Thursday, July 03, 2025

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन की सफलता नहीं है

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी



नरेंद्र मोदी की सरकार में रक्षा नीति एकदम से जीरो टॉलरेंस वाली हो गई। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बयान कि, गोली और बोली एक साथ नहीं चल सकती। भारत के लिए यही मोदी सरकार का रक्षा सूत्र था। नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसे और कठोर नीति में परिवर्तित करते हुए कहा कि, उधर से गोली चलेगी तो इधर से गोला चलेगा। टेरर और टॉक, टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकता, यह नरेंद्र मोदी सरकार ने करके दिखाया, लेकिन देश को एक बात समझना आवश्यक है कि, ऑपरेशन सिंदूर या फिर उससे पहले के सीमा पार किए गए सैन्य ऑपरेशन की सफलता कैसे प्राप्त की जा सकी। यह कैसे हो सका कि, आयात पर निर्भर भारत अमेरिका, चीन और तुर्की के हथियारों से लैस पाकिस्तान को बुरी तरह से पीटने में सफल रहा। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को विश्व के अग्रणी सैन्य क्षमता वाले देशों में खड़ा कर दिया है। इतने सटीक और अचूक तरीके का सैन्य ऑपरेशन अभी तक अमेरिका, इजराइल और दूसरे विकसित देशों के लिए ही माना जाता था। सटीक और अचूक निशाना लगाने के साथ ही अपने देश को और सैन्य ठिकानों को दुश्मन के आक्रमण से बचाने का भी अद्भुत प्रदर्शन हमने देखा। भारत में अकसर इजराइल के हवाई सुरक्षा तंत्र आयरन डोम की आश्चर्यजनक किंतु सत्य, के अंदाज में चर्चा होती रही है। हर भारतीय सोचता था कि, काश! भारतीय सैन्य सुरक्षा तंत्र भी ऐसा हो पाता, लेकिन यह सुरक्षा तंत्र भारत ने तैयार कर लिया है, इसका अनुमान हम भारतीयों को भी तब लगा, जब लगातार तीन रातों तक पाकिस्तान ने चीन और तुर्की के ड्रोन और मिसाइल दागे, लेकिन भारतीय सैन्य ठिकानों या नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ। कमाल की बात यह भी थी कि, हमारा हवाई सुरक्षा तंत्र इजराइली सुरक्षा तंत्र से सस्ता और अधिक बेहतर था। ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारतीय सेनाओं ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में सटीक, अचूक एयर स्ट्राइक करके सैन्य नीति के मामले में नये भारत का अहसास सम्पूर्ण विश्व को करा दिया था। ऑपरेशन सिंदूर उसी छवि को और अच्छे से स्थापित करने वाला रहा। पहलगाम में धर्म पूछकर हमारे 26 नागरिकों की हत्या के बाद हर भारतीय यह उम्मीद कर रहा था कि, भारत सरकार ऐसा जवाब देगी कि, पाकिस्तान की सरपरस्ती में पल रहे आतंकवादियों के साथ पाकिस्तान को भी बड़ा सबक मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सउदी अरब की यात्रा बीच में छोड़कर वापस लौट आए और गृह मंत्री अमित शाह पहलगाम पहुँच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार में रैली में यह कहना कि, आतंकवादियों के साथ उनको पालने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा, स्पष्ट संदेश था कि, पहलगाम में भारतीय नागरिकों की हत्या का बदला लेने में भारत सरकार  कोई कसर नहीं छोड़ेगी। 6-7 मई की रात में आधे घंटे में भारत की तीनों सेनाओं के समन्वय से भारत ने ऐसा ऑपरेशन किया कि, सम्पूर्ण विश्व दंग रह गया। एलओसी के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा से भीतर भारतीय सेनाओं ने जाकर आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था और यह ठिकाने सामान्य नहीं थे। आतंकवादी संगठनों के मुख्यालयों को इस बार भारतीय वायु सेना ने हवाई हमले में निशाना बनाया। लश्करे तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश--मोहम्मद के मुख्यालय और प्रशिक्षण केंद्र भारतीय हवाई हमले के निशाने पर थे। बहावलपुर में जैश--मोहम्मद के मुख्यालय पर इतना सटीक हमला हुआ कि, मौलाना मसूद अजहर के परिवार के लगभग एक दर्जन लोग मारे गए। जिसमें कई कुख्यात आतंकवादी भी थे। इसी तरह से मुरीदके में लश्करे तैयबा का मुख्यालय मरकज़ तैयबा भी हवाई हमले में तबाह हो गया। कोटली में अब्बास मस्जिद में जैश--मोहम्मद आतंकवादियों को प्रशिक्षित करता था, उसे तबाह किया गया। जैश--मोहम्मद के मुजफ्फराबाद के आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र सैयदना बिलाल मस्जिद को भी भारतीय सेनाओं ने बर्बाद कर दिया। कोटली जिले में लश्करे तैयबा का आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र गुलपुर में था, उसे भी उड़ा दिया गया। बरनाला में मकरज अहले हदीथ, सियालकोट में हिजबुल के कैंप और सियालकोट में ही जैश--मोहम्मद का एक और आतंकवादी ठिकाना तबाह कर दिया गया। रात के एक से डेढ़ बजे के बीच यह पूरा ऑपरेशन हुआ। रात के एक बजकर चौवालीस मिनट पर भारत सरकार की ओर से इस कार्रवाई की जानकारी भी सार्वजनिक कर दी गई। 7 मई को भारतीय सेना की साझा प्रेस वार्ता में स्पष्ट तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से बताया गया। भारत सरकार की ओर से स्पष्ट कहा गया कि, यह ऑपरेशन सटीक और अचूक थे और इनके निशाने पर सिर्फ आतंकवादी ठिकाने थे। पाकिस्तानी सेना के किसी भी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। भारत की ओर से पूरे प्रमाण के साथ ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया गया। इससे पहले के सर्जिकल और एयर स्ट्राइक को पाकिस्तान भी स्वीकारने से बचता रहा और भारत के विपक्षी दलों ने भी प्रमाण मांगा था। इस बार भारतीय सेनाओं ने उच्च गुणवत्ता के चित्र भी साझा किए और सैटेलाइट इमेज से भी स्पष्ट पता चला कि, भारत ने आतंकवादी ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। तबाही इतनी बड़ी थी कि, मौलाना मसूद अज़हर बच भले गया, लेकिन अपने परिवारजनों के मारे जाने से व्यथित मसूद अजहर ने कहा कि, इससे अच्छा वह भी मर गया होता। एक झटके में पाकिस्तान का सैन्य और उसके द्वारा पोषित आतंकवादी तंत्र घुटनों पर गया था, गुहार लगा रहा था, रो रहा था। यह सब इसी वजह से हो सका क्योंकि, भारत अपनी शक्ति के साथ मजबूती से खड़ा था।

