Tuesday, March 28, 2017

सबका 'विकास' दूसरे के हिस्से में से हो

























#विकास कितना मुश्किल होता है। उसका उदाहरण हैं, ये दोनों सड़कें। दरअसल ये एक ही सड़क के दो हिस्से हैं। पक्की सड़क मेरे घर के सामने से आ रही है और जहाँ ये खड़ंजा बिछा दिख रहा है। हमारे गाँव के ही शुक्ला जी के खेत से गुज़रती है। पहले चकरोड यानी मिट्टी की सड़क थी तो पतली थी। अब पक्की करने के लिए उनके खेत का भी कुछ हिस्सा जा रहा है। उन्होंने बस उसी उतने हिस्से के लिए कुंडा तहसील न्यायालय में मुक़द्दमा दायर कर दिया। हालाँकि, अब मामला सुलझ गया है, ऐसा इस बार गाँव में पता चला लेकिन, इसी से अंदाज़ा लगाइए कि सामूहिक विकास करना, बेहद बुनियादी सुविधाएँ देने के लिए भी, सरकारों को कितना लड़ना पड़ता है। जब भी किसी के निजी में से थोड़ा सा कटकर ढेर सारे लोगों के सामूहिक भले में जुड़ने की बात होती है, निजी हावी हो जाता है। 

No comments:

Post a Comment

हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi अभी सकट चौथ बीता। आस्थावान हिन्दू स्त्रियाँ अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखत...