Thursday, April 10, 2008

एक ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दे दी है। 2006 के सरकार के बिल के बाद से अब तक ये मामला लटका हुआ था। कई अलग-अलग संगठनों ने इसे चुनौती दी थी। सुप्रीमकोर्ट ने भी सरकार से इसे लागूकरने का आधार पूछा था।

अब सुप्रीमकोर्ट ने इस लागू करते हुए इससे क्रीमीलेयर को बाहर करने को कहा है। लेकिन, अभी भी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो, क्रीमीलेयर कैसे तय करेगी। वैसे, कोर्ट ने सांसदों-विधायकों को बच्चों को इससे बाहर कर दिया है। अब IIT, IIM और AIIMS में कोटा के आधार पर आरक्षण लागू हो सकेगा।

7 comments:

  1. Anonymous12:04 PM

    यह अच्छी खबर आप के चिट्ठे से पहलेपहल मिली,शुक्रिया।

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  2. एक शोक जन्‍य फैसला, कम से कम उच्‍चतम न्‍यायालय को सोचना चाहिऐ था कि आराक्षण की प्रवृत्ति देश के लिये नुकसान दायक होगी।

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  3. इससे न्यायपालिका की बेचारगी ही झलकती है. यह केवल उन हमलों का नतीजा है जो विधायिका की ओर से लगातार न्यायपालिका पर हो रहे हैं. आख़िर वह भी तो कोई दूध की धुली नहीं है.

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  4. khabar to achhi hai ,par aajkal sabhi achhe faisle court ke dvara hi hote hai,hamare rajnitig shyad ab itni aatmvishvaas vale rahe ki koi nirnya le sake.har cheez ko lab haani me tolna unki aadat me shumar hai.

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  5. @अनुराग
    एकदम सही कह रहे हैं आप। लेकिन, समस्या हममें भी है कि हम भी बिना किसी दबाव के लोकलुभावन फैसले को ही सही ठहराते हैं। आरक्षण विरोध और समर्थन की अपने फायदे की ही वजहें हैं।

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  6. कहा क्या जाय ? समर्थन , विरोध मे वह सब कुछ कहा जा चुका है .दिखावे मे हम वो सब कर गुजरते हैं जो पछतावे की अग्नि मे जलाती रहती है . आरक्षण से आहत सवर्णों से धैर्य ,संयम बनाए रखने की अपील के अलावा
    किया क्या जाय ? लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी दिखावे की दौर से गुजर रहा है .ऐसे मे एहन से उम्मीद करना गुनाह है . आकाश की कोई सीमा नही . और आकाश पर न अर्जुन की तीर का असर होता है ,न कोर्ट के हथोड़ा का . गति ही जीवन है .

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