Friday, September 11, 2009

ये मानेगी नहीं जब करेगी नंगई ही करेगी

बहुत दिनों से आपके घर में कोई झगड़ा नहीं हुआ। बहुत दिनों से आपके परिवार के लोगों ने एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचनी बंद कर दी है। बहुत दिनों से पड़ोसी के परिवार को देखकर आप बेवजह ईर्ष्या नहीं कर रहे हैं तो, परेशान मत होइए। भारतीय टेलीविजन इतिहास की सबसे बड़ी अदाकारा फिर से अपनी सारी अदा के साथ वापसी कर रही है।


एकदम सही पहचाना आपने- ये हैं क . क . क किरन नहीं। क . क . क K फैक्टर वाली एकता कपूर। वही अपने चिरयुवा जीतेंदर बाबू की काबिल बिटिया। अब एकता कोई ऐसा सीरियल बनाने जा रही हैं जिसमें सिर्फ नंगई होगी। क्यों-क्योंकि, सास-बहू की लड़ाई, पति-पत्नी के ढेरो अवैध संबंधों की चाशनी में भी कपूर साहिबा के धारावाहिक कोई देख नहीं रहा है। सब रियलिटी शो देख लेते हैं या फिर बालिका वधू या लाडो को देख ले रहे हैं।


एकता कपूर दुखी हैं कि सारे टेलीविजन दर्शकों ....
को क्या हो गया है। टेलीविजन तो समाज को आगे ले जाने के लिए होता है। ये क्या सारे दर्शक इतनी तेजी से बैकवर्ड हो गए कि बुढ़िया दादी की बातों को सुन रहे हैं। महंगी साड़ी-गहनों से लदी हर वक्त साजिश करती सासों-बहुओं-ननदों को कोई भाव ही नहीं दे रहा है। पता नहीं ऐसा कोई सर्वे तो हुआ नहीं है और शायद हो भी नहीं सकता क्योंकि, इस सर्वे के नतीजे किसी प्रोडक्ट के बिकने में तो मदद करेंगे नहीं। लेकिन, मेरी निजी राय है कि एकता कपूर के धारावाहिक देश मे जितने घरों में कलह का कारण (वही K फैक्टर) बने होंगे वो, भी अपने आप में एक इतिहास होगा।


एकता का महाभारत-- नहीं याद आया। याद भी कैसे आएगा। टैटू गुदवाए-बॉडी कै पैक्स दिखाते कपूर साहिबा की कलियुगी महाभारत के कैरेक्टरों (यहां भी वही K फैक्टर) को किसी ने पसंद ही नहीं किया। अब कपूर साहिबा दर्शकों को आगे के लिए तैयार करने जा रही हैं। कोई सीरियल है जिसकी पहली योग्यता कम कपड़े पहनना और एक दूसरे को किस करना है। एकता के इस प्रोजेक्ट के हेड विकास गुप्ता भी मान रहे हैं कि हां कम कपड़े और किस करने की बात तो हुई थी। smooching (जोर से किस) करने की बात नहीं कही गई। अब मुझे समझ में नहीं आता कि जब ये साबित हो चुका है कि बाजार और अच्छे के बीच संतुलन आसानी से बैठाया जा सकता है। और, इसके आंकड़े भले नहीं आए हैं लेकिन, मुझे पूरा भरोसा है कि शुरुआती hype के बाद अब सच का सामना करने वाले दर्शक भी गिनती के ही बचे होंगे।


अब आप समझ सकते हैं कि एकता कपूर क्या बनाने-दिखाने जा रही हैं। उनके ऑडीशन से खाली हाथ लौटी तृप्ति शुक्ला ने दिल्ली टाइम्स को बताया कि ऑडीशन में जो करने को कहा जा रहा था वो, करना उसके लिए मुश्किल था। तृप्ति ने ये भी बताया कि ऑडीशन के लिए उसका चयन होने का जब फोन आया तभी कहा गया कि जरा कम कपड़े में आना। तृप्ति के साथ कई लड़कियों ने ऑडीशन में आगे बढ़ने से मना कर दिया। लेकिन, करीब 200 जोड़े ऑडीशन की इस बाधा को हंसते-मुस्कुराते-किस करते क्रॉस कर गए। अब आप खुद ही समझ लीजिए- टीवी पर नया धमाका क्या होगा। एकता जी माफ कीजिए हम जैसे लोग तो पिछड़े ही अच्छे। पहले भी आपके K फैक्टर के प्रभाव से बचा ही था। आगे भी ऐसे ही रहूंगा, भई आप लोग भी देख लो- मेरी तरह बैकवर्ड रहना है या एकताजी के साथ आगे के जमाने के लिए तैयार होना है।

15 comments:

  1. हम तो बैकवर्ड ही रहना पसंद करेंगी बहुत बडिया पोस्ट है शुभकामनायें

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  2. विपरीत काले, विनाश बुद्धि...

