Monday, September 12, 2022

कर्तव्य पथ से क्या क्या दिखने लगा है

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi 



आठ सितंबर 2022, भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण तिथि के तौर पर इतिहास में दर्ज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई दशक से ख़ाली पड़ी छतरी के नीचे इंडिया के ठीक सामने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शानदार प्रतिमा स्थापित कर दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने सबसे पहले भारत की स्वतंत्रता का उद्घोष कर दिया था। स्वतंत्र भारत की सरकार बना ली थी और स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र सेना आजाद हिंद फौज भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद हिंद फौज के बुजुर्ग स्वतंत्रता सेनानियों को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल करके और लाल क़िले से सम्मानित करके पहले ही राष्ट्रनायक सुभाष चंद्र बोस का सम्मान प्रतिष्ठित कर दिया था, लेकिन आठ सितंबर 2022 को नेताजी की प्रतिमा के अनावरण के साथ इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक की सड़क का नामकरण राजपथ से कर्तव्य पथ होने के साथ ही यह तिथि ऐतिहासिक हो गई है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन को दो तरह से समझा जा सकता है। पहला- यह परिवर्तन इंडिया गेट से कर्तव्य पथ के रास्ते राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले हर व्यक्ति को खुली आँखों से दिख जाएगा। ढाई किलोमीटर से अधिक लंबी यह सड़क अपने साथ ही सबकुछ बताती चलती है। विश्व आधुनिकतम शहर के मुकाबले कर्तव्य पथ पूरी शान से अपनी यात्रा में आगे बढ़ता दिखता है। उस पर चलते हर यात्री भी उस शान का अहसास करता है। कर्तव्य पथ के दोनों तरफ पैदल चलने के लिए गुलाबी पत्थरों से तैयार रास्ता साफ-सुथरा होने के साथ ही देश की राजधानी की सबसे प्रमुख सड़क पर होने का अहसास दिलाता है। मुख्य पैदल मार्ग के साथ ही इस ढाई किलोमीटर की सड़क के दोनों तरफ पैदल चलने वाला रास्ता कुल मिलाकर करीब सोलह किलोमीटर का हो जाता है। इंडिया गेट से विजय चौक तक सड़क के दोनों तरफ की नहर अधिक आकर्षक तरीके से व्यवस्थित की गई है। उस पर पैदल पार पथ भी गुलाबी पत्थरों से बनाए गए हैं। आकर्षक, आधुनिक लैंपपोस्ट से पूरे क्षेत्र में अद्भुत रोशनी बिखर रही है। इंडिया गेट के दोनों तरफ कल कल बहते आकर्षक फव्वारे और उनके साथ निकल रही रंगीन रोशनी शाम होते यहाँ होने को और रमणीक बनाती है। देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों के लिए पहले ही नरेंद्र मोदी सरकार ने युद्ध स्मारक बनाया है और अब नेताजी की प्रतिमा इस पूरे प्रांगण को गौरवशाली अभव्यक्ति के भावों से भर देती है। यह सब कुछ आपको स्पष्ट तौर पर दिखता है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष या कहें कि, महत्वपूर्ण परिवर्तन अलग से नहीं दिखता। वही दूसरा परिवर्तन समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन को जाने वाली सड़क का नाम अब राजपथ से कर्तव्य पथ हो गया। इस पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया कुछ इस तरह से आई कि, बेहतर होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वाह करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहाकि, हमें गुलामी की हर निशानी को हटाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास के सामने की सड़क का नाम रेस कोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग कर दिया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर सड़क कर दी। नौसेना का ध्वज चिन्ह छत्रपति शिवाजी से प्रेरित है। गुलामी का प्रतीक रेड क्रॉस हट गया है। अंग्रेजों ने उनके लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के लिए इंडिया गेट बनाया, लेकिन भारत के लिए लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की याद में स्मारक नहीं था, बन गया। इसलिए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि, हमें गुलामी की हर निशानी को खत्म करना है तो वही दूसरा भाव जाग्रत करने की कोशिश थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बात बहुत अच्छे से जानते हैं कि, सिर्फ कहने पर इसका मजाक बनाया जाएगा। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के स्व को जाग्रत करके उसे प्रतिष्ठित करने का कार्य तेजी से किया है। अब इस पंक्ति से कर्तव्य पथ के दोनों तरफ और इंडिया गेट पर हुए परिवर्तन को समझिए। अब इंडिया गेट को छोड़कर इस पूरे क्षेत्र के विकास की योजना किसी विदेशी वास्तुविद एडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर की बनाई नहीं रह गई है। अब यहाँ की वास्तुविद योजना भारतीय आर्किटेक्ट बिमल पटेल की बनाई हुई है। अगला सत्र भारतीय कंपनी टाटा और एलएंडटी के बनाए संसद भवन में होने की पूरी उम्मीद है। अंग्रेजों का बनाया संसद भवन और नॉर्थ, साउथ ब्लॉक अब ऐतिहासिक विरासत के तौर पर ही सहेजा जाएगा। अब नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में आम जनता भी संग्रहालय देखने जा सकेगी। भारत की संसद अब भारत की बनाई हुई है। यह अलग बात है कि, देश की राजधानी दिल्ली में इस महत्वपूर्ण परियोजना का विपक्षी पार्टियों और तथाकथित नागरिक समाज ने जमकर विरोध किया था। आज यह स्पष्ट तौर पर समझ रहा है कि, यह विरोध विपक्षी पार्टियों और तथाकथित नागरिक समाज के दिवालियेपन और दोहरेपन का जीता जागता प्रमाण है। 