दरअसल, भारत की सैन्य क्षमता को बेहतर और आत्मनिर्भर करने में पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने चुपचाप बहुत मजबूती से कार्य किया है। रक्षा क्षेत्र में भारत ने अपनी भूमिका लगातार बेहतर की है। एक दशक पूर्ण करके नरेंद्र मोदी सरकार के ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश के साथ ही आत्मनिर्भर भारत का मंत्र प्रभावी रुप से दिखने लगा है। मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दी। मोदी सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि, पूरी तरह से आयात पर निर्भर भारतीय रक्षा क्षेत्र आज अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादन करके रक्षा क्षेत्र में निर्यात कर रहा है। 2024-25 में रक्षा क्षेत्र का निर्यात अब तक के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा। 2024-25 में भारतीय रक्षा उपकरणों का निर्यात 23,622 करोड़ रुपये का रहा। नरेंद्र मोदी सरकार के एक दशक में कुल रक्षा निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये से अधिक का रहा। राज्यसभा में सरकार ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि, 2016-17 से 2018-19 के दो वर्षों में रक्षा निर्यात 700 प्रतिशत बढ़ गया। नरेंद्र मोदी के राज में जिस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बर्बाद हो जाने का आरोप राहुल गांधी लगा रहे थे, वही एचएएल आज विश्व की 100 सबसे बड़ी रक्षा उत्पादक कंपनियों में शामिल हो चुकी है। एचएएल के अलावा 2021 में स्थापित अवनी (आर्मर्ड वेहिकल्स निगम लिमिटेड) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भी रक्षा क्षेत्र की टॉप 100 कंपनियों में शामिल हो चुकी हैं। भारत में इस समय 100 से अधिक कंपनियां रक्षा क्षेत्र में उत्पादन करके भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी बन रही हैं। आज विश्व के 85 देशों की सेनाएं भारतीय रक्षा उपकरणों का उपयोग कर रही हैं। पिनाका मल्टीबैरल रॉकेट लांचर, राडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वेहिकल, आर्मर्ड वेहिकल, लाइन रिप्लेसेबल यूनिट एंड पार्ट्स, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर्स, एम्युनिशंस, स्मॉल आर्म्स, एवियॉनिक्स कंपोनेंट्स के अलावा डॉर्नियर 228, DRDO की बनाई 155mm/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल और आकाश की माँग दुनिया के कई देशों से हो रही है। यूपीए काल के पहले और दूसरे कार्यकाल से नरेंद्र मोदी के पहले और दूसरे कार्यकाल की तुलना करें तो रक्षा क्षेत्र में 31 गुना अधिक निर्यात हुआ है। यह यूं ही नहीं हो गया। नरेंद्र मोदी की सरकार आने के साथ ही यह सूची बनाई गई कि, सबसे पहले हमारी आवश्यकता के किन सामानों को हम डीआरडीओ और सरकारी कंपनियों की मदद से बना सकते हैं। इसके बाद दूसरे चरण में निजी कंपनियों को शामिल किया गया। रक्षा क्षेत्र में हम अधिकांश आयात पर ही आश्रित थे, इसलिए भारतीय कंपनियों की इस क्षेत्र में अनुभवहीनता थी, इसे दूर करने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी का रास्ता चुना गया। 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ 50 भारतीय कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल रूस के दौर पर गया और वहां उन कंपनियों के साथ साझेदारी की। डीआरडीओ, इसरो के साथ आईआईटी, एनआईटी और निजी कंपनियों को एक साथ रक्षा क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध और नवाचार पर लगाया गया। 2020 में भारत सरकार ने 101 रक्षा सामानों की सूची जारी की, जिसे अगले पाँच वर्षों में पूरी तरह से आयात करने के बजाय देश में ही उत्पादन करना था। 