Thursday, April 17, 2008

‘सत्यार्थमित्र’ का स्वागत कीजिए

एक और हिंदी ब्लॉग शुरू हो गया है। सत्यार्थमित्र ब्लॉग शुरू किया है, सिद्धार्थशंकर जी ने। 14 तारीख को मेरी सिद्धार्थजी की मुलाकात हुई और 16 अप्रैल को सिद्धार्थजी ने ये ब्लॉग बना डाला। उनसे कुछ ब्लॉगिंग पर चर्चा हुई और दूसरे ही दिन उनका फोन आ गया कि मैंने अपना ब्लॉग बना लिया है। सिद्धार्थ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे। गोरखपुर से पत्रकारिता की शुरुआत करने की कोशिश की लेकिन, फिर सामाजिक दबाव में प्रशासनिक अधिकारी बन गए। सिस्टम के साथ अभी तक तालमेल बिठाने की कोशिश में लगे हुए हैं। शायद यही वजह है कि अब ब्लॉग को अभिव्यक्ति का जरिया बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मैं उनकी जिस पोस्ट के जरिए मिला वो, कुत्ते का दार्शनिक विचरण था। उसी पोस्ट को उन्होंने फिर से अपने ब्लॉग पर डाला है। आपको भी पसंद आनी चाहिए। खैर, मैं जब उनसे मिला तो, मेरे मुंह से निकला कि नेट (ब्लॉगिंग) के बहुत फायदे हैं। तो, भाभीजी (सिद्धार्थ जी की पत्नी) ने मुझसे पूछा- फायदा छोड़िए, ये बताइए कि इसका नुकसान क्या है। तो, उन्होंने ही हंसते हुए जवाब भी दे दिया कि अब मेरे समय में से ही ब्लॉगिंग भी समय खाएगी। मैंने कहा – ये तो है लेकिन, इसकी काट ये है कि इसी बहाने आप इनके साथ ज्यादा समय बिता सकती हैं। बस, इनकी ब्लॉगिंग में आप भी थोड़ी साझेदार हो जाइए।

अब ये परिचय मैं इसलिए करा रहा हूं कि आप सभी लोग नवोदित ब्लॉग सत्यार्थमित्र का ऐसा स्वागत करें कि सिद्धार्थ और भाभीजी को इसके फायदे ही याद रहें नुकसान कुछ न दिखे।

9 comments:

  1. स्वागत एक और इलाहाबादी का।

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  2. सीधे सिद्धार्थ के ब्लॉग पर ही जाता हूं।

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  3. हम भी स्‍वागत करते है

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  4. मित्रों, आप सभी को हार्दिक धन्यवाद. आपके बीच स्वयं को पाकर कुछ-कुछ वैसा ही महसूस कर रहा हूँ जैसा जी.एन.झा होस्टल में प्रथम प्रवेश के समय सीनिअर्स के बीच करता था. वैसे अब रैगिंग का कोई डर तो है नहीं, इसलिए इस परिवार के कायदे क़ानून जानने में किसी तकलीफ के बजाय सहूलियत रहने की ही उम्मीद है. मेरी कोशिश होगी कि आप लोगों से ढंग सीखकर कुछ नया कर सकूं...सादर.

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  5. स्वागत, शुभकामनाएं

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  6. स्वागत है, आईये!! नियमित लेखन के लिये शुभकामनाऐं.

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