गुरुवार 8 सितंबर 2022 को नए कर्तव्यपथ का लोकार्पण हुआ और कई दशक से खाली पड़ी छतरी के नीचे नेताजी की 28 फीट की प्रतिमा लगाई गई। इंडिया गेट, नेताजी प्रतिमा और फिर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक भारत की राजधानी में आने वाले हर व्यक्ति को भारत की भावना से अवगत करा रहा है। भारतीय संसद, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति आवास, केंद्रीय सचिवालय की दस इमारत के साथ दूसरी परियोजनाओं पर करीब बीस हज़ार करोड़ रुपये की लागत आनी है। गुलामी की हर निशानी को खत्म करने के प्रधानमंत्री के प्रण को पूरा करने के लिए यह अति आवश्यक है। इसमें से 8 सितंबर 2022  को लोकार्पित कर्तव्य पथ और उसके दोनों तरफ के विकास की योजना पर 1345 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस परियोजना के रास्ते में कई बाधाएँ आईं और इस योजना के बनने के साथ ही विपक्ष और तथाकथित नागरिक समाज ने दिल्ली की पहचान खत्म करने का आरोप लगाकर इन बाधाओं को खड़ा किया था।

इतने से बात नहीं बनी तो फिर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी कूदे, फिर राजपथ के लॉन में बरसों से आइसक्रीम खाने वाले लोगों की भावुक कहानियों की श्रृंखला चित्र और चलचित्र के तौर पर सामने लाई गई। कोरोना के समय पूरी सेंट्रल विस्टा परियोजना की 20 हजार करोड़ रुपये की रकम को बर्बादी बताकर मोदी को तानाशाह बताया गया। प्रधानमंत्री आवास बनाने को लेकर ऐसे निशाना साधा गया जैसे मोदी की निजी संपत्ति बन रही हो। इस सबसे बात नहीं बनी तो कहा गया कि सारे पेड़ काटे जा रहे हैं। फिर आरोप लगाया गया कि, मजदूरों से असुरक्षित तरीक़े से काम कराया जा रहा है फिर कहा गया कि इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड नहीं हो पाएगी। सारे मजदूरों को टीका लगा था, वहीं साइट पर रहने का प्रबंध था। दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में PIL डालकर काम रोकने की भरपूर कोशिश हुई, नाकाम रही दिल्ली की पहचान खत्म करने की आरोप लगाने के साथ वास्तुविदों के हवाले से इस परियोजना के बाद लुटियन दिल्ली की सूरत बिगड़ने का आरोप लगा। हर बात में यह ध्वनि जरूर आती थी कि, अंग्रेज जो बनाकर गए हैं, उससे बेहतर हम क्या बनाएँगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले आठ वर्षों से इसी भाव से लड़ रहे हैं। और, अब कर्तव्य पथ से यह सब बहुत स्पष्ट दिख रहा है कि, भारत का स्व जाग्रत हो गया है। राज पथ से कर्तव्य पथ होना सिर्फ़ नाम परिवर्तन नहीं है। यह देश में हो रहे बड़े परिवर्तन के स्पष्ट रूप से दिखना, उसका अहसास करना है। 

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