Tuesday, February 14, 2017

राहुल गांधी जी, ये कूड़ा नहीं कांग्रेस के मजबूत खंभे थे !

साभार- कांग्रेस हरिद्वार रैली
दाग अच्छे हैं! किसी विज्ञापन की ये पंक्तियां बीजेपी के लिए उत्तराखंड में सही साबित होती दिख रही हैं। और जब अपने दाग दूसरों पर फबने लगें, तो वो और बुरे लगने लगते हैं। कुछ ऐसा ही कांग्रेस के साथ होता दिख रहा है। उत्तराखंड में चुनाव के आखिरी दौर में राहुल गांधी ने कहाकि कांग्रेस का कूड़ा बीजेपी ने बटोर लिया है। दरअसल राहुल गांधी हरिद्वार में कांग्रेस के रोड शो के दौरान कांग्रेस से बीजेपी में गए नेताओं के बारे में बात कर रहे थे। सतपाल महाराज, उनकी पत्नी अमृता रावत, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, प्रणव सिंह, केदार सिंह रावत, प्रदीप बत्रा- यही वो कांग्रेसी हैं, जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए हैं। और यही कांग्रेसी बीजेपी में जाते ही अब राहुल गांधी की नजर में कूड़ा हो गए हैं। तो क्या सचमुच बीजेपी ने उत्तराखंड में कांग्रेस का कूड़ा बटोर लिया है।
सबसे पहले बात पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की। बहुगुणा की अगुवाई में ही कांग्रेसी नेताओं ने हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह किया था। बीजेपी ने विजय बहुगुणा की सीट सितारगंज से उनके बेटे सौरभ बहुगुणा को टिकट दे दिया है। विजय बहुगुणा ने ये सीट उपचुनाव में 53766 मत पाकर जीत हासिल की और बीजेपी के प्रत्याशी को 13812 मत मिले थे। बहुगुणा को रिकॉर्ड मत मिले थे। इस सीट पर मुस्लिम और बंगाली मतदाता मिलाकर करीब 50000 हैं और बहुगुणा की इस जीत में ये समीकरण काफी अहम रहा था। 2012 विधानसभा चुनाव में ये सीट बीजेपी के किरन चंद्र मंडल ने जीती थी। और जब विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो किरन मंडल विधानसभा सदस्यता और बीजेपी दोनों से इस्तीफा देकर कांग्रेस में चल गए।
बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष रहे दिग्गज कांग्रेसी नेता यशपाल आर्य और उनके बेटे को टिकट दिया है। यशपाल आर्य को उनकी जीती हुई बाजपुर सुरक्षित सीट से टिकट दिया गया है। साथ ही नैनीताल सुरक्षित सीट से यशपाल के बेटे संजीव आर्य बीजेपी प्रत्याशी हैं। नैनीताल सीट अभी कांग्रेस की सरिता आर्य के पास है।
यमुनोत्री से कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए केदार सिंह रावत को बीजेपी ने टिकट दिया है। इस सीट से 2007 में केदार सिंह रावत कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर जीते थे। केदार सिंह रावत की इस सीट पर अच्छी पकड़ है। 2002 और 2012 में जब रावत उत्तराखंड क्रांति दल के प्रीतम सिंह पंवार से हारे भी तो दूसरे स्थान पर वही थे। और दोनों ही बार हार-जीत का अंतर 2000 मतों से भी कम था।
खानपुर सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस से आए प्रणव सिंह को टिकट दिया है। प्रणव सिंह अभी यहां से विधायक हैं। उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के कुलवीर सिंह को करीब 3000 मतों से हराया था। 2012 के चुनाव में बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर थी।
रुड़की से बीजेपी ने कांग्रेस के विधायक प्रदीप बत्रा को टिकट दे दिया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर प्रदीप बत्रा ने बीजेपी के सुरेश चंद्र जैन को मात्र 801 मतों से हराया था। और 2012 के पहले के दोनों चुनावों में बीजेपी के सुरेश चंद्र जैन ही इस सीट से जीतते रहे थे। फिर भी बीजेपी ने जैन का टिकट काटकर कांग्रेसी रहे प्रदीप बत्रा को टिकट दे दिया। कमाल की बात ये भाजपाई सुरेश जैन अब कांग्रेस से प्रत्याशी हैं।
कोटद्वार सीट से कांग्रेसी दिग्गज नेता हरक सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया है। यहां अभी कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी विधायक हैं। नेगी ने यहां दिग्गज बीजेपी नेता भुवन चंद्र खंडूरी को हराया था। नेगी यहां से 3 बार विधायक चुने गए। नेगी इस बार भी कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके सामने बीजेपी की तरफ से कांग्रेस के ही दिग्गज नेता रहे हरक सिंह रावत चुनाव मैदान में हैं। हरक सिंह रावत 1991 में पहली बार विधायक चुने गए थे और तबसे वो 5 बार जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं। रावत पिछला चुनाव रुद्रप्रयाग सीट से जीते थे। इस बार वो रुद्रप्रयाग सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को जिताने में जुटे हैं।
एक और सीट है नरेंद्रनगर। नरेंद्रनगर विधानसभा सीट दिग्गज कांग्रेसी सुबोध उनियाल की परम्परागत सीट है। इस सीट से सुबोध उनियाल 2002 और 2012 में विधायक चुने गए। 2007 में सुबोध उनियाल उत्तराखंड क्रांति दल के ओम गोपाल रावत से सिर्फ 4 मतों से चुनाव हार गए थे। ओम गोपाल 2012 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन, उनियाल ने फिर से ये सीट जीत ली।
चौबट्टाखाल से दिग्गज कांग्रेस रहे सतपाल महाराज बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। हालांकि, ये सीट बीजेपी के पास थी। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत यहां से 2012 में विधायक चुने गए थे। सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत कांग्रेस सरकार में पर्यटन मंत्री थीं। लेकिन, उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है। अमृता रावत की जीती हुई सीट रामनगर से बीजेपी के दीवान सिंह बिष्ट फिर से चुनाव मैदान में हैं। अमृता रावत ने 2012 में बिष्ट को ही चुनाव हराया था।

राजनीतिक लिहाज से कांग्रेस से बीजेपी में आए सभी नेता अपनी विधानसभा के अलावा दूसरी विधानसभा में अच्छा खासा दखल रखते हैं। और सच बात ये है कि यहां कांग्रेसी नेता हैं, जिनसे कांग्रेस की उत्तराखंड में पहचान थी। ये कांग्रेस के मजबूत खंभे रहे हैं। अब वो पहचान बीजेपी के साथ चली गई है। और बीजेपी बड़े सलीके से कांग्रेस के बागियों का इस्तेमाल विधानसभा में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए करती दिख रही है। अब ये तो 11 मार्च को ही पता चल सकेगा कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर विधानसभा में पहुंचता कूड़ा बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर पहुंच पाएगा या नहीं। 

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