करीब 4 दशक के वामपंथ और कांग्रेस के बिना किसी लिखित समझौते के तय हुए सत्ता संस्कार ने देश में बुद्धिजीवी, लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार होने की शर्त तय कर दी। उसी का परिणाम है कि अब @narendramodi की सरकार आने के बाद अखलाक हो या दूसरा कोई मुद्दा मीडिया दो भागों में साफ तौर पर विभक्त नजर आता है। 2 मिनट का समय हो तो इस लिंक पर जाकर मेरी पूरी बात सुन सकते हैं।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों
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