अभी हाल में ही प्रतापजी दक्षिण अफ्रीका होकर लौटे। वहां से लौटने के बाद वहां के सामाजिक परिवेश और उसका भारत से शानदार तुलनात्मक विश्लेषण किया। उनके इन लेखों की सीरीज अमर उजाला में छपी। मैं उसे यहां भी पेश कर रहा हूं। चौथी और आखिरी कड़ी में वहां भारतीय पर्यटकों पर नजर
मेघा सम्पत बता रहीं थी कि हर साल पूरी दुनिया से दक्षिण अफ्रीका जाने वाले पर्यटकों में 20 प्रतिशत से अधिक भारत से आते हैं। यहां से भारत जाने की संख्या लगभग बराबर ही है। बालीवुड के निमार्ताओं को भी जोहांसबर्ग, केपटाउन और डरबन की लोकेशन काफी रास आ रहीं हैं। गांधी और किक्रेट ऐसे दो बिंदु है, जो दो देशों को आपस में जोड़ते हैं। मेघा सम्पत साउथ अफ्रीका टूरिज्म की इंडिया के लिए कंट्री मैनेजर हैं। केपटाउन के होटल मिलेनियर्स में एक शाम हम सब बैठे थे। अपने शक-सुबह और सवालों पर आपस में बातें कर रहें थे।
मेघा जिस समय यह बता रहीं थी, पास की दूसरी टेबिल पर बैठे दो काले लोगों से मैं पूछता हूं। शाम के साढ़े सात बजे हैं, मैं बाहर अकेले घूमने जाना चाहता हूं। दोनों मिलकर मुझे रोकते हैं। बाहर हो सकने वाले संभावित खतरे से मुझे आगाह करते हैं। इससे एक दिन पहले पहले दोपहर जब मैं बेलेबेले मार्केट में मोबाइल पर बात करता हुआ पैदल टहल रहा था। तभी मुंबई से यहां आकर बस गए किशोर भाटिया ने मुझे टोंका था। अकेले सडक़ पर यूं मत निकला कीजिए कोई भी मोबाइल छीन लेगा। मेघा हों, होटल के दो दक्षिण अफ्रीकी या किशोर भाटिया सभी अपनी जगह सही हैं। दक्षिण अफ्रीका में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। बेहतर कानून व्यवस्था का विश्वास अगर अंतराष्ट्रीय जगत को मिल जाए तो यह तरक्की कई गुना बढ़ सकती है। अच्छी बात यह है कि दक्षिण अफ्रीका ऐसी कोशिशें कर रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में बाजार और परिवार दोनों को मिलाकर एक खास किस्म की पर्यटन संस्कृति विकसित की है। देश के दर्शनीय स्थलों को घूमने के साथ वहां के समाज से आत्मीय संवाद का सुख मन को छू जाता है। लोगों ने अपने घर में कुछ कमरे विशिष्ट सुख-सुविधाओं वाले बना रखे हैं। वे जिसका इस्तेमाल गेस्ट हाउस के तौर पर करते हैं। केपटाउन की वाइन वैली से लौटते समय दोपहर भोज के लिए हम वुल्फकाफ नाम के एक गेस्टहाउस कम रेस्ट्रां में दोपहर भोज के लिए रूके थे। खाने की तैयारी के बीच हमारा परिचय हाउस लेडी रोनीफा से कराया गया। बताया गया कि इनकी देखरेख में ही खाने की पूरी तैयारी हुई है। ये जो स्पेशल चाकलेट केक है, इसे इन्होंने खुद बनाया है। भारतीय शैली में अभिवादन के लिए हाथ जोड़े लगातार चेहरे पर मुस्कुराहट लिए रोनिफा हमारे बीच थी। हम उसके खाने की तारीफ कर रहे थे। किसी-किसी डिश की रेसेपी या उसमें क्या पड़ा है, जानने की कोशिश भी। उस हाउस लेडी ने बैगन का भरता बनाने की बात कही थी। खाते समय बैगन तो था, भरता जैसा कुछ भी नहीं बन सका था। हम सब उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए सब खा गए थे। यह पारिवारिकता का ही अहसास था, जहां हमने बाजार की तरह कोई टोंका-टाकी नहीं की। उस लेडी ने भारत आने-जाने के सहेज कर रखे गए अपने बोर्डिंग पास जब हमें दिखाए और स्वदेश फिल्म की सीडी भी।