31 मई 2021 को भारत सरकार 108 रक्षा उत्पादों की दूसरी सूची जारी करते हुए उनके आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसे दूसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची कहा गया। इन दोनों सूचियों का प्रमुख उद्देश्य ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना था। 'दूसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची' में जटिल प्रणालियाँ, सेंसर, सिम्युलेटर, हथियार और गोला-बारूद जैसे हेलीकॉप्टर, अगली पीढ़ी के कोरवेट, एयर बोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम, टैंक इंजन, पहाड़ों के लिए मध्यम शक्ति रडार, MRSAM हथियार प्रणाली और भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई अन्य सामान शामिल हैं। आज भारत के रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत और सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। 2004-05 से 2013-14 में कुल रक्षा निर्यात 4312 करोड़ रुपये का था। जबकि, 2014-15 से 2023-24 के दौरान भारत का रक्षा निर्यात 88,319 करोड़ रुपये का हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य तेजी से पूरा हो रहा है। भारत सरकार 2029-30 रक्षा निर्यात का लक्ष्य 50 हजार करोड़ का प्राप्त करना चाहती है और एक दशक में जिस तरह से रक्षा क्षेत्र में बेहतरी हुई है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि, उससे पहले ही यह लक्ष्य प्राप्त करने में मुश्किल नहीं आना चाहिए। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के प्रयास एक दिन में पूरे नहीं होने वाले हैं, यह बात मोदी सरकार के ध्यान में बहुत अच्छे से है। यही वजह रही कि, यूपीए शासनकाल में रक्षा आयात के सौदों पर एकदम से लगी रोक मोदी के शासनकाल में हटाई गई और रक्षा दलालों के बजाय भारत सरकार ने सीधे सरकार से सरकार के समझौते के तहत फाइटर जेट का ऑर्डर किया। इस महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बड़े सवाल उठाए और राफेल की खरीद में गंभीर आरोप लगाते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहलेचौकीदार चोर हैजैसा राजनीतिक नारा भी उछाल दिया, लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसका राजनीतिक उत्तरमैं भी चौकीदारजैसे राजनीतिक नारे के साथ दिया और राफेल के सौदे में जरा सा भी रुकावट नहीं आने दी। भारत इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का दुरुपयोग करके नेता विपक्ष राहुल गांधी निजता का उल्लंघन करता है, यह आरोप लगाकर भारत के सुरक्षा तंत्र को भी कमजोर करने की कोशिश की गई थी। मामला सर्वोच्च न्यायालय तक गया था। कमाल की बात यह थी कि, जिन लोगों ने उनके मोबाइल में पेगासस सॉफ़्टवेयर के जरिये जासूसी का आरोप लगाया था, वही लोग अपना मोबाइल देने से इनकार कर गए। यह दोनों बड़े उदाहरण हैं कि, किस तरह से भारत के रक्षा तंत्र को सशक्त होने की राह में बाधा खड़ी करने की कोशिश की गई। भारत में पहले रक्षा दलालों की चर्चा रक्षा सौदे से पहले होने लगती थी और रक्षा क्षेत्र के दलाल ही तय करते थे कि, कोई भी रक्षा सौदा कैसे होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे सरकार के स्तर पर रक्षा सौदे करके इस दलाली के तंत्र को ध्वस्त कर दिया। सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को बिना किसी संकोच के सशक्त किया। एक दशक बाद इसका परिणाम स्पष्ट दिखने लगा है। अब भारत को इसके आगे की तैयारी करना होगा क्योंकि, चीन के हथियारों से लैस पाकिस्तान के पिटने के बाद चीन की चिंताएं और तैयारी बढ़ गई होगी।

No comments:

Post a Comment

महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता के एक दशक

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी  प्रतिवर्ष एक जुलाई से लोगों की दिनचर्या में आवश्यक कई सुविधाएं बदलती हैं , रेलवे की...