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  3. नगई परोसने का हक केवल पुरुषों को ही नहीं दिया जाना चाहिए .समानता की बात चल रही है अभी .वैसे कविता जी का "क" फैक्टर अब आगे जा कर "ख" फैक्टर यानि खाई को प्राप्त हो गया है नंगे के धंधे अभी जोर पर है
    सो जमने की सम्भावनाये पूर्ण है.

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  4. एकता जैसी महिलाओं के कारण ही आज टी वी और फिल्मों में नग्नता बढती जा रही है...!महिलाओं पर आधारित अन्य सीरियलों की लोकप्रियता क्या एकता कपूर को दिखाई नहीं देती....?

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  5. आज के इस युग में आधुनिकता और पैसे कमाने की दौड़ में कुछ को हर कुछ जायज लगता है। एकता का ये कारनामा भी इसी का नतीजा है।

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  6. इसका नाम एकता नहीं "मुर्खता" कपूर होना चाहिए...

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  7. बहुत बढिया पोस्ट है शुभकामनायें......

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  8. किस्सा किस के किस्स का कहा:)

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  9. एकता कपूर ने तो घर-घर का बन्थाधार कर दिया,मेने उसका एक भी धारावाहिक देखा नहीं,लेकिन जब भी सास बहु के धारावाहिक आता तो मेरी सास और बीवी दोनों सारे काम छोड़ कर उसको देखने लगती,उसका विरोध भी चालू हो गया था,इसका प्रत्यक्ष उदाहरन में बताता हूँ. गत वर्ष में ३ या ४ जुलाई को गोहाटी गया था.सुबह दोस्तों के साथ कामख्या देवी के दर्शन करने चला गया. लाइन लम्बी थी.जब हम गर्भगृह में अन्दर पहुचे तो सामने वाली मूर्ति के बगल में निचे जाने का रास्ता है,हम वहां पर थे तभी जोर से ओ.......म बोलने की आवाज आई तो मेने देखा तो एक लड़की थी उसने हाथ में बहुत सारे गंडे-डोरे बांध रखे थे लोवर और टी शर्ट पहने थी ऊंचाई कोई साढ़े चार फुट से कोई जायदा ही थी.मेने अपने मित्र से कहा "देख यार कोई जादू टोना सीखने वाली लग रही है नयी नयी चेली बनी है."तंत्रपीठ होने के कारन वहां पर लोग तंत्र दीक्षा ही लेने जाते हैं. तभी एक बोला ये एकता कपूर है चलो बहर निकल कर इसके साथ फोटो खिंचवाते है,तभी दो तीन आवाज आई "अरे इसका तो मुह देखना पसंद नहीं है और आप फोटो खिंचवाने की बात करते हो,इसने लोगों का घर बर्बाद कर रखा है" एकता कपूर कामख्या मंदिर में "महाभारत"की कामयाबी के लिए मन्नत मांगने और पूजा करवाने गयी थी,ये हकीकत है.

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  10. बड़े बाप की बेटी है जो न करे वो कम ही है।

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  11. एकता कपूर के धारावाहिकों ने कितने घर तोडे ...यह अलग रिकॉर्ड हो सकता है ...मगर करवा चौथ और तीज आदि पर्वों पर पति की आरती उतार कर उसके हाथ से जल पीकर व्रत भंग करने का फार्मूला नितांत देसी धारावाहिक " बालिका वधु , यह रिश्ता क्या कहलाता है " आदि पर भी छाया हुआ है...ठेठ राजस्थानी धारावाहिकों में इस तरह के दृश्यों का होना घोर आश्चर्य में डालता है हमे तो राजस्थान के किसी भी शहर, कसबे या गाँव में पत्नियों द्वारा पति के हाथों जल पीकर व्रत खोलने तथा उसकी आरती करने का विधान नजर नहीं आया ..

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  12. Anonymous10:19 AM

    अगले जमाने में जाने के रास्ते और भी कई हैं :-)

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  13. नाम ‘एकता’ और काम फूट डलवाने का...
    वाह क्या बात है..
    अच्छी पोस्ट।

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  14. हर्षवर्धन जी आपके आलेख द्वारा एक चीज जान कर ख़ुशी हुई की "तृप्ति के साथ कई लड़कियों ने ऑडीशन में आगे बढ़ने से मना कर दिया। " | मैं तृप्ति जैसे उन लड़कियों को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने एकता के नंग्गई के जाल मैं अपने को नहीं फंशा | यदि आप तृप्ति के साथ कई लड़कियों को जानते हैं तो मेरा सन्देश जरुर पहुंचा देना |

    बाकी एकता जैसे गन्दी नाली के बारे मैं क्या कहूँ .... |

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