हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi
#PrayagrajMahaKumbhMela2025 में हमारा चौथी बार प्रयागराज जाने का संयोग बना। इस बार #KultureKumbh2025 में दो सत्रों में परिचर्चा में शामिल रहना था। रहना भी अरैल घाट स्थित #ParmarthNiketan में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के आश्रम में ही रहना था। 5 फरवरी को #KahaniKursiKi शो के बाद सीधे हवाई अड्डे चल पड़े। #AllianceAir का छोटका वाला जहाज #ATR था। छोटके जहाज का आनंद होता है कि, नीचे-नीचे बहुत देर तक उड़ता है। ऊपर से नीचे साफ दिखता रहता है। मुश्किल यह कि, स्थान कम होता है। दोनों तरफ 2-2 कुर्सियाँ ही होती हैं और एक ही दरवाजा पीछे की तरफ होता है। हमारी सीट 4C थी जो जहाज में घुसते 2C हो गई। मुझे लगा इस परिवर्तन का क्या लाभ, लेकिन इससे पहला लाभ यह था कि, पांव पसारने का स्थान दूसरों से हमारे पास अधिक था और दूसरा अधिक महत्वपूर्ण लाभ यह था कि, हमारे सहयात्री की वजह से ही यह पोस्ट बन पड़ी है। हमने बैठते कहा- इस अपग्रेडेशन से क्या लाभ? बगल की विंडो सीट पर बैठे सज्जन ने कहा- लाभ यह हुआ कि, आपके पास बैठने को मिल गया। मैंने कहा- यह लाभ तो मुझे भी हुआ। मैंने उनका नाम पूछा और कहां से है के उत्तर में संयोग और गंगा मइया की कृपा की महत्ता समझ आई। प्रवीण कौशिक, कनाडा से आ रहे थे। कुम्भ स्नान करने जा रहे थे। उनकी योजना नहीं थी, इच्छा थी, लेकिन बजट अधिक हो रहा था। उनके अमेरिकावासी मित्र ने उन्हें यह कहते तैयार किया कि, सारी व्यवस्था मेरी, तुम्हें बस साथ चलना है। संयोग और गंगा मइया का बुलावा सिर्फ उनके लिए ही था। मित्र को स्वास्थ्य खराब हो गया और अकेले प्रवीण जी कुम्भ स्नान करने आए। जब पूरी कहानी उन्होंने सुनाई तो मैंने कहा- मैं आपके साथ चित्र लेता हूँ। यह भी बताया कि, इसे मैं लोगों से साझा करूँगा। संयोग और गंगा मइया के बुलावे का महात्म्य यही है।