गजब का भ्रमित भारत है। किसी को कुछ पता नहीं। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा। एक FDI किसी को सभी रोगों का इलाज लग रहा है तो, वही FDI किसी को सभी नई बीमारियों की वजह बन रहा है। सरकार में रहते ये FDI सब अच्छा, सरकार से बाहर जाते ही यही FDI सबसे खराब। FDI के विरोध में सब वॉलमार्ट को अभी से गरिया रहे हैं। जबकि, सच्चाई ये है कि उससे भी गंभीर समस्या ये है कि यही काम बिग बाजार भी पिछले काफी समय से कर रहा है। वॉलमार्ट अगर सही-सही आ गया तो, भी कम से कम डेढ़ साल लग जाएगा। और, मेरा खुद का शोध है कि 2004 में जब मुझे मुंबई में रहने के दौरान बिग बाजार की आदत लगी थी और अब- जब बिल देखता हूं तो, साफ दिखता है कि बेवजह का ज्यादा, कभी-कभी बिना जरूरत का सामान ले लेता हूं और बचत शून्य है। तो, ये दिक्कत वॉलमार्ट के आने भर से नहीं होगी। बिग बाजार भी यही कर रहा है। मूल समस्या FDI आने की नहीं है, मूल समस्या है कि ये सरकार शून्य देश होता जा रहा है। किसी पर कोई नियंत्रण नहीं है। सब मुक्त है।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Tuesday, September 25, 2012
Saturday, September 22, 2012
सरकार! नंगा होने के अलावा कोई विकल्प बचा है क्या?
![]() |
आर्थिक विकास पर प्रधानमंत्री के भाषण के समय विरोध प्रदर्शन |
संतरी लूटे तो, जाए जेल-प्रधानमंत्री लूटे तो, कानून फेल
ये लिखा है प्रधानमंत्री के खिलाफ शर्ट उतारकर विरोध प्रदर्शन करने वाले वकील संतोष कुमार सुमन के फेसबुक प्रोफाइल पर।
( इस विरोध प्रदर्शन के तुरंत बाद ये लाइनें लिखी हैं। दिल से निकली हैं इसलिए इसे लिखने भर का समय लगा। दिमाग नहीं लगाना पड़ा)
Subscribe to:
Posts (Atom)
राजनीतिक संतुलन के साथ विकसित भारत का बजट
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल पहले के दोनों कार्यकाल से कितना अलग है, इसका सही अनुम...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyGiNJmWYhfZgsb8YIbItMT9ywqt74unyBoxaa7IuJw9V9-dhmhd7PZIPNo429ML2n3ZAaaZ3M2NXVUXXhoO8z-lFZrPqF9lSe6SEjOWZ2H-pVRwvY2yZegyDAyaBqErp26KJDGldO03vDJ8lKrMACg6ihGWgKEhRgOMBpnu2Fy-SgmAyYnOsB/w389-h640/IMG_5261.jpg)
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...