जंगल और संपन्न वन्य जीवन दक्षिण अफ्रीका में पर्यटकों को सर्वाधिक आकर्षित करता है। इधर निजी क्षेत्रों ने जंगल खरीदकर बहुत बड़े-बड़े गेम शेयर एरिया विकसित किए हैं। माबूला, भारतीय उद्योगपति विजय माल्या का 12 हजार हेक्टेयर के जंगल को घेरकर बना गेम शेयर। भारतीयों के लिए इसकी लोकप्रियता का अंदाजा यहां की गेस्ट रिलेशन मैनेजर अनीता बब्बर के इस दावे से लगाइए कि कोई भी भारतीय हस्ती जोहांसबर्ग के पास से भी होकर गुजरे और यहां न आए, ऐसा बहुत कम ही होता है।
जोहांसबर्ग हो कि कैपटाउन या दूसरा कोई शहर। जैसे आप अपनी पहचान पर्यटक के तौर पर देते हैं, वैसै ही आपको सवालनुमा सुझाव मिलेगा, सन सिटी गए कि नहीं। जोहांसबर्ग से 130 किलोमीटर पहले। अठारवीं शताब्दी के मध्य में भूकंप से तबाह हो गई एक बस्ती के अवशेष 1920 में तलाशे गए। इस समय अगर आप वहां जाएं तो पाएंगें कि उसे दुनिया के आधुनिकतम और विकसित शहरों के टक्कर में खड़ा कर दिया गया है। अब वहां बस्ती तो नहीं है, पूरा क्षेत्र बाजार में बदल गया है, लेकिन चमक-दमक के शौकीन इस शहर से कई दिन रूके बिना जाना नहीं चाहेंगे। सनसिटी में एक पुराना शहर इतनी बारीकी से नकली तरीके से बनाया गया है कि हर जगह पर चौंक जाता है कि ये भी अनुकृति है क्या? नकली समुद्र है, जिसमें निधारित समय पर रोज लहरें उठती हैं। नकली पहाड़ के भीतर बने विशाल बाजार में रोज तकनीकी स्तर पर मनोरंजन के लिए भूकंप आता है।
बतौर भारतीय दक्षिण अफ्रीका में गांधी के देश का होने की एक पहचान स्वाभाविक तौर पर मिल जाती है। दक्षिण अफ्रीका के काले लोग उन्हें अपनी मुक्ति के लिए संघर्ष करने वाला पहला सिपाही मानते हैं। गांधी के महत्व को आप यूं समझिए कि वहां पर्यटन के लिए टुअर आपरेटर गांधी पैकेज बताते हैं, उनमें गांधी से जुड़े सारे इलाकों तक ले जाया जाता है। इस तरह का दूसरा पैकेज नेल्सन मंडेला से जुड़ा है। भारतीयों के लिए नेल्सन मंडेला से जुड़े स्थान भी यात्रा के अनिवार्य पड़ाव होते हैं। जिस जेल से नेल्सन मंडेला 27 साल की कैद से मुक्त होकर बाहर आए थे, जेल के उस गेट पर भी पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है।
दक्षिण अफ्रीका का पर्यटन विभाग यहां के बढ़ते अपराध को दुष्प्रचार और मीडिया की देन मानता है। केप वाइनलैंड के मेयर के जानसन भी कहते हंै कि आपस में मारपीट अलग बात है, पर्यटकों के साथ होने वाले हादसे यहां बहुत कम हैं। यहां से कई गुना ज्यादा खतरा लंदन और न्यूयार्क में है। गुजरे 2007 में 20-20 क्रिकेट विश्वकप यहां हुआ। हजारों की तादात में भारतीय दर्शक आए। एक भी घटना कहीं से रिपोर्ट नहीं है।
दक्षिण अफ्रीका में पर्यटकों को सुरक्षा का भाव देने के लिए हर रेस्टोरेंट और गेस्टहाउस पर कम्युनिटी पुलिसिंग व्यवस्था या फिर सिक्योरिटी एजेंसी के द्वारा 24 घंटे कवर्ड होने का बोर्ड लगा है। प्रतिष्ठानों और संस्थानों के अलावा नगरीय क्षेत्र में रहने वाले अभिजात्य दक्षिण अफ्रीकी न्यूनतम 900 रैंड यानि 5400 रूपए महीने की फीस सुरक्षा एजेंसियों पर खर्च करते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में 2010 में फुटबाल विश्वकप फीफा की तैयारियां चल रही हैं। सरकार खेल के इस उत्सव को पर्यटन के विकास में इस्तेमाल करना चाहती है। भारतीय पर्यटकों पर इस बार भी खास नजर है। इस कारण पूरे देश में भारतीय खाने के 100 से अधिक ठिकाने का एक फूड 222.ह्यशह्वह्लद्धड्डद्घह्म्द्बष्ड्ड.ठ्ठद्गह्ल पर अपडेट किया गया है। भारत के कई शहरों में छोटे-बड़े उत्सव की तैयारी है,ताकि रिश्तों की कड़ी को और मजबूत बनाया जा सके।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Monday, September 01, 2008
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