने में अदालतें भी कामयाब नहीं हो पा रही हैं। पता नहीं कितने लोगों को याद होगा कि, अदालत से दोषी करार दिए गए लोगों को संसद-विधानसभा का चुनाव लड़ने से रोकने के लिए बात चल रही थी। लेकिन, अबतक इस पर कुछ ठोस नहीं हो सका। जाहिर है जब देश का दादा बनने के लिएमुकाबला चल रहा हो तो, भला छोटे-मोटे दादाओं के दुष्कर्म रोकने की चिंताभला किसे होती।
और, इसका सबसे बुरा असर दिख रहा है उत्तर प्रदेश पर। प्रधानमंत्री बननेकी इच्छा ने मायावती के मन में ऐसा जोर मारा है कि मायावती जिन्हें मरवाना चाहती थीं (ऐसा भगोड़े अतीक अहमद ने पहली बार टीवी आने के बाद बोला था) अब वही अतीक अहमद हाथी पर सवार होकर लोकसभा में फिर पहुंचना चाहते हैं। जिससे कम से कम लोकतंत्र को बंधुआ बनाए रखकर उसके जरिए अपने दुष्कर्मों को जनता की इच्छा कहने का माद्दा बना रहे।
मायावती के खासमखास मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी इलाहाबाद की नैनी जेल में मिलकर अतीक के साथ इलाहाबाद और आसपास की लोकसभा सीटों को जीतने की योजना बना रहे हैं। यूपीए सरकार के खिलाफ वोट करने के बाद अतीक के सारेकरीबीयों (इलाहाबाद के छंटे बदमाशों) पर मामले हल्के किए जा रहे हैं।
मायावती जब सत्ता में आई तो, चिल्ला-चिल्लाकर सपा के जंगलराज और जंगलराज चलाने वाले बदमाशों के सफाए की बात कह रही थीं। तब से अब तक त्रिवेणी संगम में बड़ा पानी बह गया है। इलाहाबाद से जौनपुर, बनारस, गाजीपुर होते हुए गोरखपुर की तरफ बढ़िए। मायावती के सत्ता में आने के बसपा किस तरह से बाहुबलियों की हो गई है ये मजे से दिख जाता है।
चलिए एक बार फिर से पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बदमाशों की एकलिस्ट देखते हैं-अतीक अहमद (फूलपुर, इलाहाबाद), मुख्तार अंसारी (गाजीपुर अब मऊ सेविधायक), रघुराज प्रताप सिंह (विधायक, कुंडा, प्रतापगढ़), धनंजय सिंह(विधायक, रारी, जौनपुर), हरिशंकर तिवारी (हारे विधायक, चिल्लूपार,गोरखपुर)। इन पांचों की हैसियत ये है कि निर्दल चुनाव जीतते हैं या जीतनेका माद्दा रखते हैं। उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार आने से पहले येमुलायम के खासमखास थे। ये लिस्ट सिर्फ उनकी है जिनकी चर्चा पूरे प्रदेश में होती है। हर जिले के बदमाशों की गाड़ी पर भी अब नीला हाथी वाला झंडा ही लहराता दिखता है।
मुख्तार पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और अतीक अहमद पर बसपा विधायक राजूपाल की हत्या का आरोप है। मायावती ने सत्ता में आते ही सबसे पहले इन्हींलोगों की नकेल कसी। लेकिन, अब ये दोनों हाथी की सवारी कर रहे हैं।मुख्तार अंसारी को बनारस से बसपा ने लोकसभा प्रत्याशी बना दिया है। मुख्तार के साथ ही उसके भाई अफजाल अंसारी को बसपा ने गाजीपुर सेप्रत्याशी बना दिया है। बात न बिगड़ी तो, अतीक अहमद के लिए इलाहाबाद या फिर इलाहाबाद की ही दूसरी फूलपुर लोकसभा सीट से हाथी सजा तैयार खड़ा है। जैसे संजय दत्त को लड़ाने के लिए अमरसिंह ने तैयारी कर रखी थी वैसी ही तैयारी बहनजी ने वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मुलायम सरकार के समय उनके साथ बद्तमीजी करने वाले अतीक के लिए कर रखी है। अतीक चुनाव नहीं लड़े तो, अतीक से आधी से भी कम उम्र की अतीक की बीवी लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह अपने प्रताप से प्रतापगढ़ की सीट भी समाजवादी पार्टी को जिता चुके हैं। अब राजा के भी कस-बल ढीले पड़ रहेहैं। सुनते हैं कि वो, भी बहनजी के भाई बनना चाहते हैं।
