Wednesday, April 30, 2008

सरकती जींस के नीचे दिखता जॉकी की ब्रांड और गांव में आधुनिकता

(अबकी छुट्टियों में मैं अपने गांव होकर लौटा हूं। शहरों में रहकर बमुश्किल ही ये अंदाजा लग पाता है कि गांव कैसे जी रहे हैं। वहां रहने वाले ऐसे क्यों होते हैं। शहर वालों जैसे क्यों नहीं रह पाते हैं। दोनों कहां जाकर बंटते हैं। गांवों में खासकर यूपी के गांवों में तो ऐसा ठहराव दिखता है जिसे, किसी को तोड़ने की भी जल्दी नहीं है। इसी ठहराव-बदलाव का मैं एक बड़ा चित्र खींचने की कोशिश कर रहा हूं। इसी श्रृंखला की ये तीसरी कड़ी।)

तो, मेरी नजदीकी बाजार में एयरटेल का टावर लग गया। अब हर हाथ में काम तो, सिर्फ नेताओं के भाषण में ही रह गया है लेकिन, हर हाथ में मोबाइल जरूर नजर आने लगा है। गांवों में नोकिया के सस्ते मोबाइल और बीएसएनएल के बाद गांव-गांव में पहुंचे एयरटेल, आइडिया के टावर ने सबके मोबाइल में सिगनल दे दिया है। और, जहां हवा, पानी, बिजली तक नहीं है वहां भी रिलायंस की फुल कवरेज मिलने लगी है। मोबाइल के चमत्कार से चमत्कृत होने की 2002 की एक घटना मुझे याद है। तब नया-नया बीएसएनएल का मोबाइल शुरू हुआ था। इलाहाबाद-लखनऊ रूट पर सारे रास्ते मोबाइल मिलता था। और, इसी वजह से मेरे गांव पर भी बीएसएनएल का सिगनल टूट-टूटकर मिल जाता था। मामा की लड़की की शादी में नजदीकी गांव के एक प्रधान के लड़के को सुबह का कुछ जरूरी काम याद आया और उसने आधी रात को कहाकि अब तो घर जाना ही पड़ेगा। हां, अगर बाबू को बताके आए होते तो, कोई बात नहीं थी। मैंने कहा तो, फोन कर लो। चूंकि प्रधानजी के यहां भी एंटीना वाला टेलीफोन लगा हुआ था। मैंने भी डरते-डरते बड़ा सा एंटीना वाला मोबाइल निकाला और इत्तफाकन फोन लग गया।

मोबाइल ने तो गांवों को बदला ही है। टीवी और विज्ञापन के जरिए ब्रांडेड प्रोडक्ट जिस तरह गांव को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। वो, मेरे लिए थोड़ा चौंकाने वाला अनुभव रहा। मुझे याद है कि पहले मैं एक वुडलैंड के जूते पहनकर गांव गया था तो, उसकी कीमत पूछने के बाद बाजार में गांव के ही एक सज्जन इस बात पर हंसे कि हजार रुपया का जूता पहिरब कउन बुद्धिमानी है। लेकिन, अब गांव के लड़के ब्रांडेड चड्ढियां पहन रहे हैं।

बुजुर्गों के पटरे वाली चड्ढी यानी कपड़े से कटवाकर नाड़ा वाली चड्ढी तो वैसे भी पुराने जमाने की बात हो चुकी ती। उसकी जगह वीआईपी और लड़कों में वीआईपी फ्रेंची ने ले ली थी। लेकिन, अब जॉकी ने सबका खेल बिगाड़ दिया है। और, ये जॉकी गांवों में भी नंगई फैला रहा है। नंगई गांव के लोगों को शहर के साथ आधुनिकता की दौड़ में साथ चलने का झूठा अहसास भी करा रही है। मैं चार साल पहले मुंबई आया था तो, अपने न्यूजरूम से लेकर सड़कों-लोकल में लड़के-लड़कियों की खिसकती पैंट (ज्यादातर जींस) के नीचे लड़कों की ब्रीफ और लड़कियों की पैंटी के ब्रांड दिख गए। और, अब पांच साल बाद गांव गया तो, मेरी मौसी का लड़का अंकुर जो, बेहद शर्मीला है (अभी हाईस्कूल में है) जब हम लोगों का पैर छूने के लिए झुका तो, उसकी आधी सरकी जींस से जॉकी की लाल मोटी पट्टी चमकती दिखी। गांव ने शहरों का ये बदलाव तो आत्मसात कर लिया है।

शहरों से आधुनिकता की दौड़ में साथ देने के लिए और भी बदलाव हुए हैं। प्रतापगढ़ के गावों में अगर बाभन के लड़के के बारे में अगर ये झूठा हल्ला भी उड़ जाए कि वो, सिगरेट, शराब पीता है। अंडा या मास-मच्छी खाता है तो, जिले का कोई बाभन तो, उसे अपनी लड़की देने को तैयार नहीं ही होता था। अब पंडितों की बारात में भी दारू पीकर उत्पात मचाने वाले बारातियों की पूरी जमात आ रही है। अब बस इतना बचाया जा रहा है कि सबके सामने तो नहीं पीता-खाता ना। लेकिन, बाभन होने का ढोल पीटने में कोई कमी नहीं है।

7 comments:

  1. बहुत सही है ब्रांडेड चड्डि‍यों की यह गंवई दुनिया का चित्रण.. तीन किस्‍त अभी और लिख मारो.. ससुर, एक छोटी सी किताब तैयार कै लो..

    ReplyDelete
  2. अगली कड़ी का इंतज़ार है :)

    ReplyDelete
  3. shayad jockie pahan kar aur usse dikhakar(kyoki bina dikhaye pahnane ka matlab nahi hai inke liye)hi wo apne aapko shahar walo ke barabar mante hai ya phir apna inferirity complex dore karte hai gaon me rahne ka(aakhir gaon pichda jo hai).......aur shayad kuch had tak safal bhi hote hai.
    nice post

    ReplyDelete
  4. चल रहे हैं साथ साथ-अगली कड़ी का इन्तजार.

    ReplyDelete
  5. harsh ji aapne likha to bahut acca hai lrkin ye confirm nahi hua ki saakti jeens aadhunikta hai ya joki ki chaddi.

    ReplyDelete
  6. समय के साथ कुछ बदलाव ज़रूरी हैं,मगर यह ध्यान भी रहे कि हमारी अपनी मौलिकता गुम न होने पाए।

    ReplyDelete
  7. I enjoyed reading your blog its quite interesting! Seeking for dispensaries worry no more!
    Wonderful Blog! satta king
    Thank for sharing but may also work in your like commercially.
    Ask your dealer for a aggressive offer for a provided service that includes web site style, growth and hosting
    satta king
    satta king

    ReplyDelete

अडानी पर हमला करके राहुल गांधी बुनियादी गलती कर रहे हैं

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी अडानी समूह की संपत्तियाँ नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से तेजी से बढ़ी हैं , इस...