मायाराज के सहारे अपनी गुंडई परवान चढ़ाने की इच्छा रखने वालों में जौनपुर की रारी विधानसभा से विधायक धनंजय सिंह भी शामिल है। लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान धनंजय गुंडई में पारंगत हुआ। अब संसदमें पहुंचने के लिए मायावती ने धनंजय को हाथी दे दिया है। धनंजय को संसदमें पहुंचाने के लिए पहले से घोषित बसपा प्रत्याशी का टिकट कट गया है। धनंजय को बहनजी की ही सरकार ने 50 हजार रुपए का इनामी बदमाश बनाया था।
वैसे धनंजय के रास्ते में ताजा रोड़ा बना है उत्तर प्रदेश के पांच लाख रुपए का इनामी बदमाश रहा बृजेश सिंह। बृजेश जब तक भगोड़ा रहा तब तक उसकेतार भाजपा से जुड़े होने की बात चलती रही। जब दिल्ली पुलिस ने उसेभुवनेश्वर से पकड़ा उसके बाद माहौल बदल गया है। अब बृजेश हाथी की पीठ परचढ़ने के लिए मुंहमांगी कीमत (हवा 40 करोड़ रु की है) देने को तैयार है।और, चर्चा गरम है कि बृजेश को जौनपुर या चंदौली से बसपा से लोकसभा प्रत्याशी बनाया जा सकता है।
एक जमाने में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बदमाश हरिशंकर तिवारी भी हाथी कीसवारी कर रहे हैं। छोटा बेटा विनय शंकर भले ही पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे के हाथों हार गया। बड़ा बेटा भीष्म शंकर खलीलाबाद से,बसपा सांसद बन चुका है। अब 2009 के लोकसभा चुनाव में पूरा परिवार हाथी परझूमते हुए दिल्ली पहुंचने की तैयारी में है। गोरखपुर लोकसभा सीट से हरिशंकर तिवारी का छोटा बेटा विनयशंकर, सटी खलीलाबाद सीट से बड़ा बेटा भीष्मशंकर और गोरखपुर के ही बगल की महाराजगंजसीट से भांजा गणेशशंकर पांडे बसपा प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं।
अब बताइए मायावती गुंडों की बिग बॉस हुई या नहीं (दुर्भाग्य ये कि वो, देश का प्रधानमंत्री बनने की जबरदस्त दावेदार हैं)। दरअसल यही वो दीमक है जो, इस देश के लोकतंत्र को अंदर से काफी हद तक खोखला कर चुका है। देश का संवैधानिक दादा (प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) बनने के लिए बड़े नेता जिस तरह के कुकर्म (जाने-अनजाने) कर गुजरते हैं। उसी पर खुद बाद में रोते भी रहते हैं। इन बदमाशों के पुनर्जीवन के लिए आखिर लालकृष्ण आडवाणीऔर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी कितने जिम्मेदार हैं। मायावती और दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री तो घोषित तौर पर अपराधियों केसरदार बन ही जाते हैं। क्या इसका जवाब कभी खोजा जाएगा। और, ये कहानी सिर्फ उत्तर प्रदेश की नहीं है, पूरे देश की है।
उम्मीद सिर्फ इतने से ही बची है कि उत्तर प्रदेश का माहौल कुछ बदला तो है। इसका अंदाजा सिर्फ दो नारों से लग जाता है
--यूपी विधानसभा चुनाव के समय बसपा कार्यकर्ता नारा लगाते थे
---चढ़कर गुंडों की छाती पे, मोहर लगेगी हाथी पे
जो, बसपा को नहीं चाहते थे वो, भी सपा को हराने के लिए नारा लगाते थे
---पत्थर रख लो छाती पे, मोहर लगाओ हाथी पे
और, उत्तर प्रदेश का नया नारा है
---गुंडे चढ़ गए हाथी पे, पत्थर रख लो छाती पे
वैसे पत्थर रखने से नहीं पत्थर मारने से ही बात बनेगी। क्योंकि, उत्तर प्रदेश में हाथी पगला गया है। और, हाथी की पीठ पर सारे बदमाश चढ़कर उत्तर प्रदेश की जमीन रौंद रहे हैं।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Friday, February 20, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)
एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...